न्यूयॉर्क:
पूरी दुनिया में कैंसर एक ऐसी जानलेवा बीमारी है, जिससे हजारों लोग जूझ रहे हैं। कैंसर ही लोगों की मौत का कारण भी बन रहा है। हम सभी इसके दुष्परिणाम के बारे में जानते हैं। वैसे तो वैज्ञानिकों ने इसके लिए भी इलाज का तरीका ईजाद कर लिया है, लेकिन कई कैंसर अभी-भी ऐसे हैं,जो मरीज़ की जान ले सकते हैं।
कैंसर की ही तरह एचआईवी भी एक जानलेवा बीमारी मानी जाती है। लेकिन शोधकर्ताओं ने बताया है कि कैंसर के इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली रोग-प्रतिरक्षाचिकित्सा (इम्यूनोथेरेपी) को एचआईवी के खिलाफ प्रभावी रूप से इस्तेमाल किया जा सकता है। एचआईवी से एड्स नामक जानलेवा बीमारी होती है।
अध्ययन के निष्कर्ष के मुताबिक, हाल ही में खोजी गई शक्तिशाली एंटीबॉडी का इस्तेमाल एक विशेष प्रकार की कोशिका ‘चिमेरिक एंटीजेन रिसेप्टर्स’या ‘सीएआर’ को पैदा करने के लिए किया जा सकता है। यह एचआईवी-1 से संक्रमित कोशिकाओं को मारने में सक्षम है। सीएआर कृत्रिम रूप से उत्पन्न की जाने वाली प्रतिरक्षा टी कोशिकाएं हैं, जिन्हें इस तरह तैयार किया गया है कि ये अपने सतह पर रिसेप्टर पैदा करती हैं और विषाणु से संक्रमित या ट्यूमर प्रोटीन्स रखने वाली कोशिकाओं पर हमला कर उन्हें नुकसान पहुंचाती हैं।
शोध में चिमेरिक रिसेप्टर पर ध्यान केंद्रित किया गया है, ताकि जीन इम्यूनोथेरेपी का इस्तेमाल कैंसर से लड़ने में किया जा सके। लॉस एंजेलिस स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया में डेविड जेफेन स्कूल ऑफ मेडिसिन में प्रोफेसर ओटो यांग ने कहा कि “ये एचआईवी के खिलाफ भी मज़बूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाएं पैदा कर सकता है”।
शोधकर्ता एचआईवी के खिलाफ प्रतिरक्षा तंत्र को मज़बूत करने के तरीकों पर काम कर रहे हैं और नया शोध यह दर्शाता है कि इस लड़ाई में सीएआर एक घातक हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है।
यह निष्कर्ष पत्रिका ‘वाइरोलॉजी’ में प्रकाशित हुआ है।
(इनपुट्स आईएएनएस से
कैंसर की ही तरह एचआईवी भी एक जानलेवा बीमारी मानी जाती है। लेकिन शोधकर्ताओं ने बताया है कि कैंसर के इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली रोग-प्रतिरक्षाचिकित्सा (इम्यूनोथेरेपी) को एचआईवी के खिलाफ प्रभावी रूप से इस्तेमाल किया जा सकता है। एचआईवी से एड्स नामक जानलेवा बीमारी होती है।
अध्ययन के निष्कर्ष के मुताबिक, हाल ही में खोजी गई शक्तिशाली एंटीबॉडी का इस्तेमाल एक विशेष प्रकार की कोशिका ‘चिमेरिक एंटीजेन रिसेप्टर्स’या ‘सीएआर’ को पैदा करने के लिए किया जा सकता है। यह एचआईवी-1 से संक्रमित कोशिकाओं को मारने में सक्षम है। सीएआर कृत्रिम रूप से उत्पन्न की जाने वाली प्रतिरक्षा टी कोशिकाएं हैं, जिन्हें इस तरह तैयार किया गया है कि ये अपने सतह पर रिसेप्टर पैदा करती हैं और विषाणु से संक्रमित या ट्यूमर प्रोटीन्स रखने वाली कोशिकाओं पर हमला कर उन्हें नुकसान पहुंचाती हैं।
शोध में चिमेरिक रिसेप्टर पर ध्यान केंद्रित किया गया है, ताकि जीन इम्यूनोथेरेपी का इस्तेमाल कैंसर से लड़ने में किया जा सके। लॉस एंजेलिस स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया में डेविड जेफेन स्कूल ऑफ मेडिसिन में प्रोफेसर ओटो यांग ने कहा कि “ये एचआईवी के खिलाफ भी मज़बूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाएं पैदा कर सकता है”।
शोधकर्ता एचआईवी के खिलाफ प्रतिरक्षा तंत्र को मज़बूत करने के तरीकों पर काम कर रहे हैं और नया शोध यह दर्शाता है कि इस लड़ाई में सीएआर एक घातक हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है।
यह निष्कर्ष पत्रिका ‘वाइरोलॉजी’ में प्रकाशित हुआ है।
(इनपुट्स आईएएनएस से