यह ख़बर 04 जुलाई, 2014 को प्रकाशित हुई थी

'बॉबी जासूस' : कहानी हल्की-फुल्की, विद्या की अदाकारी दमदार

मुंबई:

इस शुक्रवार रिलीज हुई है विद्या बालन की 'बॉबी जासूस', जिसकी कहानी प्रोमोज देखकर साफ हो जाती है कि हैदराबाद में पली-बढ़ी बॉबी का एकमात्र सपना है कि वह एक बड़ी जासूस बने और उसका परिवार उसके इसी फितूर से नाराज रहता है। खासकर उसके पिता, जिनका किरदार निभाया है राजेंद्र गुप्ता ने।

बॉबी के परिवार को चिंता है कि 30 साल की बॉबी के लिए एक तो कोई रिश्ता नहीं आता, साथ ही जासूसी का चक्कर उसे उलझाए हुए है। वहीं उनकी मां, जिनका किरदार निभाया है सुप्रिया पाठक ने, उन्हें बॉबी पर पूरा भरोसा है और इसलिए वह उसका साथ भी देती हैं। लेकिन फिर बॉबी को जासूसी करते-करते यह एहसास होता है कि कहीं जासूसी के चक्कर में वह गलत हाथों की कठपुतली तो नहीं बन गई? आखिर वह कौन सा जाल है, जिसमें बॉबी खुद को फंसा लेती है?

फिल्म में नाराज पिता को बॉबी कैसे मना पाएगी, इन सवालों के जवाब हैं खुद बॉबी जासूस के पास। फिल्म को डायरेक्ट किया है समर शेख ने और इसके निर्माता हैं एक्ट्रेस दिया मिर्जा और रिलायंस इंटरटेनमेंट।

सबसे पहले बात विद्या बालन की, जिनके मजबूत कंधों पर यह फिल्म टिकी है। विद्या ने बड़ी जिंदादिली और एनर्जी के साथ यह किरदार निभाया है। एक बार फिर विद्या की अच्छी परफॉरमेंस नजर आई।

वैसे तो फिल्म की कहानी बड़ी मामूली सी है, अगर आप इसमें कुछ गहराई ढूंढने की कोशिश करेंगे, तो मायूस होंगे। 'बॉबी जासूस' एक हल्की-फुल्की स्टोरी है और सयुंक्ता चावला शेख के कसे हुए स्क्रीनप्ले और हेमल कोठारी की पैनी एडिटिंग ने एक मामूली कहानी को देखने लायक फिल्म में तब्दील कर दिया।

साथ ही मैं तारीफ करना चाहूंगा बाकी कलाकारों की भी, मसलन अली फजल, जो विद्या जैसी अभिनेत्री के सामने अच्छे दिखे, वहीं अर्जन बाजवा भी लाला के किरदार में अपनी छाप छोड़ जाते हैं। किरण कुमार की बेहतरीन परफॉरमेंस दिखी।

फिल्म को कमजोर करते हैं उसके गाने। फिल्म के पहले भाग में बिल्ड अप ज्यादा है, कहानी न के बराबर है और आपको विद्या के कारनामे ज्यादा नजर आएंगे। फिल्म कोई गंभीर या वजनदार संदेश दर्शकों के लिए नहीं छोड़ पाती है। हां, पर थोड़ा ही सही फिल्म इंटरटेन कर पाती है, इसलिए इस लाइट हार्टेड फिल्म को हमारी ओर से 3 स्टार...


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