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निहलानी ने कहा, 'इमर्जेंसी, दुनिया में देश को शर्मसार करने वाला समय था'
उन्होंने कहा, 'इंदु सरकार किसी का नाम नहीं है'
असल घटनाओं पर बनने वाली फिल्मों को लेनी होती है एनओसी
सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष पहलाज निहलानी ने न्यूज एजेंसी आईएएनएस से कहा, 'मैंने मधुर के ट्रेलर को देखा और मैं उन्हें भारतीय राजनीति के सबसे शर्मनाक अध्यायों में से एक पर से पर्दा हटाने के लिए बधाई देना चाहता हूं. यह पुरी दुनिया में देश को शर्मसार करने वाला समय था. बहुत से बड़े नेताओं को इस दौरान जेल जाना पड़ा. भारतीय लोगों के मनोबल को कुचला गया था.'
वास्तविक घटनाओं और परिस्थितियों पर बनने वाली फिल्मों को संबंधित लोगों से एनओसी लिए बिना पास नहीं किए जाने का नियम है. इस नियम के बारे में पूछे जाने पर सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष ने कहा, 'इंदु सरकार किसी का नाम नहीं है. इंदिरा गांधी या संजय गांधी या किसी और का ट्रेलर में कोई जिक्र नहीं है. आप केवल शारीरिक समानता की वजह से फिल्म में उन लोगों के उल्लेख का अनुमान लगा रहे हैं. मैंने ट्रेलर में किसी के नाम का जिक्र नहीं सुना. अगर फिल्म में उनका उल्लेख किया गया है, तो हम देखेंगे. फिलहाल, मुझे खुशी है कि किसी ने इमर्जेंसी पर एक फिल्म बनाई है. यह हमारे राजनीतिक इतिहास में 'काला धब्बा' (काला स्थान) है.'
'इंदु सरकार' के अलावा इन दिनों अनुपम खेर की फिल्म 'द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर', प्रधानमंत्री रह चुके मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार संजय बारू की किताब 'द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर: द मेंकिंग एंड अनमेकिंग ऑफ मनमोहन सिंह' पर फिल्म बनाने की घोषणा के साथ ही चर्चाएं शुरू हो गई हैं.
यहां देखें फिल्म 'इंदु सरकर' का ट्रेलर -
बता दें कि हाल ही में महिलाओं पर केंद्रित फिल्म 'लिपस्टिक अंडर माई बुर्का', को सेंसर बोर्ड ने भारत में बैन कर दिया था. निर्माता प्रकाश झा की इस फिल्म को दुनियाभर में काफी सराहा जा रहा है और इसे कुछ पुरस्कारों के लिए भी चुना गया है. इसी शुक्रवार को रिलीज हुई महिलाओं के मासिक धर्म से जुड़ी समस्या पर बनी फिल्म 'फुल्लू' को भी सेंसर बोर्ड 'ए' सर्टिफिकेट देकर विवादों में आ चुका है.
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