मुंबई में 26 नवंबर 2008 को हुए आंतकी हमले की आज 10वीं बरसी है. इस दिन करीब 10 आतंकियों ने मुंबई निशाना बनाया था. देश के इतिहास में मुंबई हमला सबसे भयावह आतंकी हमला था, जिसने सभी के रूह को कंपा दिया था. इस हमले में करीब 166 लोगों की मौत और सैकड़ों लोग घायल हो गए थे. मुंबई पर हमला करन वाले 10 आतंकियों में से एक अजमल कसाब ही जिंदा पकड़ा जा सका था, जिसे 21 नवंबर 2011 को पुणे के यरवडा जेल में फांसी दी गई थी. लेकिन क्या आपको पता है कि आतंकी हमलों के दौरान होटलों में लोगों को बंधक बनाने वाले पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा के आतंकियों को मार गिराने के लिए अमेरिका के तत्कालीन बुश प्रशासन ने भी अपने विशेष बलों को तैयार कर दिया था. यह खुलासा व्हाइट हाउस के एक पूर्व अधिकारी ने किया है. इन अहम प्वाइंटों से जाने पूरा घटनाक्रम...
10 बातें...
- 26 नवबंर 2008 की रात पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तएबा के 10 आतंकवादी कोलाबा के समुद्री तट से एक नाव के जरिए भारत में घुसे. पूरी तरह हथियारों से लैस और वेशभूषा ऐसी कि कोई पहचान नहीं पाए.
- हथियारों से लैस सभी आतंकी कोलाबा की मच्छीमार कॉलोनी से मुंबई में घुसे और तुरंत अपनी घिनौनी करतूतों को अंजाम देने लगे. मच्छीमार कॉलोनी से बाहर निकलते ही ये आतंकी दो-दो की टोलियों में बंट गए थे.
- आतंकियों ने अपनी-अपनी लोकेशन पर घुसते ही फायरिंग और धमाके करने शुरू कर दिए थे. इनसे निपटने के लिए केंद्र की ओर से 200 एनएसजी कमांडो भेजे गए थे. सेना के भी 50 कमांडो इस ऑपरेशन में शामिल थे. इसके अलावा सेना की पांच टुकड़ियों को भी वहां भेजा गया.
- आतंकियों की पहली टीम में इमरान बाबर और अबू उमर नामक आतंकवादी शामिल थे. ये दोनों लियोपोल्ड कैफे पहुंचे और रात करीब साढ़े नौ बजे जोरदार धमाका किया.
- आतंकियों की दूसरी टीम में अजमल आमिर कसाब और अबू इस्माइल खान शामिल थे. दोनों सीएसटी पहुंचे और अंधाधुंध गोलियां बरसाने लगे. इन दोनों आतंकियों ने यहां 58 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया.
- 26 नवंबर 2011 मुंबई हमले के अकेले जिंदा पकड़े गए गुनहगार अजमल आमिर कसाब को पूरी कानूनी प्रक्रिया के बाद पुणे के यरवदा जेल में फांसी दी गई थी.
- व्हाइट हाउस के 26/11 संकट प्रबंधन समूह का हिस्सा रहे अनीश गोयल ने कहा कि लेकिन इसके लिए भारतीय अधिकारियों से आवश्यक मंजूरी मिलने तथा अमेरिकी विशेष बलों के रवाना होने से पहले ही भारतीय कमांडो ने अपना काम पूरा कर लिया.
- भारत की आर्थिक राजधानी में लश्कर ए तैयबा के 10 आतंकवादियों द्वारा किए गए भीषण हमले में 166 लोग मारे गए थे. मरने वालों में कुछ अमेरिकी नागरिक भी शामिल थे.
- साल 2008 के थैंक्सगिविंग सप्ताहांत के दौरान व्हाइट हाउस में हुए घटनाक्रम को याद करते हुए गोयल ने कहा कि अमेरिका के पास क्षेत्र में कुछ विशेष टीम थीं ‘‘जिन्हें हम तत्काल तैनात करने की योजना बना रहे थे.''
- उन्होंने बताया कि अमेरिका ने यह पता लगाने के लिए फॉरेंसिक मदद की भी पेशकश की थी कि इस हमले के लिए कौन जिम्मेदार है तथा हमलावर कहां से थे? व्हाइट हाउस आतंकी हमले के संबंध में भारत द्वारा मांगी जा सकने वाली कोई भी मदद देने को तैयार था.