फिल्म 'हमशकल्स' की कहानी है, दो दोस्तों अशोक और कुमार की, जिन किरदारों को निभाया है सैफ अली खान और रितेश देशमुख ने। अशोक बहुत ही रईस बिज़नेसमैन का बेटा है, जिसकी जायदाद हड़पने के लिए उसके मामा रयानी राम कपूर इन्हें किसी तरह पागलखाने पहुंचा देते हैं। यहां इनके हमशकल्स भी मौजूद हैं और यहीं से शुरू होता है कन्फ्यूजन का दौर। क्लाइमैक्स आते-आते इनके तीसरे हमशकल्स भी सामने आ जाते हैं।
यह एक कॉमेडी फिल्म है, जिसे साजिद खान ने बनाया है और हम सब जैसा कि जानते हैं साजिद खान की फिल्म देखते वक्त दिमाग लगाने की ज़रूरत नहीं होती, क्योंकि कहानी कभी भी कहीं से कहीं जा सकती है। 'हमशकल्स' के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है, ढेर सारी कंन्फ्यूजन, ढेर सारी भागदौड़। मगर इन सब के बीच कॉमेडी कुछ खास नजर नहीं आई। फिल्म में गिने-चुने सीन्स ही हैं, जिन पर वाकई आपको हंसी आएगी। मगर एक बात कहनी जरूरी है कि हमेशा की तरह साजिद ने बच्चों को हंसाने के लिए कुछ सीन्स रखे हैं। बड़े-बूढ़ों के लिए इमोशनल सीन्स को भी मजाकिया ढंग से पेश किया गया है और युवाओं के लिए कॉमेडी के साथ-साथ थोड़ा नाच-गाना भी फिल्म में आपको दिखेगा।
पुराने एक्टर्स की मिमिकरी के साथ-साथ साजिद ने अपनी फिल्म 'हिम्मतवाला' और फरहा खान की फिल्म 'तीसमार ख़ां' का मजाक भी उड़ाया है।
फिल्म के पहले सीन में सैफ अली खान स्टैंडअप कॉमेडी करते हैं, जिससे बोर होकर पब्लिक गालियां देती हुई थिएटर के बाहर जा रही है। अगर सैफ इसी तरह की कॉमेडी आगे करते रहे तो मुझे डर है कि कहीं उनके फैंस भी कहीं ऐसा ही रूप न दिखाएं।
रितेश देशमुख ने अच्छी कॉमेडी की है। अभिनेत्रियों का रोल करीब-करीब उतना ही है जितनी देर सैफ, रितेश और राम कपूर औरत के कपड़े पहनकर स्क्रीन पर नजर आए हैं।
अगर ऑडियंस की नजर से देखें तो किसे क्या पसंद आएगा, कुछ नहीं कह सकते, शायद इसलिए साजिद ने फिल्म में हर मसाला डालने की कोशिश की है। अगर फिल्म को मैं बतौर समीक्षक देखूं तो मुझे इस फिल्म में ऐसा कुछ खास नहीं लगा, जिसके लिए वाहवाही निकले। मेरी नजर में यह एक एवरेज फिल्म है, जिसके लिए मेरी रेटिंग है 2.5 स्टार्स।
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