फिल्म 'टोटल सियापा' की कहानी घूमती है लंदन में बसे हुए एक पाकिस्तानी लड़के और वहीं रह रही एक हिन्दुस्तानी लड़की के प्यार के इर्द-गिर्द, जहां आशा का किरदार निभा रहीं यामी गौतम अपने ब्वॉयफ्रेंड अमन, यानि अली ज़फ़र को अपने घर लाती हैं अपने परिवार से मिलवाने के लिए... बस, अमन की आशा के घर में इस एन्ट्री के बाद 'सियापा' शुरू हो जाता है...
वैसे, आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 'सियापा' एक पंजाबी शब्द है, जिसका अर्थ होता है 'रोना-पीटना' और 'बहुत बड़ी गड़बड़'... इस फिल्म में इसे 'बहुत बड़ी गड़बड़' के संदर्भ में लिया गया है... आशा का परिवार उस पाकिस्तानी लड़के को अपने दामाद के रुप में नहीं स्वीकारता... 'टोटल सियापा' क्रॉस-बॉर्डर लवस्टोरी जैसे गंभीर विषय पर आधारित है, लेकिन इसे कॉमेडी का रूप दिया गया है...
हम 'टोटल सियापा' के प्रोमो देखकर बड़ी उम्मीद बांधकर थिएटर पहुंचे थे, और हमारी दिलचस्पी यह जानने में थी कि एक हिन्दुस्तानी लड़की अपने परिवार से जब पाकिस्तानी ब्वॉयफ्रेंड को मिलवाएगी, तो कैसी बनेगी सिचुएशन और कैसा होगा 'सियापा', लेकिन ये रिएक्शन चंद ही दृश्यों में खत्म हो गए...
इसके बाद पूरी फिल्म इधर-उधर घूमती रही, बिना वजह कई किरदार आते और जाते रहे... एक वक्त के बाद ऐसा लगने लगा कि कहानी को आगे बढ़ाने के लिए दृश्यों को जबरन डाला गया है... अनुपम खेर जैसे उम्दा कलाकार को भी निर्देशक फिल्म में ढंग से इस्तेमाल नहीं कर पाए... हालांकि किरण खेर, अली ज़फ़र और यामी गौतम ने अच्छा अभिनय किया है, मगर सभी कमज़ोर कहानी के शिकार बनकर रह गए...
अगर आपने 'टोटल सियापा' के प्रोमो देखे हैं, और उन पर आपको हंसी आई है, तो यह बताना चाहूंगा कि प्रोमो में दिख चुके दृश्यों के अलावा कुल एक या दो ही मज़ेदार कहे जा सकने लायक दृश्य 'टोटल सियापा' में मिलेंगे... फिल्म को कॉमेडी की तरह दर्शकों के सामने परोसा ज़रूर गया है, लेकिन न इसमें कॉमेडी है, न ही रोमांस... सो, इस फिल्म के लिए मेरी रेटिंग है - 1.5 स्टार...
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