गुजरात चुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी को कड़ी टक्कर दी (फाइल फोटो)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राज्य गुजरात के वोटरों ने तमाम एक्जिट पोल को एक हद तक गलत साबित किया. चुनाव पूर्व और चुनाव बाद के तमाम सर्वे बीजेपी को आसानी से बहुमत के आंकड़े तक पहुंचता बता रहे थे. कुछ एक्जिट पोल में तो बीजेपी को गुजरात में 2012 की सीटों की संख्या (115) से आगे बताया जा रहा था. इस आंकलन के बाद बीजेपी नेता अति आत्मविश्वास की स्थिति में नजर आए. विभिन्न टीवी चैनलों पर चर्चा के दौरान उनकी बातों में वैसा ही दंभ दिखा मानो उन्होंने मैदान मार ही लिया है. ये नेता भूल गए थे कि अंतिम परिणाम अभी आना बाकी है और जीत का फैसला एक्जिट पोल और टीवी चैनल पर नहीं बल्कि जनता जनार्दन की अदालत में होता है. चुनावी सर्वे और एक्जिट पोल में तमाम चैनल कांग्रेस के लिए कोई संभावना नहीं दिखा रहे थे लेकिन काउंटिंग के दिन टी20 जैसा रोमांच देखने को मिला. बेशक अब तक के रुझानों के अनुसार बीजेपी की सरकार बनती नजर आ रही है लेकिन यह लगभग सभी सर्वेक्षणों की दावों से अलग हैं. दूसरे शब्दों में कहें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के राज्य में कांग्रेस ने बीजेपी को कांटे की टक्कर देकर हर किसी को हैरान कर दिया. आज सुबह जब वोटों की गणना शुरू हुई तो शुरुआती रुझान बीजेपी के पक्ष में दिखे. पार्टी के समर्थकों का उत्साह ऊंचाई छू पाता, इसके पहले ही कांग्रेस ने स्थिति बेहतर करनी शुरू कर दी.
वीडियो: पीएम बोले, परिवर्तन के लिए पूरे सिस्टम में बदलाव करने होते हैं
एक समय तो ऐसा आया जब रुझानों में दोनों पार्टियों की बढ़त का अंतर दो-चार सीटों तक सीमित रह गया. ऐसे समय चुनाव विश्लेषक किसी अप्रत्याशित परिणाम की उम्मीद लगाने लगे थे. बहरहाल, ऐसा नहीं हो सका. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राज्य में धुआंधार प्रचार ने बीजेपी को संभावित शर्मिंदगी की स्थिति से उबार लिया. कांग्रेस के लिहाज से बात करें तो उसकी इसकी हार में भी उसकी 'जीत' छुपी है. इस बार वह बेहतर रणनीति के साथ मैदान में उतरी. चुनाव प्रचार की कमान संभालने वाले राहुल गांधी भी राजनेता के तौर पर परिपक्व नजर आए. एंटी इनकमबेंस फैक्टर के बावजूद कोई भी कांग्रेस की चुनौती को गंभीरता से नहीं ले रहा था लेकिन पार्टी ने जिस एकजुटता से लड़ाई लड़ी, उससे अगले वर्ष कुछ राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए उसके कार्यकर्ताओं में उत्साह का संचार होगा...
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एक समय तो ऐसा आया जब रुझानों में दोनों पार्टियों की बढ़त का अंतर दो-चार सीटों तक सीमित रह गया. ऐसे समय चुनाव विश्लेषक किसी अप्रत्याशित परिणाम की उम्मीद लगाने लगे थे. बहरहाल, ऐसा नहीं हो सका. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राज्य में धुआंधार प्रचार ने बीजेपी को संभावित शर्मिंदगी की स्थिति से उबार लिया. कांग्रेस के लिहाज से बात करें तो उसकी इसकी हार में भी उसकी 'जीत' छुपी है. इस बार वह बेहतर रणनीति के साथ मैदान में उतरी. चुनाव प्रचार की कमान संभालने वाले राहुल गांधी भी राजनेता के तौर पर परिपक्व नजर आए. एंटी इनकमबेंस फैक्टर के बावजूद कोई भी कांग्रेस की चुनौती को गंभीरता से नहीं ले रहा था लेकिन पार्टी ने जिस एकजुटता से लड़ाई लड़ी, उससे अगले वर्ष कुछ राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए उसके कार्यकर्ताओं में उत्साह का संचार होगा...
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