यूपी में अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल यादव के बीच अनबन खत्म होने का नाम नहीं ले रही
यूपी में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी और इसके शीर्ष यादव परिवार से जुड़ा संकट खत्म होने के बजाय बढ़ता ही जा रहा है. बुधवार को घटनाक्रम से तो यही संकेत मिल रहा है.
इस मामले से जुड़ी खास बातें
- पार्टी सुप्रीमो और पिता मुलायम सिंह यादव के साथ बढ़ रही दूरी के बीच यूपी के सीएम अखिलेश यादव ने बुधवार को राज्यपाल राम नाईक से भेंट की.
- इस बीच, पिता और पुत्र के बीच विवाद का कारण बताए जा रहे शिवपाल यादव ने मंत्री के तौर पर उन्हें आवंटित किया गया बंगला छोड़ दिया. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शिवपाल को रविवार को कैबिनेट से हटा दिया था.
- अखिलेश ने कहा कि शिवपाल और अमर सिंह, मुगल बादशाह औरंगजेब से तुलना कर मुस्लिमों के बीच उन्हें बदनाम कर रहे हैं और मुस्लिम समुदाय का मजबूत समर्थन सपा के लिए जरूरी है.
- उनका कहना है कि पिता मुलायम को इस बात पर ध्यान देना चाहिए. दूसरी ओर मुलायम इन दोनों (शिवपाल और अमर सिंह) पर लगातार भरोसा जता रहे हैं.
- हाल के महीनों के घटनाक्रम से जुड़ी यह महज एक घटना है जिसमें समाजवादी पार्टी प्रमुख ने अपने बेटे की तुलना में भाई को तवज्जो दी. मुलायम ने मंगलवार को कहा कि यदि पार्टी विधानसभा चुनाव जीतती है तो यह जरूरी नहीं है कि अखिलेश सीएम बनेंगे. सीएम के बारे में फैसला पार्टी के विधायकों की रजामंदी से लिया जाएगा.
- हालांकि मुलायम सिंह ने एक तरह से शांति की पेशकश करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री के तौर पर अखिलेश अपना मौजूदा कार्यकाल पूरा करेंगे.
- सपा में चल रहे संघर्ष के बीच बुधवार को उस समय बड़ा मोड आया जब शिवपाल यादव ने अखिलेश के करीबी मंत्री तेज नारायण पांडे उर्फ पवन पांडे को अनुशासनहीनता और उत्पीड़न के आरोप में पार्टी से निष्कासित कर दिया.
- रविवार को शिवपाल सहित चार मंत्रियों को हटाकर अखिलेश ने एक तरह से सरकार ने अपने वर्चस्व का संकेत दिया था.
- इसके कुछ घंटों बाद टीम मुलायम ने मुलायम के चचेरे भाई रामगोपाल यादव को पार्टी से निष्कासित कर दिया था. रामगोपाल ने अखिलेश की पैरवी करते हुए उन्हें असली नेता बताया था. उन्होंने कहा था कि 'अखिलेश के बिना विधानसभा चुनाव नहीं जीता जा सकता.'