गीता भवन मंदिर, यमुनानगर (हरियाणा)
यमुनानगर (हरियाणा):
किसी मंदिर की दीवार केवल दीवार नहीं बल्कि वह आस्था की दीवार होती है। यह आस्था तब और गहरी हो जाती है, जब उसमें श्रद्धा और विश्वास के साथ सनातन सत्य उकेर दिया जाए। हरियाणा के यमुनानगर में स्थित चिट्टाहनुमान मंदिर ऐसा ही एक मंदिर है। यहां बने गीता भवन मंदिर की दीवारों पर लिखे श्रीमद्भगवगीता के दिव्य संदेश लोगों को नई दिशाएं दे रही हैं।
यमुनानगर का यह मंदिर बगैर सरकारी मदद के श्रीमद्भगवगीता के प्रचार के लिए तैयार कर किया गया है। मंदिर की दीवार पर संस्कृत के साथ हिंदी भाषा में संपूर्ण गीता को रंगीन पत्थर की स्याही से लिखा गया है। इसे पढ़ने के लिए दूर-से-दूर से लोग आने लगे हैं। गीता भवन मंदिर का निर्माण पांच साल पहले शुरू हुआ था। यह भवन भूकंप अवरोधी है। मंदिर के महंत के अनुसार इस पर अभी तक डेढ़ करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं।
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यह भी पढ़ें :यहां है उल्टे खड़े हनुमान जी की विश्व की इकलौती और अनोखी प्रतिमा
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धरती की आकृति में बना है भवन
चिट्टाहनुमान मंदिर देश के एक प्राचीन मंदिर है। मान्यता है कि यहां पर महाभारत के समय में हनुमानजी ने विश्राम किया था। यहां पर न केवल हरियाणा बल्कि अन्य राज्यों भी भारी संख्या में श्रद्धालु पूजा के लिए आते हैं।
यहां के गीता भवन को धराकृति (धरती की तरह गोलाकार) की तरह बनाया गया है। भवन में संगमरमर से बने रथ पर कृष्ण और अर्जुन सवार हैं। रथ के ऊपर हनुमान जी भी विराजमान दर्शाया गया है। यहां मंगलवार और शनिवार को 10 हजार से अधिक लोग आते हैं।
मंदिर की दीवार पर हरे रंग के पत्थर में संस्कृत के श्लोक और लाल रंग के पत्थर से उसका हिंदी में अनुवाद दिया गया है। शब्दों का आकार थोड़ा बड़ा रखा गया ताकि जिस व्यक्ति की नजर कमजोर हो, वे भी आसानी से गीता के श्लोकों को पढ़ सकते हैं।
यमुनानगर का यह मंदिर बगैर सरकारी मदद के श्रीमद्भगवगीता के प्रचार के लिए तैयार कर किया गया है। मंदिर की दीवार पर संस्कृत के साथ हिंदी भाषा में संपूर्ण गीता को रंगीन पत्थर की स्याही से लिखा गया है। इसे पढ़ने के लिए दूर-से-दूर से लोग आने लगे हैं। गीता भवन मंदिर का निर्माण पांच साल पहले शुरू हुआ था। यह भवन भूकंप अवरोधी है। मंदिर के महंत के अनुसार इस पर अभी तक डेढ़ करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं।
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धरती की आकृति में बना है भवन
चिट्टाहनुमान मंदिर देश के एक प्राचीन मंदिर है। मान्यता है कि यहां पर महाभारत के समय में हनुमानजी ने विश्राम किया था। यहां पर न केवल हरियाणा बल्कि अन्य राज्यों भी भारी संख्या में श्रद्धालु पूजा के लिए आते हैं।
यहां के गीता भवन को धराकृति (धरती की तरह गोलाकार) की तरह बनाया गया है। भवन में संगमरमर से बने रथ पर कृष्ण और अर्जुन सवार हैं। रथ के ऊपर हनुमान जी भी विराजमान दर्शाया गया है। यहां मंगलवार और शनिवार को 10 हजार से अधिक लोग आते हैं।
मंदिर की दीवार पर हरे रंग के पत्थर में संस्कृत के श्लोक और लाल रंग के पत्थर से उसका हिंदी में अनुवाद दिया गया है। शब्दों का आकार थोड़ा बड़ा रखा गया ताकि जिस व्यक्ति की नजर कमजोर हो, वे भी आसानी से गीता के श्लोकों को पढ़ सकते हैं।
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