Sambhal news : इन दिनों उत्तर प्रदेश का संभल जिला मीडिया सुर्खियों में छाया हुआ है. यहां पर लगातार कुएं, बावड़ियां और मंदिर मिलने का सिलसिला जारी है. इस बीच आज एक और कूप मिलने की खबर आ रही है, जिसे मृत्यु कूप बताया जा रहा है. साथ ही इसके बगल में शिव मंदिर होने का भी दावा किया जा रहा है. वहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां अगर खुदाई की जाए, तो मंदिर निकलेगा जिसकी दीवार आज भी दिखाई देती है.
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आपको बता दें कि यूपी का संभल जिला प्राचीन समय में तीर्थों का केंद्र हुआ करता था. जिसका जिक्र पौराणिक कथाओं में भी मिलता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, संभल में 84 कोसी परिक्रमा मार्ग, 68 तीर्थ और 19 कूप मौजूद हैं. जिनकी अपनी मान्यता और धार्मिक महत्व है. लेकिन समय के साथ और 1978 के दंगों के बाद यहां से हिंदूओं का पलायन शुरू हो गया है जिसके चलते मंदिर खंडहर में तब्दील हो गए और कुछ मिट्टी के नीचे दब गए जबकि कुओं को ढक दिया गया.
हालांकि, वर्तमान समय में अभी भी संभल में 3 तीर्थ मौजूद हैं जिसकी परिक्रमा और दर्शन करने दूर-दूर से लोग आते हैं. मान्यता है यहां पर पूजा अर्चना और पंच कोसी यात्रा करने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. साथ ही, संतान सुख से वंचित लोगों को संतान प्राप्ति का भी सुख प्राप्त होता है. ऐसे में आइए जानते हैं वर्तमान में मौजूद 3 तीर्थों के नाम और उनका धार्मिक महत्व...
वंश गोपाल तीर्थ
संभल से करीब 3 से 4 किलोमीटर पर स्थित वंशगोपाल मंदिर बेनीपुर कमलपुर गांव में स्थित है. यह भगवान श्री कृष्ण का मंदिर है. आपको बता दें कि प्राचीन समय से चली आ रही पंचकोसीय परिक्रमा इसी मंदिर से शुरू होती है. इस परिक्रमा में संभल के अलावा अन्य गांवों और शहरों से लाखों में श्रद्धालु शामिल होते हैं. इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि यहां पूजा अर्चना करने से वंश वृद्धि होती है. यही कारण है कि संतान सुख से वंचित लोग फेरी लगाने जरूर एकबार आते हैं.
सूर्यकुंड तीर्थ
संभल के प्रमुख तीर्थों में से एक सूर्यकुंड तीर्थ अर्ककुंड तीर्थ के नाम से जाना जाता है. यहां पर 24 कोसीय परिक्रमा करके लोग दर्शन के लिए पहुंचते हैं. आपको बता दें कि सूर्यकुंड तीर्थ की परिक्रमा दीवाली के 2 दिन बाद शुरू होती है. इस दौरान यहां पर मेले का भी आयोजन किया जाता है. सूर्यकुंड तीर्थ को लेकर मान्यता है कि यहां पर स्नान करने मात्र से सभी पाप धुल जाते हैं. साथ ही कुष्ठ रोग जैसी गंभीर बीमारी से भी निजात मिलता है.
मृत्युंजय तीर्थ
संभल के हयातनगर में मौजूद इस तीर्थ में दर्शन पूजन और स्नान करने से अकाल मृत्यु का भय दूर होता है और आयु लंबी होती है. साथ ही जो श्रद्धालु यहां पर स्नान करते हैं उनको ब्रह्मलोक प्राप्त होता है. इसके अलावा मृत्यु के बाद सीधे मोक्ष की भी प्राप्ति होती है. यहां पर ज्येष्ठ वदी पड़वा के दिन स्नान महापर्व का भी आयोजन किया जाता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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