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अगर फिल्म में दीपिका पादुकोण और रणबीर कपूर न होते तो इसका भविष्य डांवाडोल होता... खैर, फिल्म देखिए, क्योंकि इसमें आपको कहानी भले न मिले, लेकिन मनोरंजन ज़रूर मिलेगा...
पहला, उन लोगों का नज़रिया, जो कॉलेज जाने वाले लोग हैं, और अपनी पढ़ाई खत्म कर अपने सपनों को पाने की तलाश में हैं... ऐसे ही कुछ लोगों के साथ मैंने यह फिल्म देखी है... शो था सुबह करीब 10 बजे का और आधे से ज़्यादा सिनेमा हॉल भरा हुआ था... लोग फिल्म के किरदारों के वन-लाइनर्स का लुत्फ उठा रहे थे...
रणबीर कपूर की अदायगी, कल्कि कोएचलिन के बिंदासपन, आदित्य रॉय कपूर के फ्लर्ट करने और दीपिका पादुकोण की सादगी पर लोग तालियां भी बजा रहे थे, और अपने-अपने पसंदीदा स्टार्स पर वारी-वारी भी जा रहे थे... शायद इन लोगों को फिल्म में भरपूर मनोरंजन मिला...
लेकिन अब मैं दूसरे नज़रिये से बात करूंगा, जिसमें ज़िक्र होगा फिल्म की कहानी का... मेरे हिसाब से कहानी कमज़ोर है, या यूं कहिए कि कहानी है ही नहीं... फिल्म एक समय के बाद लंबी लगना शुरू हो जाती है... स्क्रीनप्ले उलझकर रुक जाता है और फिल्म जो भी थोड़ी-बहुत आगे बढ़ी है, उस पर ब्रेक लग जाता है...
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स्पेशल वीडियो रिपोर्ट : '100-करोड़ क्लब' में शामिल हुई 'यह जवानी है दीवानी'
फिल्म समीक्षा वीडियो में : 'यह जवानी है दीवानी' को 2.5 स्टार
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फिल्म समीक्षा वीडियो में : 'यह जवानी है दीवानी' को 2.5 स्टार
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इसके बाद अगर कोई चीज़ फिल्म को थोड़ा-बहुत बचाती है तो वह है रणबीर कपूर की एक्टिंग, उनके डॉयलाग्स की अदायगी और उनका करिज़्मा... दीपिका पादुकोण ने अपना किरदार बराबर पकड़कर रखा है और बेहतरीन परफॉरमेंस दी है, और ऐसी ही परफॉरमेंस कल्कि और आदित्य की भी है...
फिल्म का दूसरा सेविंग ग्रेस है इसके गाने और प्रीतम का संगीत... गाने बहुत अच्छे हैं, लेकिन काश, उन्हे कहानी में ढंग से पिरोया गया होता... मसलन, 'बलम पिचकारी...' अचानक शुरू हो जाता है... 'माधुरी का घाघरा...' पहले ही लोगों को पसंद आ चुका है, लेकिन यह भी ज़बरदस्ती ठूंसा हुआ लगता है... वैसे सभी गानों के बोल अच्छे हैं, और सिनेमाटोग्राफी भी...
कुल मिलाकर कहूंगा कि अगर फिल्म में दीपिका पादुकोण और रणबीर कपूर न होते तो इसका भविष्य डांवाडोल हो सकता था... खैर, आप लोग जाइए और फिल्म देखिए... इसमें भले ही आपको कहानी न मिले, लेकिन मनोरंजन ज़रूर मिलेगा... मेरी तरफ से इस फिल्म को 2.5 स्टार...
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