यह ख़बर 12 सितंबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

फिल्म रिव्यू : ज़िन्दगी की बोरियत दूर करती है 'फाइंडिंग फैनी'

मुंबई:

कई विवादों से गुज़रकर दीपिका पादुकोण और अर्जुन कपूर की फिल्म 'फाइंडिंग फैनी' इस शुक्रवार रिलीज़ हुई है... फिल्म का निर्देशन किया है 'कॉकटेल' और 'बीइंग साइरस' जैसी फिल्मों के निर्देशक होमी अदजानिया ने, और दीपिका व अर्जुन के अलावा फिल्म में प्रमुख भूमिकाएं निभाई हैं, नसीरुद्दीन शाह, पंकज कपूर और डिंपल कपाड़िया ने...

'फाइंडिंग फैनी' की कहानी है, गोवा के पोकोलिम नामक एक गांव की, जहां फर्डी, डॉन पेड्रो, एंजी, रोज़ी और सैवियो रहते हैं... इस गांव में लोगों की ज़िन्दगी का कोई खास मकसद नहीं है, और लोग दिनभर फिज़ूल की बातों में ही वक्त बिताते हैं...

फिल्म के पांचों प्रमुख किरदार भी सुस्त ज़िन्दगी जी रहे हैं, लेकिन तभी पोस्टमैन फर्डी, यानि नसीरुद्दीन शाह को एक खत मिलता है, जो उन्होंने 46 साल पहले अपने प्यार फैनी को लिखा था, लेकिन वह गंतव्य तक नहीं पहुंच पाया था... फर्डी की दोस्त एंजी, यानि दीपिका पादुकोण बीड़ा उठाती है, फर्डी के साथ मिलकर फैनी को ढूंढने का...

दीपिका पादुकोण फिल्म में एक विधवा का किरदार निभा रही हैं, जिनके पति, यानि मेहमान भूमिका निभा रहे रणवीर सिंह शादी वाले दिन ही मर जाते हैं... इसके बाद फैनी की तलाश में फर्डी और एंजी के साथ जुड़ते हैं, डॉन पेड्रो, यानि पंकज कपूर, जिन्होंने एक ऐसे पेंटर का किरदार निभाया है, जो रोज़ी, यानि डिंपल कपाड़िया को बहुत चाहता है... फिल्म में डिंपल दरअसल दीपिका की सास के किरदार में हैं... वहीं सैवियो की भूमिका में दिखेंगे अर्जुन कपूर, जो एंजी के बचपन के दोस्त भी हैं... अब ये पांचों लोग मिलकर फर्डी के प्यार फैनी को ढूंढने निकल पड़ते हैं, और इनके इस सफर में क्या-क्या होता है, यह जानने के लिए आपको फिल्म 'फाइंडिंग फैनी' देखनी पड़ेगी...

अब बात करते हैं, फिल्म की खामियों और खूबियों की... 'फाइंडिंग फैनी' हिन्दी सिनेमा के फिल्मांकन के कई नियम तोड़ती है... 'फाइंडिंग फैनी' बाकी बॉलीवुड फिल्मों से ज़रा हटकर है, क्योंकि इसे बॉलीवुड की मसाला फिल्मों की तरह खींचकर लंबा नहीं किया गया है... यह महज़ डेढ़ घंटे की फिल्म है... होमी अदजानिया ने फिल्म के किरदारों को बड़ी खूबसूरती से गढ़ा है... 'फाइंडिंग फैनी' ठहराव के साथ परिस्थितियों पर चुटकी लेती हुई फिल्म है, जिसमें फिज़ूल का मसाला और बनावट नहीं है... फिल्म के किरदार जितने साधारण दिखाए गए हैं, फिल्मांकन भी उतनी ही सादगी और ईमानदारी से भरपूर है...

नसीर का अभिनय लाजवाब है, और पंकज कपूर ने भी बेहद खूबसूरती से अपने किरदार को अंजाम तक पहुंचाया है... दिलचस्प बात यह है कि नसीरुद्दीन और पंकज जब फिल्म में एक साथ नज़र आते हैं, तो ऐसा लगता है, मानो अभिनय का सिलसिला इन्हीं से शुरू होकर इन्हीं पर खत्म हुआ हो... इन दो दिग्गजों के सामने दीपिका पादुकोण ने सहज और संतुलित अदाकारी की है, और कहीं पर भी खुद को कम नहीं पड़ने दिया... अर्जुन कपूर भी इन सबके बीच निखरकर सामने आते हैं, और डिंपल भी मौजूदगी दर्ज करवाने में कामयाब रही हैं... और जहां तक 'फाइंडिंग फैनी' के गीतों का सवाल है, वे लोगों को पहले ही पसंद आ चुके हैं...

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अब अगर खामियों की बात करें, तो जो लोग इस फिल्म से बॉलीवुड की टिपिकल मसाला फिल्मों जैसी उम्मीद रखेंगे, उन्हें शायद निराशा होगी... आजकल की तेज़ रफ़्तार फिल्मों से बेहद अलग है 'फाइंडिंग फैनी', सो, जिन्हें अलग तरह का सिनेमा थोड़ा-सा भी पसंद है, उन्हें इस फिल्म से कोई शिकायत नहीं होगी... हालांकि मुझे फिल्म की शुरुआत में किरदारों का परिचय थोड़ा लंबा लगा, जिसे दीपिका ने अपनी आवाज़ में नैरेट, यानि प्रस्तुत किया है, लेकिन मैं मानता हूं कि यह फिल्म ज़िन्दगी की बोरियत दूर करती है, और इसीलिए 'फाइंडिंग फैनी' के लिए मेरी रेटिंग है - 4 स्टार...