हर साल भारत में करीब 1000 फ़िल्में बनती हैं। उनमें से ज़्यादातर फ़िल्मों में गाली-गलौच और दोहरे मतलब वाले शब्दों का इस्तेमाल होता रहता है, अब सेंसर बोर्ड ने एक सूची जारी की है जिसमें 36 शब्दों पर बैन लगाया गया है। इसी सूची और सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष पहलाज निहलानी के खिलाफ़ सेंसर बोर्ड में ही आवाज़ें उठ रही हैं।
जिस अपशब्द को कभी अपनी ही शोला और शबनम जैसी फ़िल्मों में जगह दी, उसे मिलाकर कुल 36 शब्दों पर सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष पहलाज निहलानी बैन लगा चुके हैं।
पर फ़िल्मी हस्तियों की नाराज़गी से पहले उनके ही सेंसर बोर्ड के सदस्य और फ़िल्मकार अशोक पंडित ने फ़ैसले पर आपत्ति जताई है। अशोक के मुताबिक 36 शब्दों पर रोक लगाने वाली सूची जारी करने से पहले बोर्ड सदस्यों को जानकारी नहीं दी गई।
एनडीटीवी से बात करते हुए अशोक पंडित ने कहा, ''ऐसे शब्दों को बैन करना रचनात्मकता की हत्या करने के समान है। सही ये होगा कि फ़िल्मकारों, लेखकों के साथ मिलकर नए गाइडलाइन्स तैयार करें और उनका हमपर से भरोसा न उठने दें क्योंकि इसी डर को हटाने के लिए फ़िल्म से जुड़े हम जैसे चेहरों को सेंसर बोर्ड में जगह मिली है।''
सेंसर बोर्ड की सूची में गाली-गलौच, दोहरे मतलब वाले शब्द, खून खराबे वाले सीन्स, यहां तक की 'बॉम्बे' शब्द के इस्तेमाल पर रोक लगाई गई है।
बोर्ड के सदस्यों की बैठक 23 फ़रवरी को होनी है, इस बैठक में सेंसर बोर्ड के प्रमुख के फ़ैसले पर भारी बहस की उम्मीद है।
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