
- नवरात्रि के पर्व में अष्टमी और नवमी तिथि को विशेष महत्व दिया जाता है.
- अष्टमी और नवमी को कन्या पूजन किया जाता है.
- कन्या पूजन में कन्याओं को हलवा, पूरी खीर का भोग लगाया जाता है.
Navratri 2021 Kanya Pujan: नौ दिनों तक चलने वाले इस पर्व की समाप्ति कन्या पूजन के साथ होती है. कन्या पूजन का नवरात्रि में बहुत ही महत्व माना गया है. पंचांग के अनुसार चैत्र नवरात्रि की नवमी तिथि 21 अप्रैल से आरंभ होगी. इस दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व बताया गया है. चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को भगवान राम के जन्मदिवस के रूप में भी मनाया जाता है. नवमी की तिथि को बहुत ही शुभ माना जाता है. नवमी की तिथि शुभ कार्यों को आरंभ करने के लिए भी उत्तम मानी गई है. नवमी तिथि का विशेष धार्मिक महत्व बताया गया है. नवरात्रि के पर्व में अष्टमी और नवमी तिथि को विशेष महत्व दिया जाता है. अष्टमी में मां महागौरी का पूजन किया जाता है. इस अष्टमी को महाअष्टमी के नाम से भी जाना जाता है. नवमी की तिथि मे मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है. इसी दिन कन्या पूजन किया जाता है. पूजन के बाद नवरात्रि व्रत का पारण किया जाता है.
कन्या पूजन विधिः
नौ दिनों तक चलने वाले इस पर्व की समाप्ति कन्या पूजन के साथ होती है. नवरात्रि में अष्टमी और नवमी का विशेष महत्व होता है. इन दोनों दिन लोग अपने घरों में कन्या पूजन करते है. इसके लिए सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और माता महागौरी और सिद्धीदात्री की अराधना करें. कन्या पूजन के लिए अपने घर में 2 से 10 साल तक की कन्याओं को भोजन करने के लिए बुलाएं.
कन्याओं और एक कंजक के पैर स्वच्छ जल से धोकर उन्हें आसन पर बिठाएं.
अब सभी कन्याओं का रोली या कुमकुम और अक्षत से तिलक करें.
इसके बाद गाय के उपले को जलाकर उसकी अंगार पर लौंग, कर्पूर और घी डालकर अग्नि प्रज्वलित करें.
इसके बाद कन्याओं के लिए बनाए गए भोजन में से थोड़ा सा भोजन पूजा स्थान पर अर्पित करें.
अब सभी कन्याओं और कंजक के लिए भोजन परोसे.
उन्हें प्रसाद के रूप में फल, सामर्थ्यानुसार दक्षिणा अथवा उनके उपयोग की वस्तुएं प्रदान करें.
सभी कन्याओं के पैर छूकर कर उनका आशीर्वाद प्राप्त कर उन्हें सम्मान पूर्वक विदा करें.

माता के भोग में कन्या पूजन के दौरान हलवा, खीर, पूरी का बहुत महत्व माना जाता है.
कन्या भोज के लिए बनाएं कुछ खास व्यंजनः
सूजी का हलवाः
भारत में आमतौर पर पूजा के मौके पर सूजी का हलवा बनाया जाता है, इसे रवा शीरा भी कहा जाता है. सूजी का हलवा खाने में बहुत ही स्वादिष्ट लगता है और इसे बनाना काफी आसान है. यह हलवा बनाने के लिए सिर्फ सूजी, चीनी, इलाइची और गार्निश करने के लिए बादाम की जरूरत है. रेसिपी के लिए यहां क्लिक करें.
सूखे काले चनेः
कन्या भोज में सूखे काले चने का काफी महत्व है. ये खाने में बहुत ही स्वादिष्ट लगते हैं, मसालेदार चने बनाने में बहुत ही आसान होते हैं. मसाले से भरपूर सूखे काले चने आमतौर पर नवरात्रि में पूजा के बाद दिए जाते हैं. इन चटपटे चनों को पूरी के साथ भी सर्व किया जाता है. रेसिपी के लिए यहां क्लिक करें.
चावल की खीरः
कन्या पूजन में हलवे के बाद जो सबसे ज्यादा व्यंजन बनाया जाता है. वो है खीर. खीर का नाम सुनते ही मुंह में पानी आ जाता है, अक्सर भारत में त्योहारों और खुशी के मौकों पर खीर बनाई जाती है. रेसिपी के लिए यहां क्लिक करें.
पूरीः
माता के भोग में कन्या पूजन के दौरान हलवा, खीर, पूरी का बहुत महत्व माना जाता है. कन्याओं को हलवे और खीर के साथ पूरी परोसी जाती है. पूरी को बनाना काफी आसान है. इसे साधारण आटे और तेल में फ्राई करके बनाया जाता है. रेसिपी के लिए यहां क्लिक करें.
नवमी की तिथिः
पंचांग के अनुसार नवमी तिथि का आरंभ 21 अप्रैल को मध्यरात्रि 12 बजकर 43 मिनट से होगा
और 22 अप्रैल मध्यरात्रि 12 बजकर 35 मिनट पर नवमी की तिथि का समापन होगा.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.
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