नई दिल्ली:
मशहूर फिल्म अभिनेता आमिर खान ने मैला ढोने की अमानवीय प्रथा पर तत्काल रोक लगाने की वकालत की है। सोमवार को आमिर खान ने मैन्यूअल स्कवैन्जिंग यानी हाथों से मल साफ करने की प्रथा पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और सामाजिक कल्याण मंत्री मुकुल वासनिक से मुलाकात की और इसे रोकने के लिए ज़रूरी उपायों पर चर्चा की।
बीते हफ़्ते आमिर ख़ान ने अपने सीरियल सत्यमेव जयते में यह मसला उठाया था। आज़ादी के करीब 65 साल बाद भी मैला ढोने की प्रथा एक जाति विशेष के गुज़ारे का ज़रिया बनी हुई है। प्रधानमंत्री के साथ मुलाकात के बाद आमिर खान ने कहा, 'मैंने पीएम के साथ हाथों से मल साफ करने की प्रथा पर बात की। यह प्रथा जल्दी खत्म होनी चाहिए। पीएम ने आश्वासन दिया कि वो इस पर खास ध्यान देंगे।
आमिर खान ने कहा कि राज्य सरकारें इस समस्या को लेकर गंभीर नहीं हैं। उन्होंने कहा, 'राज्य सरकारें इस समस्या को लेकर गंभीर नहीं हैं। बहुत सारी सरकारें मानती हैं कि यह समस्या अब खत्म हो चुकी है जबकि ऐसा नहीं है।
आमिर से मुलाकात के दौरान सामाजिक कल्याण मंत्री मुकुल वासनिक ने आश्नासन दिया कि उनके मंत्रालय ने इस बारे में नया कानून का प्रारूप तैयार करने की कवायद शुरू कर दी है। वासनिक ने कहा जल्दी ही इसके बारे में सर्वे किया जाएगा। हमने नए कानून का प्रारूप तैयार किया है। उसे अलग−अलग मंत्रालयों के पास उनकी राय लेने के लिए भेजा गया है। आज़ादी के करीब 65 साल बाद भी यह अमानवीय प्रथा जारी है और इसे रोकने में सरकारें बार−बार नाकाम साबित हुई है।
बीते हफ़्ते आमिर ख़ान ने अपने सीरियल सत्यमेव जयते में यह मसला उठाया था। आज़ादी के करीब 65 साल बाद भी मैला ढोने की प्रथा एक जाति विशेष के गुज़ारे का ज़रिया बनी हुई है। प्रधानमंत्री के साथ मुलाकात के बाद आमिर खान ने कहा, 'मैंने पीएम के साथ हाथों से मल साफ करने की प्रथा पर बात की। यह प्रथा जल्दी खत्म होनी चाहिए। पीएम ने आश्वासन दिया कि वो इस पर खास ध्यान देंगे।
आमिर खान ने कहा कि राज्य सरकारें इस समस्या को लेकर गंभीर नहीं हैं। उन्होंने कहा, 'राज्य सरकारें इस समस्या को लेकर गंभीर नहीं हैं। बहुत सारी सरकारें मानती हैं कि यह समस्या अब खत्म हो चुकी है जबकि ऐसा नहीं है।
आमिर से मुलाकात के दौरान सामाजिक कल्याण मंत्री मुकुल वासनिक ने आश्नासन दिया कि उनके मंत्रालय ने इस बारे में नया कानून का प्रारूप तैयार करने की कवायद शुरू कर दी है। वासनिक ने कहा जल्दी ही इसके बारे में सर्वे किया जाएगा। हमने नए कानून का प्रारूप तैयार किया है। उसे अलग−अलग मंत्रालयों के पास उनकी राय लेने के लिए भेजा गया है। आज़ादी के करीब 65 साल बाद भी यह अमानवीय प्रथा जारी है और इसे रोकने में सरकारें बार−बार नाकाम साबित हुई है।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं