फिल्म का एक दृश्य.
मुंबई:
फिल्म 'तुम बिन 2' प्रेमी जोड़े तरन और अमर की कहानी है जो लन्दन में रहते हैं. एक दुर्घटना की वजह से अमर गायब है और उसे मरा हुआ समझ लिया जाता है. तभी अमर के परिवार की ज़िंदगी में शेखर आ जाता है और उस परिवार और तरन की जिंदगी में खुशियां भर देता है. यहां तक की तरन और शेखर में इश्क़ शुरू हो जाता है और तभी 8 महीनों तक किसी और जगह कोमा में रहने के बाद अमर अपने घर वापस आ जाता है और फिल्म बन जाती है त्रिकोणीय प्रेम कहानी. क्लाइमेक्स में तरन किसे मिलेगी यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी.
इस तरह की त्रिकोणीय प्रेम कहानी आपने पहले कई बार देखी होगी मगर हर फिल्म को एक दूसरे से अलग बनाती है उसकी पटकथा. इस फिल्म का स्क्रीनप्ले भी अलग है. फिल्म के पहले हाफ में अच्छे इमोशनल सीन हैं. प्यार से बिछड़ने का दर्द है. जवान बेटे को खोने का पिता का दुख है. फिल्म में तरन के साथ रूम में रहने वाले किरदार कुछ और जान डालते हैं. इन किरदारों के बीच हंसी मजाक के दृश्य हैं जो दर्शकों को समय समय पर सीरियस माहौल से बाहर निकलते हैं. लन्दन और आस पास के इलाकों के सुन्दर दृश्य हैं. बीच बीच में कानों को अच्छे लगने वाले संगीत की आवाज़ सुनाई देती है. नेहा शर्मा, आदित्य सील और असीम गुलाटी ने अपने अपने किरदारों को अच्छे से निभाया है.
'तुम बिन-2' का एक सीन मुझे बेहद पसंद आया जिसमें दिखाया गया है कि एक पाकिस्तानी हिन्दू परिवार लन्दन में है. वह परिवार धर्म और संस्कृति में फर्क समझता है. इस सीन के द्वारा अनुभव सिन्हा ने बड़े ही अच्छे से बहुत कुछ कह दिया है.
मगर इंटरवल के बाद फिल्म में सब कुछ उल्टा होने लगता है. फिल्म की रफ़्तार धीमी पड़ने लगती है और इसकी लंबाई ज्यादा लगने लगती है. ऐसा लगने लगता है कि लेखक और निर्देशक अनुभव सिन्हा के पास फिल्म के दूसरे भाग में दिखाने को कुछ बचा ही नहीं इसलिए वो फिल्म को खींचने लगे. इसलिए इस फिल्म के लिए मेरी रेटिंग है 2.5 स्टार.
इस तरह की त्रिकोणीय प्रेम कहानी आपने पहले कई बार देखी होगी मगर हर फिल्म को एक दूसरे से अलग बनाती है उसकी पटकथा. इस फिल्म का स्क्रीनप्ले भी अलग है. फिल्म के पहले हाफ में अच्छे इमोशनल सीन हैं. प्यार से बिछड़ने का दर्द है. जवान बेटे को खोने का पिता का दुख है. फिल्म में तरन के साथ रूम में रहने वाले किरदार कुछ और जान डालते हैं. इन किरदारों के बीच हंसी मजाक के दृश्य हैं जो दर्शकों को समय समय पर सीरियस माहौल से बाहर निकलते हैं. लन्दन और आस पास के इलाकों के सुन्दर दृश्य हैं. बीच बीच में कानों को अच्छे लगने वाले संगीत की आवाज़ सुनाई देती है. नेहा शर्मा, आदित्य सील और असीम गुलाटी ने अपने अपने किरदारों को अच्छे से निभाया है.
'तुम बिन-2' का एक सीन मुझे बेहद पसंद आया जिसमें दिखाया गया है कि एक पाकिस्तानी हिन्दू परिवार लन्दन में है. वह परिवार धर्म और संस्कृति में फर्क समझता है. इस सीन के द्वारा अनुभव सिन्हा ने बड़े ही अच्छे से बहुत कुछ कह दिया है.
मगर इंटरवल के बाद फिल्म में सब कुछ उल्टा होने लगता है. फिल्म की रफ़्तार धीमी पड़ने लगती है और इसकी लंबाई ज्यादा लगने लगती है. ऐसा लगने लगता है कि लेखक और निर्देशक अनुभव सिन्हा के पास फिल्म के दूसरे भाग में दिखाने को कुछ बचा ही नहीं इसलिए वो फिल्म को खींचने लगे. इसलिए इस फिल्म के लिए मेरी रेटिंग है 2.5 स्टार.
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