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This Article is From Aug 13, 2021

Sawan 2021 : भगवान शिव के गले में क्‍यों लिपटा रहता है सांप, जान‍िए इसके पीछे की कहानी

Sawan Start in 2021: भगवान शिव के गले में लिपटे नजर आने वाले सांप का नाम वासुकी है. जो भगवान शिव के अति प्रिय भक्त हैं. कहते हैं नागवंशी लोग शिव के क्षेत्र हिमालय में ही रहते थे, इन सभी से शिव जी को बड़ा लगाव था.

Sawan 2021 : भगवान शिव के गले में क्‍यों लिपटा रहता है सांप, जान‍िए इसके पीछे की कहानी
हर साल नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन पूरे श्रद्धा भाव से नागों की पूजा-अर्चना की जाती है.
नई दिल्‍ली:

Sawan  : भगवान शिव, जो त्रिनेत्र वाले हैं, जिनके सिर पर गंगा और चंद्रमा विराजमान हैं. जिनकी लंबी-लंबी जटाएं हैं, शरीर पर बाघ की छाल लपेटे है. गले में रुद्राक्ष की माला और सांप धारण किए हुए हैं. जो डमरू की धुन पर नृत्य करते हैं और त्रिशूल उनका शस्त्र है. नंदी उनका प्रिय भक्त और वाहन हैं. खीर और भांग प्रिय भोग है. कहते हैं भगवान से संबंधित इन सब बातों का अपना एक मतलब है और किसी न किसी बात का प्रतीक हैं. जैसे- चंद्रमा शीतलता और गंगा ज्ञान का प्रतीक है. बैल (नंदी) धर्म का और डमरू को ब्रह्माण्ड का प्रतीक माना गया है. लेकिन क्या आपको पता हैं भगवान के शिव गले में लिपटा सांप किस बात का प्रतीक हैं और इसके पीछे की क्या कहानी हैं. आइये जानते हैं.

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शिव का नागों से अटूट संबंध
भगवान शिव के गले में लिपटे नजर आने वाले सांप का नाम वासुकी है. जो भगवान शिव के अति प्रिय भक्त हैं. कहते हैं नागवंशी लोग शिव के क्षेत्र हिमालय में ही रहते थे, इन सभी से शिव जी को बड़ा लगाव था. इस बात का प्रमाण नागेश्वर ज्योतिर्लिंग है. जिसके नाम से पता चलता है कि शिव नागों के ईश्वर हैं और शिव का उनसे अटूट संबंध हैं. जिसे देखते हुए हर साल नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन पूरे श्रद्धा भाव से नागों की पूजा-अर्चना की जाती है. ऐसा करने से शिव जी को खुशी मिलती है और वो अपने भक्तों को सुख समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं.

 

गले में रहने का दिया वरदान
नागों के शेषनाग (अनंत), वासुकी, तक्षक, पिंगला और कर्कोटक नाम से पांच कुल थे. इनमें से शेषनाग नागों का पहला कुल माना जाता है. इसी तरह आगे चलकर वासुकि हुए. जो पूरे सच्चे भाव के शिव जी की भक्ति किया करते थे. शिव जी वासुकी की श्रद्धा-भाव से पूर्ण भक्ति देखकर बेहद खुश हुए और वासुकी को गले में धारण करने का वरदान दिया. शिव की भक्ति से मिले इस वरदान के कारण ही एक सांप भगवान शिव के गले में लिपटा हुआ नजर आता है.

कुण्डलिनी नियंत्रण का प्रतीक
ज्योतिष के अनुसार- भगवान शिव जी को आदि गुरु माना गया हैं. शिव ने ही अपने प्रिय भक्तों को तंत्र साधना और ईश्वर को पाने का रास्ता दिखाया है. शिव में साधना से कुण्डलिनी शक्ति को नियंत्रित कर लेने की शक्ति हैं, जिसका प्रतीक उनके गले में लिपटा सांप माना गया हैं. यानी की शिव सर्प जैसे विषैले, भयानक और विरोधी भाव वाले जीव के साथ भी अपना सामंजस्य स्थापित कर लिया है. इसके अलावा शिव ने सांप को गले में लपेटकर यह भी संदेश दिया है कि दुर्जन भी अगर अच्छे काम करें, तो ईश्वर उसे भी स्वीकार कर लेते हैं.

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