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This Article is From Apr 14, 2020

Ramayan: जानिए रावण के भाई कुंभकरण के बारे में ये 11 बातें

रामायण (Ramayan) के ज्‍यादातर चरित्र ऐसे हैं जो या तो अच्‍छाई के साथ हैं या बुराई के पक्ष में खड़े दिखाई देते हैं. लेकिन कुंभकरण (Kumbhkarana) का चरित्र अधिक जटिल है.

Ramayan: जानिए रावण के भाई कुंभकरण के बारे में ये 11 बातें
Kumbhkaran: रामायण में कुंभकरण दैत्‍य राज रावण का भाई है
नई दिल्ली:

कोरोनावायस (Coronavirus) के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए देश भर में पहले 21 दिनों का लॉकडाउन था, जिसे अब बढ़ाकर 3 मई कर दिया गया है. जब पहली बार लॉकडाउन का ऐलान किया गया था तब लोग घर में बोर न हों इसके लिए सूचना प्रसारण मंत्रालय ने दूरदर्शन पर फिर से 'रामायण' के प्रसारण का फैसला लिया था. ऐसे में एक बार फिर लोग 'रामायण' देखने के लिए मानो अपने टीवी से चिपक गए हैं. 'रामायण' टीआरपी की दौड़ में आगे भाग रहा है. लोगों ने इस शो के प्रसारण को हाथोंहाथ लिया है. यही नहीं, टीवी पर रामायण देखने के बाद लोग सोशल मीडिया पर इसे लेकर खूब चर्चा भी कर रहे हैं. सोमवार को दिखाए गए एपिसोड में कुंभकरण (Kumbhkarana) के बारे में बताया गया. 

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रामायण के अनुसार कुंभकरण दैत्‍य राज रावण का छोटा भाई था. उसके शरीर का आकार बेहद विशाल था. वह अपनी निद्रा और अत्‍यधिक भोजन करने की प्रवृत्ति के लिए जाना जाता था. हालांकि इसके बावजूद उसका चरित्र उच्‍च कोटि का था. यहां पर हम आपको रामायण के अनुसार कुंभकरण के बारे में ये 7 बातें बता रहे हैं:

- रामायण के अनुसार कुंभकरण भले ही दैत्‍य था, लेकिन वह बेहद बुद्धिमान, बहादुर और निष्‍ठावान था. यही वजह है कि देवताओं के राजा इंद्र को उससे जलन होती थी. 

- अपने भाइयों रावण और विभिषण के साथ कुंभकरण ने ब्रह्मा को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्‍या की थी. तपस्‍या से प्रसन्न होकर जब ब्रह्माजी ने उससे वर मांगने के लिए कहा तभी मां सरस्‍वती उसकी जिह्वा पर जाकर बैठ गईं. फिर क्‍या था उसे मांगना तो था 'इंद्रासन' लेकिन देवी सरस्‍वती के बैठे होने के कारण वह 'निद्रासन' मांग बैठा.

- ब्रह्मा के वरदान से कुंभकरण छह-छह महीने सोता रहता था. छह महीने लगातार सोने के बाद जब वह उठता था तो उसे इतनी ज्‍यादा भूख लगी रहती थी कि उसके सामने जो कुछ भी आता था वो उसे खा जाता था, चाहे वो इंसान ही क्‍यों न हों. 

- जब रावण युद्ध के मैदान में गया तब उसे श्री राम और उनकी सेना के सामने शर्मिंदा होना पड़ा. तब रावण ने फैसला किया कि मुश्किल की इस घड़ी में उसे अपने भाई कुंभकरण का साथ चाहिए. लेकिन उस वक्‍त कुंभकरण सो रहा था. उसे नींद के बीच से उठाना इतना आसान नहीं था. उसे उठाने के लिए अनेक तरह के यत्‍न किए गए. लेकिन वह तब भी नहीं उठा. आखिरकार उसके ऊपर एक हजार हाथी चलवाए गए तब जाकर वह उठा. 

- कुंभकरण को जब राम-रावण युद्ध के बारे में पता चला तब उसने अपने भाई को समझाने की बहुत कोशिश की. उसने रावण को बताया कि श्री राम साक्षात् नारायण के अवतार हैं और ऐसे में उनसे युद्ध में नहीं जीता जा सकता. वहीं, सीता मां लक्ष्‍मी का रूप हैं इसलिए उनका हरण करने का विचार भी मन में कैसे आ सकता है. कुंभकरण ने रावण को बताया कि वह गलत कर रहा है और उसे अपना हट छोड़कर सीता को श्रीराम के पास वापस भेज देना चाहिए. 

- रावण ने कुंभकरण की एक न सुनी. रावण ने कुंभकरण को बताया कि वह उसका भाई है ऐसे में उसका धर्म उसकी तरफ से युद्ध के मैदान में जाना है. यह जानते हुए भी रावण गलत है इसके बावजूद कुंभकरण ने उसकी बात मानी और वह अपने भाई के प्रति निष्‍ठा का पालन करते हुए युद्ध लड़ने चला गया. 

- कुंभकरण ने रण क्षेत्र में पहुंचकर श्री राम की वानर सेना को कुचल दिया, श्री हनुमान को चोटिल कर दिया और सुग्रीव को मूर्छित कर उसे बंदी बना लिया. जब वह सुग्रीव को ले जा रहा था तभी श्री राम ने उसका वध कर दिया. रामायण के अनुसार कुंभकरण के दो बेटे कुंभ और निकुंभ थे. उसके बेटों ने राम के खिलाफ युद्ध लड़ा और वे भी मारे गए. 

- वैसे रामायण के ज्‍यादातर चरित्र ऐसे हैं जो या तो अच्‍छाई के साथ हैं या बुराई के पक्ष में खड़े दिखाई देते हैं. लेकिन कुंभकरण का चरित्र अधिक जटिल है. वह नीति-अनीति, धर्म-अधर्म का भेद जानता है. वह कभी खुलकर रावण का विरोध नहीं करता. हालांकि वह रावण को समय-समय पर बहुत समझाता है. यह जानते हुए भी कि रावण गलत है तब भी वह उसका साथ देता है. रण क्षेत्र में जब कुंभकरण और विभिषण का आमना-सामना होता है तब दोनों बेहद भावुक हो उठते हैं. विभिषण अपने बड़े भाई कुंभकरण को अधर्म का साथ छोड़कर श्री राम की शरण लेने के लिए कहता है. कुंभकरण उसकी अवहेलना करते हुए उसे ही यह कहते हुए अधर्मी बता देता है कि उसने अपने भाई को धोखा दिया है. जब दोनों भाई एक-दूसरे को नहीं समझा पाते और विदा लेते हैं तब कुंभकरण की आंखों से आंसू बहने लगते हैं. 

- इतना ही नहीं कुंभकरण को यह भी पता था कि युद्ध का क्‍या परिणाम होगा. अपने भाई विभिषण से अंत में वह यही कहता है कि उनके मरने के बाद पूरे विधि-विधान से रावण और उसका अंतिम संस्‍कार करे. कुंभकरण कहता है कि इस युद्ध में विभिषण ही जिंदा बचेगा, जबकि रावण और उसकी मौत हो जाएगी. 

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