Meena Kumari: राजकुमार के साथ फिल्म 'दिल एक मंदिर' के सीन में मीना कुमारी
नई दिल्ली:
'पाकीजा' और 'साहेब बीवी और गुलाम' जैसी शानदार फिल्मों की अदाकारा मीना कुमारी की जिंदगी संघर्ष भरी रही है और इसी वजह से उन्हें ट्रेजेडी क्वीन भी कहा जाता है. Meena Kumari के जन्मदिन के मौके पर गूगल (Google) ने डूडल (Doodle) बनाकर उन्हें याद किया है. मीना कुमारी का जन्म 1 अगस्त 1932 को हुआ था. आज उनकी 85वीं जयंती है. हिन्दी सिनेमा के पर्दे पर दिखी अब तक की सबसे दमदार अभिनेत्रियों में मीना कुमारी का नाम भी आता है. अपने 30 साल के पूरे फिल्मी सफर में मीना कुमारी ने 90 से ज्यादा फिल्मों में काम किया. 1952 में रिलीज हुई फिल्म 'बैजू बावरा' से मीना कुमारी को हिरोइन के रूप में पहचान मिली. इसके बाद 1953 में 'परिणीता', 1955 में 'आजाद', 1956 में 'एक ही रास्ता', 1957 में 'मिस मैरी', 1957 में 'शारदा', 1960 में 'कोहिनूर' और 1960 में 'दिल अपना और प्रीत पराई' जैसी फिल्मों में काम किया.
मां-बाप ने मीना कुमारी को छोड़ दिया था अनाथ आश्रम के बाहर, इस वजह से कहलाईं 'ट्रेजेडी क्वीन'
1962 में रिलीज हुई फिल्म 'साहेब बीवी और गुलाम' में छोटी बहू की भूमिका निभाकर तारीफें बटोरी. इस साल उन्होंने इतिहास रचा और फिल्मफेयर बेस्ट एक्ट्रेस के अवॉर्ड के लिए तीनों नॉमिनेशन (फिल्म 'आरती', 'मैं चुप रहूंगी' व 'साहेब बीवी और गुलाम') मीना कुमारी के ही थे. छोटी बहू की भूमिका के लिए उन्हें बेस्ट एक्ट्रेस चुना गया. अंतत: 31 मार्च 1972 उन्होंने इस दुनिया से अलविदा कह दिया. आइए आपसे पूछते हैं बॉलीवुड एक्ट्रेस मीना कुमारी के लाइफ के बारे में...
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