यह ख़बर 05 अगस्त, 2011 को प्रकाशित हुई थी

चला मुसद्दी ऑफिस ऑफिस : नयापन नहीं

खास बातें

  • ईमानदार रिटायर्ड मास्टर मुसद्दी को भ्रष्ट कमर्चारियों के सामने साबित करना है कि वह ज़िंदा है… वो भी रिश्वत दिए बगैर।
मुंबई:

मुसद्दीलाल अपने निकम्मे बेटे को लेकर बीवी की अस्थियां बहाने हरिद्वार जाता है। लेकिन उसकी गैरमौजूदगी में… सरकारी कर्मचारी मुसद्दी को मृत मानकर उसकी पेंशन बंद कर देते हैं। अब ईमानदार रिटायर्ड मास्टर मुसद्दी को भ्रष्ट कमर्चारियों के सामने साबित करना है कि वह ज़िंदा है… वो भी रिश्वत दिए बगैर। फिल्म टीवी शो ऑफिस ऑफिस पर है जिसके केंद्र में मुसद्दी नाम का आम आदमी… भ्रष्ट सरकारी दफ्तरों में एड़ियां रगड़ते दिखा था। सबसे पहले बता दूं कि… चला मुसद्दी ऑफिस ऑफिस….कॉमेडी फिल्म नही है बल्कि ये एक सटायर….या व्यंग्य है। डायरेक्टर राजीव मेहरा की ये फिल्म अच्छी शुरुआत लेती है लेकिन फिर बड़ा साधारण ड्रामा सामने आता है। किरदार बहुत टाइप्ड लगते हैं। चपरासी बस पान थूकता दिखता है और ऊषा मैडम… वोही तो…जैसा बोरिंग तकिया कलाम दोहराती हैं। क्लाइमैक्स रियेलिस्टिक नहीं है पर दिल को ज़रूर छूता है। एक्टर्स के अच्छे परफॉरमेंस। फिल्म सही वक्त पर आई है जब देशभर में भ्रष्टाचारविरोधी अभियान के चर्चे हैं। काश ये बेहतर फिल्म होती। चला मुसद्दी ऑफिस ऑफिस के लिए मेरी रेटिंग है 2.5 स्टार।


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