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This Article is From Jun 16, 2015

'मृगया' से 'अग्निपथ' : मिथुन चक्रवर्ती हुए 65 के, पहली ही फिल्म में मिला था नेशनल अवार्ड

'मृगया' से 'अग्निपथ' : मिथुन चक्रवर्ती हुए 65 के, पहली ही फिल्म में मिला था नेशनल अवार्ड
मिथुन अपने बेटे महाअक्षय के साथ (फाइल फोटो)
मुंबई: शानदार लुक्स, जानदार आवाज, मजबूत शरीर! जी हां, बॉलीवुड में हीरो की पहचान के इस पैमाने को मिथुन ने अपने डांसिंग स्टाइल से रातोंरात पलट दिया था। न कोई गॉडफादर न फिल्मी बैकग्राउंड, बावजूद इसके मिथुन आज तक बॉलीवुड में टिके हुए हैं।

मिथुन का जन्म 16 जून 1950 को कोलकाता में हुआ। इनका असली नाम गौरांग चक्रवर्ती है। स्नातक की शिक्षा कोलकाता के मशहूर स्कॉटिश चर्च से पूरी करने के बाद अभिनेता बनने के लिए उन्होंने पुणे फिल्म संस्थान में दाखिला ले लिया।

सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार हासिल करने के लिए कलाकारों को जहां कई वर्षों का समय लग जाता है, वहीं मिथुन चक्रवर्ती उन चंद अभिनेताओं में शामिल हैं, जिन्हें अपनी पहली ही फिल्म के लिए ये पुरस्कार हासिल हुआ था।
      
साल 1976 में आई फिल्म 'मृगया' में बतौर अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती के सिने करियर की पहली फिल्म थी। फिल्म में उन्होंने एक ऐसे युवक 'मृगया' की भूमिका निभाई, जो अंग्रेजी हूकुमत द्वारा अपनी पत्नी के यौन शोषण के खिलाफ आवाज उठाता है।

फिल्म में उन्हें दमदार अभिनय के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। 'मृगया' के बाद मिथुन ने 'दो अंजाने', 'फूल खिले हैं गुलशन-गुलशन' जैसी कुछ फिल्मों में छोटी-मोटी भूमिका निभाई, लेकिन बात नहीं बनी।
      
साल 1979 में आई रविकांत नगाइच की फिल्म 'सुरक्षा' मिथुन के करियर की पहली सुपरहिट फिल्म साबित हुई। मिथुन चक्रवर्ती की किस्मत का सितारा साल 1982 में आई फिल्म 'डिस्को डांसर' से चमका। डिस्को डांसर की सफलता के बाद मिथुन चक्रवर्ती की छवि एक डांसिग स्टार के रूप में बन गई।  उन्होंने अपने 'डिस्को डांस' से एक दौर में लाखों सिनेमा प्रेमियों को अपना दीवाना बना दिया था। जबरदस्त नृत्य शैली और अभिनय से दर्शकों के बीच अपनी खास पहचान बनाने वाले मिथुन दा जैसा बॉलीवुड में आज कोई दूसरा कलाकर नहीं है। उनका अपना अलग स्टाइल था, जो गांवों और छोटे कस्बों में लोगों के सिर चढ़कर बोलता था।
    
अस्सी के दशक में मिथुन चक्रवर्ती उन निर्माताओं की पहली पसंद बन गए, जो कम बजट की पारिवारिक फिल्में बनाते थे। इस दौर में वह फिल्म निर्माताओं के लिए 'गरीबो का अमिताभ' बनकर उभरे और कई सफल फिल्मों में काम करके दर्शकों का मनोरंजन करने में सफल रहे।

90 के दशक के आखिरी वर्ष में उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री से कुछ हद तक किनारा कर लिया और ऊटी चले गए, जहां वह होटल व्यवसाय करने लगे हालांकि इस दौर में भी उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री से अपना नाता पूरी तरह से नहीं तोड़ा और फिल्मों में अभिनय कर दर्शकों का मन मोहते रहे।

मिथुन ने एक्ट्रेस योगिता बाली से शादी की और वह तीन बेटे और एक बेटी के पिता हैं। उनके बेटे मिमो चक्रवर्ती ने 2008 में बॉलीवुड फिल्म 'जिमी' से अपने अभिनय की शुरुआत की। उनके दूसरे बेटे रिमो चक्रवर्ती ने फिल्म 'फिर कभी' में छोटे मिथुन की भूमिका की। मिथुन के अन्य दो बच्चे नमाशी चक्रवर्ती और दिशानी चक्रवर्ती अभी पढ़ाई कर रहे हैं।
      
मिथुन के दमदार अभिनय की कहानी उनको प्राप्त अवार्ड और पुरस्कारों में झलकती है। मिथुन को अब तक दो बार फिल्म फेयर पुरस्कार और तीन बार राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। सबसे पहले साल 1990 में प्रदर्शित फिल्म 'अग्निपथ' के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता और फिर साल 1995 में प्रदर्शित फिल्म 'जल्लाद' के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ खलनायक के फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

कुल मिलाकर बॉलीवुड की 350 से अधिक फिल्मों में अभिनय के अलावा उन्होंने बांग्ला, उड़िया और भोजपुरी में भी बहुत सारी फिल्में कीं। मिथुन का मौजूदा साथी टीवी की दुनिया है।

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