प्रसून जोशी: 'जिन गानों पर महिलाओं को विरोध जताना चाहिए, उन्‍हीं पर वे नाच रही हैं...'

प्रसून जोशी: 'जिन गानों पर महिलाओं को विरोध जताना चाहिए, उन्‍हीं पर वे नाच रही हैं...'

खास बातें

  • प्रसून जोशी: महिलाओं को पता ही नहीं कि वह किस बात पर डांस कर रही हैं
  • प्रसून जोशी को मिली एमिटी यूनिवर्सिटी की ओर से मानद डॉक्टरेट की उपाधि
  • जयपुर साहित्‍य सम्‍मेलन में बोले प्रसून जोशी
नई दिल्‍ली:

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल 2017 के चौथे दिन यानी रविवार को हुई एक परिचर्चा में लेखक प्रसून जोशी ने कहा कि हिंदी फिल्मों के जिन गानों का महिलाओं को विरोध करना चाहिए वे उन्हीं गानों पर डांस करती हैं. हिंदी की कई फिल्‍मों में गीत लिख चुके प्रसून जोशी ने कहा कि हिंदी फिल्मों में महिलाओं को बहुत आपत्तिजनक तरीके से दिखाया जाता है. प्रसून ने कहा कि बुरे काम को नकारे बिना नए काम के लिए जगह नहीं बन सकती. राजस्थान की राजधानी में आयोजित होने वाले इस साहित्यक आयोजन का यह दसवां साल है. बता दें कि प्रसून जोशी को जयपुर साहित्य महोत्सव में एमिटी विश्वविद्यालय की ओर से मानद डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया गया है.

प्रसून जोशी ने कहा कि वह विज्ञापन बनाते समय इस बात का ख्याल रखते हैं कि वे महिलाओं की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने वाले या समाज के लिए नुकसानदेह न हों. जोशी ने कहा कि वह 15 साल की उम्र से कविता लिख रहे हैं लेकिन उन्हें पता था कि कविता से उनका खर्च नहीं चलेगा इसलिए उन्होंने विज्ञापन जगत को पेशे के तौर पर चुना.

प्रसून ने फिल्म 'तारे जमीं पर', 'भाग मिल्खा भाग' और 'रंग दे बसंती' के अलावा कई सारी प्रशंसित बॉलीवुड फिल्में लिखी हैं. प्रसून जोशी ने इस मौके पर न्‍यूज एजेंसी आईएएनएस को बताया 'आप अपने बच्चे को डॉक्टर या इंजीनियर बना सकते हैं, लेकिन आप उसे एक लेखक नहीं बना सकते, जब तक कि उसने बचपन से बहुत पढ़ा न हो. दुर्भाग्यवश शहरी जीवन में ऐसा संभव नहीं है. यहां तक कि साक्षर व्यक्ति जो शहर में रहता है वह अक्सर प्रकृति की यात्रा करता है, इससे उसे ऊर्जा मिलती है.' उन्हें ऐसा भी लगता है कि सिद्धांत की तुलना में पैसा अधिक मजबूत हो गया है.'

वहीं प्रसून जोशी को इस बात से शिकायत है कि भारत में लोगों को कविता ताजा हवा और पानी की तरह मुफ्त में चाहिए होती है और कोई उसके लिए पैसे नहीं देना चाहता. जोशी ने कहा कि कविता एक दृष्टि देती है. जो दूसरों को नहीं दिख रहा, उसके पार देख लेना कविता है. जोशी ने कहा कि वो कविता का इस्तेमाल एड बेचने के लिए करते हैं.

बातचीत में जोशी ने विज्ञापनों का बचाव करते हुए कहा विज्ञापन 'सच्चे' होते हैं क्योंकि वो किसी को बेवकूफ नहीं बनाते. विज्ञापन साफ कहते हैं कि वो विज्ञापन हैं. जोशी ने कहा कि बेवकूफ मीडिया बनाता है, जो न्यूज के नाम पर पेड न्यूज छापता है. जोशी ने कहा कि तकनीकी लोगों के बीच भेदभाव खत्म कर रही है. जोशी ने कहा कि तकनीकी सूचना को सबको उपलब्ध करा रही है इसलिए अब इस बात का ज्यादा महत्व है कि सूचना का कौन कैसे इस्तेमाल करता है.

जोशी को दो बार सर्वश्रेष्‍ठ गीत के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है और कला, साहित्य और विज्ञापन में योगदान देने के लिए भारत सरकार द्वारा 2015 में उन्हें पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया. प्रसून जोशी को शनिवार को जयपुर साहित्य महोत्सव में एमिटी विश्वविद्यालय की ओर से मानद डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया गया.

(इनपुट एजेंसियों से भी)


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