स्वस्तिका मुखर्जी (फाइल फोटो)
कोलकाता:
अभिनेत्री स्वस्तिका मुखर्जी का कहना है कि सेंसर बोर्ड ‘मूखर्तापूर्ण तरीके से’ काम करता है, क्योंकि बोर्ड ने शुरुआत में एक बांग्ला फिल्म में उनके बोल्ड सीन काटने का सुझाव दिया था.
स्वस्तिका ने कहा, ‘‘फिल्म ‘साहब बीवी और गुलाम’ में मेरा बीवी का किरदार दूसरे किरदारों से जुड़ा हुआ है और यह उनकी जिंदगियों में मायने रखता है. यह अंत में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. मेरे किरदार को मारकर वे (सेंसर बोर्ड) फिल्म को मार डालते. अगर यह सीबीएफसी के कुछ सदस्यों की मूखर्ता नहीं है तो क्या है.’
हिन्दी फिल्म ‘डिटेक्टिव ब्योमकेश बख्शी’ की अभिनेत्री को लगता है कि बोर्ड का रवैया ‘हठी और रूढ़िवादी’ है. उन्होंने कहा कि इसके पीछे वही विचारधारा है कि महिलाएं सेक्स और यौन इच्छाओं के बारे में बात नहीं कर सकतीं या उस तरह से कल्पनाएं नहीं कर सकतीं जिस प्रकार मेरा किरदार करता है. अभिनेत्री ने कहा, ‘दर्शक और फिल्मकार क्यों नुकसान उठाएं? साहब बीवी गुलाम एक समझ से भरी व्यवसायिक फिल्म है.’
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
स्वस्तिका ने कहा, ‘‘फिल्म ‘साहब बीवी और गुलाम’ में मेरा बीवी का किरदार दूसरे किरदारों से जुड़ा हुआ है और यह उनकी जिंदगियों में मायने रखता है. यह अंत में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. मेरे किरदार को मारकर वे (सेंसर बोर्ड) फिल्म को मार डालते. अगर यह सीबीएफसी के कुछ सदस्यों की मूखर्ता नहीं है तो क्या है.’
हिन्दी फिल्म ‘डिटेक्टिव ब्योमकेश बख्शी’ की अभिनेत्री को लगता है कि बोर्ड का रवैया ‘हठी और रूढ़िवादी’ है. उन्होंने कहा कि इसके पीछे वही विचारधारा है कि महिलाएं सेक्स और यौन इच्छाओं के बारे में बात नहीं कर सकतीं या उस तरह से कल्पनाएं नहीं कर सकतीं जिस प्रकार मेरा किरदार करता है. अभिनेत्री ने कहा, ‘दर्शक और फिल्मकार क्यों नुकसान उठाएं? साहब बीवी गुलाम एक समझ से भरी व्यवसायिक फिल्म है.’
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