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जाने-माने अंतरिक्ष वैज्ञानिक एवं भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व अध्यक्ष यूआर राव का निधन हो गया है. वह 85 वर्ष के थे. भारत के पहले सैटेलाइट आर्यभट्ट के पीछे राव का ही दिमाग था और उन्होंने देश के प्रमुख अंतरिक्ष कार्यक्रमों को निर्देशित किया था. इसरो के जनसंपर्क निदेशक देवीप्रसाद कार्णिक ने बताया कि राव ने रविवार देर रात करीब तीन बजे बेंगलुरु स्थित अपने निवास पर अंतिम सांस ली.
राव ने भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक माने जाने वाले वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के साथ अपने करियर की शुरुआत कॉस्मिक रे वैज्ञानिक के तौर पर की थी.
यूआर राव भारत के 1975 में पहले अंतरिक्ष कार्यक्रम आर्यभट्ट से लेकर चंद्रयान-1, मंगलयान और प्रस्तावित आदित्य सौर मिशन तक इसरो के सभी महत्वपूर्ण कार्यक्रमों में किसी न किसी रूप में शामिल रहे.
सैटेलाइट तकनीक स्थापित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का भी उन्हें श्रेय दिया जाता है.
इस सैटेलाइट से भास्कर, एप्पल, रोहिणी, इनसैट-1 और इनसैट-2 श्रृंखलाओं की बहुउद्देशीय संचार और मौसम सेटेलाइट, आईआरएस-1ए, आईआरएस-1बी, आईआरएस-1सी और दूर संवेदी उपग्रह 1 डी सहित उपग्रहों के एक विस्तृत कार्यक्रम का शुभारंभ शुरू हुआ.
वह मैसाचुसेट्स प्रौद्योगिक संस्थान (एमआईटी) में संकाय सदस्य और डलास में यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास में प्रोफेसर के रूप में काम करने के बाद 1966 में अहमदाबाद के फिजिकल रिसर्च लेबोरेट्री में एक प्रोफेसर के रूप में ज्वाइन किया.
वह 1984-1994 तक दस साल इसरो के अध्यक्ष रहे. 1984 में अंतरिक्ष विभाग के सचिव और अंतरिक्ष आयोग के अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने रॉकेट प्रौद्योगिकी के विकास में तेजी लाई, जिसके चलते एएसएलवी रॉकेट का सफल प्रक्षेपण हुआ.
इसके साथ ही दो टन तक के उपग्रहों को धुव्रीय कक्षा में स्थापित कर सकने वाले पीएसएलवी का भी सफल प्रक्षेपण संभव हो सका.
भारतीय अंतरिक्ष तकनीक में उनके योगदान के लिए उन्हें वर्ष 1976 में पद्म भूषण और 2017 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया.
राव के 350 से अधिक वैज्ञानिक एवं तकनीकी शोध पत्र प्रकाशित हुए जिनमें कॉस्मिक किरणें, अंतरग्रहीय भौतिकी, उच्च ऊर्जा खगोल विज्ञान, अंतरिक्ष अनुप्रयोग, उपग्रह एवं रॉकेट प्रौद्योगिकी के विषय शामिल थे.उन्होंने कई किताबें भी लिखीं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए ट्वीट किया कि भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में उनके उल्लेखनीय योगदान को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता.