
शुक्रवार का दिन मां संतोषी को समर्पित होता है. इस दिन लोग मां संतोषी को प्रसन्न करने के लिए व्रत और पूजा पाठ करते हैं. व्रत और पूजा पाठ की विधि आपको आरती की किताब या गूगल में आसानी से मिल जाएगी. हम आपको मां संतोषी की महिमा दिखाने वाली एक फिल्म के बारे में बताने जा रहे हैं. वो फिल्म जिसने शोले का रंग भी फीका कर दिया था और थियेटर्स में ऐसी चली थी कि लंबे समय तक कोई भी इसे टक्कर नहीं दे पाया था. Jai Santoshi Maa सिनेमाघरों में 15 अगस्त 1975 को रिलीज हुई थी. इस फिल्म के बारे में कई किस्से हैं. रिलीज के बाद से सिनेमाघर रौशन थे. परिवार के साथ लोग मां की महिमा देखने के लिए थियेटर पहुंचते थे. फिल्म से जुड़े कई दिलचस्प फैक्ट्स हैं. वहीं इस फिल्म की इतनी चर्चा थी कि अमिताभ बच्चन और धर्मेंद्र की ब्लॉकबस्टर शोले भी इस फिल्म के आगे 50 साल पहले फीकी दिखी थी.
फिल्म को सिंगर्स ने बनाया बड़ा हिट
कहा जाता है कि फिल्म को सुपरहिट करवाने में गायकों का बहुत बड़ा हाथ था. फिल्म का हर एक गाना सुपरहिट था. खासतौर से ‘मैं तो आरती उतारूं रे, संतोषी माता की' भजन आने पर लोग भक्ति में डूब जाते थे. गायिका उषा मंगेशकर ने इस गाने को गाया था और सी.अर्जुन ने संगीत दिया था. सिलसिला यहीं नहीं रुका और आगे चलकर इसी गाने को मंदिरों में संतोषी माता की आरती के रूप में गाया जाने लगा. फिल्म के दूसरे गानों पर नजर डालें तो 'जय जय संतोषी माता, जय जय मां', 'यहां-वहां जहां तहां देखूं', 'करती हूं व्रत तुम्हारा', 'मदद करो संतोषी माता' गाना भी शामिल हैं.
चप्पल उतारकर थिएटर में जाते थे लोग
कहा जाता है कि माता की लीला और चमत्कार से भरी फिल्म को देखने के लिए दर्शक थिएटर में एंट्री करने से पहले चप्पल उतार देते थे और फिल्म शुरू होने से पहले हाथ में फूल, सिक्के लेकर बैठते थे और स्क्रीन पर माता के आने के तुरंत बाद सिक्के, माला-फूल उछालने लगते थे.
बजट से कई गुना मुनाफा करने में सफल थी फिल्म
बता दें, फिल्म के बजट को लेकर तय आंकड़ा नहीं मिलता है, लेकिन यह साल 1975 में सबसे ज्यादा कमाई वाली दूसरी हिंदी फिल्म बन गई थी. पहले नंबर पर अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र, हेमा मालिनी, जया बच्चन, संजीव कुमार स्टारर ‘शोले' थी, जिसकी चर्चा आज भी होती है.
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