फाइल फोटो
मुंबई:
बॉलीवुड में नायक और खलनायक दोनों ही विधाओं में माहिर माने जाने वाले राजबब्बर आज 63 साल के हो गए हैं।
उन्हें बचपन से ही एक्टिंग का शौक था और इसीलिए उन्होंने कुछ और करने के बजाय नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में दाखिला लिया।
उनकी किस्मत भी अच्छी रही कि कोर्स पूरा करते ही उन्हें फिल्मों में ब्रेक मिल गया था। उनकी पहली फिल्म 'किस्सा कुर्सी का' थी। फिल्म असफल रही, लेकिन इसने उनके करियर को धक्का जरूर दे दिया, जिससे उन्हें आगे काम मिलने में आसानी रही।
बॉलीवुड में सफलता का पहला स्वाद उन्हें 'इंसाफ का तराजू' में निभाए गए निगेटिव किरदार से चखा। इसमें उन्होंने एक रेपिस्ट की भूमिका निभाई। आमतौर पर पहले अभिनेता अपनी हीरो की छवि सुरक्षित रखने के लिए निगेटिव रोल से डरते थे, लेकिन राजबब्बर ने करियर के शुरुआती दौर में ही रेपिस्ट की भूमिका निभाने का जोखिम लिया। 'इंसाफ का तराजू' की सफालता के बाद राज बीआर चोपड़ा के प्रिय अभिनेता बन गए और उन्होंने राजबब्बर को लगभग अपनी हर फिल्म में काम देना शुरू कर दिया। उनकी सुपरहिट फिल्मों में बीआर चोपड़ा की 'निकाह' शामिल है। वह हिन्दी के साथ-साथ पंजाबी सिनेमा के भी लोकप्रिय सितारे रहे हैं।
खलनायक की इमेज से इतर उन्होंने रोमांटिक फिल्मों में भी काम करना जारी रखा। राजबब्बर ने विलेन के कई किरदार निभाएं और सफलता पाई, जिसमें 'जिद्दी', 'दलाल', 'दाग द फायर' खासी चर्चा में रहीं। 1994 में आई 'दलाल' फिल्म के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ खलनायक का पुरस्कार भी मिला।
'सौ दिन सास के' में उन्होंने अभिनेत्री रीना राय के पति की भूमिका निभाई। बॉक्स ऑफिस पर यह सुपरहिट रही, लेकिन अभिनेत्री प्रधान फिल्म होने की वजह से उन्हें अधिक नोटिस नहीं किया गया।
उनकी चर्चित फिल्मों में 'सौ दिन सास के', 'चन परदेसी' (पंजाबी फिल्म ), 'हम पांच', 'प्रेम गीत', 'उमराव जान', 'अर्पण', 'आसरा प्यार दा' (पंजाबी फिल्म), 'मेहंदी', 'नौकर बीवी का', 'लौंग द लश्कारा' (पंजाबी फिल्म), 'सुहागन', 'संसार', 'वारिस', 'घायल', 'रुदाली', 'दलाल', 'याराना', 'गुप्त', 'एलओसी कारगिल', 'कर्ज', 'बॉडीगार्ड', 'खिलाड़ी 786', 'तेवर', 'बंटी और बबली', 'फैशन' और 'साहब बीबी और गैंगस्टर' और 'बुलेट राजा' सरीखी फिल्मों में अभिनय कर चुके हैं।
दो शादियां...
