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This Article is From Feb 17, 2016

फिल्म अलीगढ़ का विरोध करने वालों को समझाने के लिए आगे आए अभिनेता मनोज बाजपेयी

फिल्म अलीगढ़ का विरोध करने वालों को समझाने के लिए आगे आए अभिनेता मनोज बाजपेयी
फिल्म अलीगढ़ में मनोज बाजपेयी (फाइल फोटो)
मुंबई: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर की ज़िन्दगी पर आधारित फ़िल्म 'अलीगढ़' को देखने के बाद वहां के छात्रों और लोगों को गर्व होगा इस फ़िल्म पर। ये मानना है उस प्रोफेसर की भूमिका निभा रहे अभिनेता मनोज बाजपेयी का।

दरअसल उस प्रोफेसर को समलैंगिकता के आधार पर यूनिवर्सिटी से सस्पेंड कर दिया गया था और कुछ समय बाद उनकी लाश पाई गई थी उनके घर पर। इसलिए अलीगढ़ के लोगों को लगता है कि ये फ़िल्म शायद अलीगढ़ को ठीक से पेश ना कर रही हो जिसके लिए कुछ विरोध की सुगबुगाहट सुन रहे हैं फ़िल्म 'अलीगढ़' की टीम के सदस्य।

यही वजह है कि मनोज बाजपेयी ने वहां के छात्रों और लोगों से अनुरोध किया है और कहा है कि "फ़िल्म 'देखने से पहले इसका विरोध न करें और मोर्चा नहीं निकालें क्योंकि ये फ़िल्म समलैंगिकता को नहीं, किसी की प्राइवेसी को दिखाने की कोशिश कर रही है। इस फ़िल्म में हम उस प्रोफेसर के अलीगढ़ से प्यार को दिखा रहे हैं।

नागपुर के रहने वाले प्रोफेसर ने 30 साल अलीगढ़ में गुज़ारे और उन्हें अलीगढ़ से इतना प्रेम था कि किसी भी परिस्थिति में अलीगढ़ छोड़ने के लिए कभी नहीं सोचा। वो मरे भी उसी अलीगढ़ में"।

मनोज ने ये भी कहा कि "इस फ़िल्म को देखने के बाद आपको इस पर गर्व होगा और आप ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को दिखाने के लिए मोर्चा निकालेंगे"। फ़िल्म के निर्देशक हंसल मेहता ने कहा कि "इस फ़िल्म का नाम अलीगढ़ इसीलिए रखा गया क्योंकि अलीगढ़ से उस प्रोफेसर को बेहद प्रेम था।"

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