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'शांति' और 'संवाद' की हिमायत करने वाले शुजात बुखारी आखिर क्यों थे निशाने पर, 10 बड़ी बातें

राज्य पुलिस प्रमुख एस.पी. वैद्य ने कहा, "करीब 7:15 मिनट पर बुखारी प्रेस एन्क्लेव स्थित अपने कार्यालय से बाहर आए थे और जब वह अपनी कार में थे, आतंकवादियों ने उन पर हमला कर दिया.

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श्रीनगर:

वरिष्ठ पत्रकार और अंग्रेजी दैनिक 'राइजिंग कश्मीर' के प्रधान संपादक शुजात बुखारी की गुरुवार को उनके कार्यालय के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई. पुलिस ने यह जानकारी दी. राज्य पुलिस प्रमुख एस.पी. वैद्य ने कहा, "करीब 7:15 मिनट पर बुखारी प्रेस एन्क्लेव स्थित अपने कार्यालय से बाहर आए थे और जब वह अपनी कार में थे, आतंकवादियों ने उन पर हमला कर दिया. उन्होंने कहा, "तीन मोटरसाइकिल सवार आतंकवादी आए और बुखारी व उनके सुरक्षाकर्मियों पर गोली चला दी. बुखारी और एक सुरक्षाकर्मी की मौत हो गई और एक अन्य गार्ड गंभीर रूप से घायल हो गया." इस घटना पर केंद्र सरकार, जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी शोक व्यक्त किया है.

10 बड़ी बातें
  1. शुजात बुखारी श्रीनगर के जाने-माने पत्रकारों में से एक थे. उन्हें घाटी के बारे में अच्छी जानकारी थी और लोकतंत्र समर्थक थे. लोगों का कहना है कि उनकी उदारवादी सोच ही सबको रास नहीं आती थी. 
  2. शुजात बुखारी ने दुनिया के कई प्रतिष्ठित मीडिया संगठनों के लिए कॉलम लिखे थे. वह राइजिंग कश्मीर के एडिटर-इन-चीफ थे. शुजात ने कश्मीर टाइम्स से अपना करियर की शुरु किया था.
  3. वह 15 सालों तक द हिंदू के ब्यूरोचीफ भी रहे हैं और अपने लेखों के दम पर उन्हें अंतरराष्ट्रीय ख्याति मिली थी.
  4. -90 के दशक में वे द हिन्दू से जुड़ गए. इस दौरान कई खबरों के चलते उन्हें राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली. वह 15 साल तक द हिंदू अखबार के कश्मीर ब्यूरो चीफ रहे.
  5. शुजात बुखारी कश्मीर घाटी की प्रतिष्ठित और पुरानी साहित्य संस्था अदबी मरकज कामराज के अध्यक्ष थे.
  6. बात करें उनकी शिक्षा की तो उन्होंने मनीला के एंटीनियो डी मनीला यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में मास्टर डिग्री हासिल की और सिंगापुर के एशियन सेंटर फॉर जर्नलिज्म में फेलो थे.
  7. शुजात बुखारी मानवधिकार के बड़े समर्थक थे. उनका आखिरी ट्वीट भी उनकी सोच को दर्शाता है. उन्होंने इस  ट्वीट में जम्मू-कश्मीर को लेकर संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट को बताते हुये अपने वेबसाइट का एक लिंक शेयर किया है. यूएन की इस रिपोर्ट में जम्मू-कश्मीर मानवाधिकारी को लेकर भारत और पाकिस्तान दोनों की निंदा की गई है. 
  8. शुजात बुखारी ने संवाद और शांति के लिये हमेशा प्रयासरत रहते थे. वह भारत-पाकिस्तान के बीच ट्रैक-2 सर्किट की हिमायत करते थे.
  9. वह घाटी में कश्मीरी पंडितों और मुस्लिमों के बीच खाई पाटने की कोशिश करते थे. 
  10. शुजात बुखारी अक्सर कहते थे कि कुछ टीवी चैनल कश्मीर में जहर फैला रहे हैं. उन्होंने कहा कि इन चैनलों ने सभी कश्मीरियों को पत्थरबाज बताकर बड़ा नुकसान किया है. 

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