अभिनय के साथ-साथ राजबब्बर अपने रिश्तों को लेकर खबरों में रहे हैं। उन्होंने दो शादियां की हैं। पहली पत्नी नादिरा हैं। नादिरा और राजबब्बर के दो बच्चे हैं, आर्य बब्बर और जूही बब्बर। राजबब्बर ने दूसरी शादी अपनी प्रेमिका स्मिता पाटिल से की। स्मिता की पहले बच्चे को जन्म देने के कुछ ही समय बाद मौत हो गई। स्मिता के बेटे का नाम प्रतीक बब्बर है।
राजबब्बर ने पहली पत्नी नादिरा को तलाक दिए बिना ही स्मिता से शादी कर ली थी। दबी जुबान में इसके लिए राजबब्बर का विरोध भी हुआ, लेकिन उन्होंने कभी इसे तवज्जो नहीं दी।
राजबब्बर राजनीति में भी सक्रिय
2004 में 14वें लोकसभा चुनाव में राजबब्बर फिरोजाबाद से समाजवादी पार्टी के सांसद चुने गए थे। 2006 में समाजवादी पार्टी से निलंबित होने के बाद उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता ली। कांग्रेस के प्रवक्ता रह चुके राज बब्बर ने 2014 लोकसभा चुनाव में गाजियाबाद से अपनी किस्मत आजमाई, लेकिन वह चुनाव हार गए।
उन्हें बचपन से ही एक्टिंग का शौक था और इसीलिए उन्होंने कुछ और करने के बजाय नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में दाखिला लिया।
उनकी किस्मत भी अच्छी रही कि कोर्स पूरा करते ही उन्हें फिल्मों में ब्रेक मिल गया था। उनकी पहली फिल्म 'किस्सा कुर्सी का' थी। फिल्म असफल रही, लेकिन इसने उनके करियर को धक्का जरूर दे दिया, जिससे उन्हें आगे काम मिलने में आसानी रही।
बॉलीवुड में सफलता का पहला स्वाद उन्हें 'इंसाफ का तराजू' में निभाए गए निगेटिव किरदार से चखा। इसमें उन्होंने एक रेपिस्ट की भूमिका निभाई। आमतौर पर पहले अभिनेता अपनी हीरो की छवि सुरक्षित रखने के लिए निगेटिव रोल से डरते थे, लेकिन राजबब्बर ने करियर के शुरुआती दौर में ही रेपिस्ट की भूमिका निभाने का जोखिम लिया। 'इंसाफ का तराजू' की सफालता के बाद राज बीआर चोपड़ा के प्रिय अभिनेता बन गए और उन्होंने राजबब्बर को लगभग अपनी हर फिल्म में काम देना शुरू कर दिया। उनकी सुपरहिट फिल्मों में बीआर चोपड़ा की 'निकाह' शामिल है। वह हिन्दी के साथ-साथ पंजाबी सिनेमा के भी लोकप्रिय सितारे रहे हैं।
खलनायक की इमेज से इतर उन्होंने रोमांटिक फिल्मों में भी काम करना जारी रखा। राजबब्बर ने विलेन के कई किरदार निभाएं और सफलता पाई, जिसमें 'जिद्दी', 'दलाल', 'दाग द फायर' खासी चर्चा में रहीं। 1994 में आई 'दलाल' फिल्म के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ खलनायक का पुरस्कार भी मिला।
'सौ दिन सास के' में उन्होंने अभिनेत्री रीना राय के पति की भूमिका निभाई। बॉक्स ऑफिस पर यह सुपरहिट रही, लेकिन अभिनेत्री प्रधान फिल्म होने की वजह से उन्हें अधिक नोटिस नहीं किया गया।
उनकी चर्चित फिल्मों में 'सौ दिन सास के', 'चन परदेसी' (पंजाबी फिल्म ), 'हम पांच', 'प्रेम गीत', 'उमराव जान', 'अर्पण', 'आसरा प्यार दा' (पंजाबी फिल्म), 'मेहंदी', 'नौकर बीवी का', 'लौंग द लश्कारा' (पंजाबी फिल्म), 'सुहागन', 'संसार', 'वारिस', 'घायल', 'रुदाली', 'दलाल', 'याराना', 'गुप्त', 'एलओसी कारगिल', 'कर्ज', 'बॉडीगार्ड', 'खिलाड़ी 786', 'तेवर', 'बंटी और बबली', 'फैशन' और 'साहब बीबी और गैंगस्टर' और 'बुलेट राजा' सरीखी फिल्मों में अभिनय कर चुके हैं।
दो शादियां...
अभिनय के साथ-साथ राजबब्बर अपने रिश्तों को लेकर खबरों में रहे हैं। उन्होंने दो शादियां की हैं। पहली पत्नी नादिरा हैं। नादिरा और राजबब्बर के दो बच्चे हैं, आर्य बब्बर और जूही बब्बर। राजबब्बर ने दूसरी शादी अपनी प्रेमिका स्मिता पाटिल से की। स्मिता की पहले बच्चे को जन्म देने के कुछ ही समय बाद मौत हो गई। स्मिता के बेटे का नाम प्रतीक बब्बर है।
राजबब्बर ने पहली पत्नी नादिरा को तलाक दिए बिना ही स्मिता से शादी कर ली थी। दबी जुबान में इसके लिए राजबब्बर का विरोध भी हुआ, लेकिन उन्होंने कभी इसे तवज्जो नहीं दी।
राजबब्बर राजनीति में भी सक्रिय
2004 में 14वें लोकसभा चुनाव में राजबब्बर फिरोजाबाद से समाजवादी पार्टी के सांसद चुने गए थे। 2006 में समाजवादी पार्टी से निलंबित होने के बाद उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता ली। कांग्रेस के प्रवक्ता रह चुके राज बब्बर ने 2014 लोकसभा चुनाव में गाजियाबाद से अपनी किस्मत आजमाई, लेकिन वह चुनाव हार गए।
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