
टोरंटो:
कनाडा में भारतीय मूल के वैज्ञानिकों की एक टीम ने चीनी युक्त कागज की पट्टी विकसित की है जो भारत और दुनिया भर के गांवों में प्रदूषित पानी में उत्पन्न होने वाले ई कोलाई जीवाणु को मारने के लिए इस्तेमाल की जा सकती है ।
यॉर्क यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्ता सुशांत मित्रा के अनुसार उनकी खोज ‘‘डिपट्रीट’’ दुनियाभर में स्वास्थ्य लाभों के साथ नई पीढ़ी के किफायती और वहनीय जल शोधन उपकरणों के विकास में महत्वपूर्ण होगी ।
डिपट्रीट यॉर्क्स लैसोंडे स्कूल की माइक्रो एंड नैनो स्केल ट्रांसपोर्ट लैब के अनुसंधानकर्ताओं का नवीनतम नवोन्मेष है। यह प्रयोगशाला पहले ही एक सचल जल किट का इस्तेमाल कर प्रदूषित पानी में ई कोलाई का पता लगाने की विधियां खोज चुकी है।
मित्रा ने कहा, ‘‘अब डिपट्रीट के साथ, हमें पता चला है कि पानी में ई कोलाई का पता लगाने, इसे पकड़ने और खत्म करने में दो घंटे से कम समय लगेगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘प्रदूषित जल के नमूनों में डिपट्रीट को डुबोकर हम लगभग 90 प्रतिशत जीवाणुओं को प्रभावी तरीके से खत्म करने में सफल हो गए ।’’
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
यॉर्क यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्ता सुशांत मित्रा के अनुसार उनकी खोज ‘‘डिपट्रीट’’ दुनियाभर में स्वास्थ्य लाभों के साथ नई पीढ़ी के किफायती और वहनीय जल शोधन उपकरणों के विकास में महत्वपूर्ण होगी ।
डिपट्रीट यॉर्क्स लैसोंडे स्कूल की माइक्रो एंड नैनो स्केल ट्रांसपोर्ट लैब के अनुसंधानकर्ताओं का नवीनतम नवोन्मेष है। यह प्रयोगशाला पहले ही एक सचल जल किट का इस्तेमाल कर प्रदूषित पानी में ई कोलाई का पता लगाने की विधियां खोज चुकी है।
मित्रा ने कहा, ‘‘अब डिपट्रीट के साथ, हमें पता चला है कि पानी में ई कोलाई का पता लगाने, इसे पकड़ने और खत्म करने में दो घंटे से कम समय लगेगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘प्रदूषित जल के नमूनों में डिपट्रीट को डुबोकर हम लगभग 90 प्रतिशत जीवाणुओं को प्रभावी तरीके से खत्म करने में सफल हो गए ।’’
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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