इस हफ्ते आइडेंटिटि कार्ड नाम की एक फ़िल्म रिलीज़ हुई है, जिसे डायरेक्ट किया है राहत काज़मी ने। मुख्य किरदार निभाए हैं टिया वाजपई, फ़ुर्कन मर्चेंट, सौरभ शुक्ला, ब्रिजेंद्र काला, प्रशांत, विपिन शर्मा और रघुवीर यादव ने।
फ़िल्म में नाज़िया यानी टिया वाजपई एक पत्रकार है और उन्हें डॉक्यूमेंट्री बनाने के लिए कश्मीर भेजा जाता है। उनके फ़ेसबुक फ्रेंड अजय कुमार उनकी मदद करते हैं और उन्हें एक गाइड से मिलवाते हैं, जिनका नाम है राजू। इस बीच इन्हें स्पेशल टास्क फ़ोर्स गिरफ्तार कर लेती है और इनसे पूछताछ का सिलसिला शुरू हेाता है।
आइडेंटिटि कार्ड दिखाती है कि कश्मीर में हर इंसान किस तरह शक के दायरे में होता है। फ़िल्म में ये भी दिखाया गया है कि स्पेशल टास्क फोर्स के सामने क्या क्या चुनौतियां हैं। ये फ़िल्म कश्मीर के मुद्दे की बात नहीं करती, बल्कि यहां रह रहे लोग और आतंकवाद से जूझती पूलिस की कहानियां कहती है।
निर्देशक राहत काज़मी और संजय अमर की दाद देनी पड़ेगी कि उन्होंने कम से कम एक संजीदा मुद्दा चुना, नहीं तो वह भी फ़िल्म बनाने के लिए हल्का-फुल्का विषय चुन सकते थे। फ़िल्म में बजट की कमी साफ़ नज़र आती है, लेकिन सौरभ शुक्ला और ब्रिजेंद्र काला की जुगलबंदी इस ओर नज़र जाने नहीं देती। इन दोनों ने गुदगुदाते हुए अलग-अलग नज़रियों को अपने डायलॉग के ज़रिए बड़ी खूबसूरती से सामने रखा। वहीं जूनियर इंस्पेक्टर के रोल में प्रशांत का भी फ़िल्म में काबिल−ए−तारीफ़ काम है। इन्होंने एक शादीशुदा पुलिस वाले का किरदार निभाया है। टिया वाजपई और फ़ुर्कन मर्चेंट को अभिनय पर और मेहनत करने की ज़रूरत है। ये सौरभ शुक्ला, ब्रिजेंद्र काला और विपिन शर्मा के सामने कच्चे खिलाड़ी साबित होते हैं। विपिन शर्मा सीनियर पुलिस अफ़सर के किरदार में दशर्कों पर अपना प्रभाव डालते हैं।
फ़िल्म के स्क्रीनप्ले को दिलचस्प बनाने की कोशिश में फ़िल्मकार ने उसे ऐसा बना दिया, जिसे देख दशर्कों का ध्यान भंग हो सकता है। फ़िल्म के कुछ सीन्स में थिएटर नज़र आता है पर स्क्रिप्ट और एक्टिंग दशर्कों को बांधकर रखती है। फ़िल्म की एडिटिंग आपको झटका दे सकती है, लेकिन मैं मानता हूं कि आइडेंटिटि कार्ड आप पर असर भी छोड़ेगी साथ ही इंटरटेन भी करेगी। इस फ़िल्म को मेरी ओर से 3 स्टार्स।
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