जयपुर:
पीपल फार द एथिकल ट्रीटमेंट आफ एनीमल्स ( PETA – पेटा ) ने आमजन से हिन्दू त्यौहार नागपंचमी के अवसर पर सर्पों के प्रति दया का भाव रखने का अनुरोध किया है।
PETA लाएगी जागरूकता...
पेटा इंडिया की नीरजा खेडे ने बताया कि नागपंचमी और त्यौहारों के अवसर पर सर्पों के उनके प्राकृतिक भोजन से वंचित करके जबर्दस्ती गाय का दूध पिलाने से उन्हें दर्द और बीमारी महसूस होती है। उन्होंने बताया कि कार्यकर्ता नागपचंमी के अवसर पर सर्पों जैसी रंगीन पौशाक पहनकर साइन बोर्ड द्वारा लोगों में सर्पों के प्रति जागरूकता लानो का प्रयास करेंगे।
प्राकृतिक निवास सर्पों हित में सबसे अच्छा...
उन्होंने कहा कि नागपंचमी के लिये सर्पों हित में सबसे अच्छा तरीका उन्हें प्राकृतिक निवास स्थानों में आजादी से रहने दें। उन्होंने कहा कि सर्पों को पकडने, कैद में रखने और रोके रखने के कारण संभावित मृत्यु के भय और कष्ट से सर्पों को सुरक्षित रखने के लिये पेटा नागरिकों को सर्प मुक्त आयोजन करने का आह्वान करती है।
वन्यजीव अधिनियम के तहत ये हैं संरक्षित...
उन्होंने कहा कि वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 के तहत कोबरा तथा अन्य सर्प संरक्षित हैं एवं उन्हें पकडना या चोट पहुंचाना एक दंडनीय अपराध है। फिर भी नागपंचमी आने पर सर्पों को अक्सर बैग में पकडा जाता है, छोटे बाक्स में भूखा रखा जाता है, उनके दांत अक्सर बलपूर्वक झटके से निकाल दिये जाते है तथा बहुत से मामलों में उन्हें शहरों में ले जाने से पहले उनके मुंह सिल दिये जाते है।
दूध पिलाने से मर भी सकते हैं सांप...
उन्होंने कहा कि बलपूर्वक गाय का दूध पिलाने पर सर्प अक्सर बीमार हो जाते है। यहां तक कि मर भी जाते है। इसके अलावा उनकी विष की नलिकाओं में अक्सर गर्म सुई से छेद किया जाता है, जिसके कारण उनकी ग्रंथियां फट जाती है। पूजा के दौरा टीका उनके हुड पर लगाने से उनकी आखों को खतरा होता है। जो नृत्य सर्प करते है वह वास्तव में सपेरे के पाइप के प्रति भयभीत होने की प्रतिक्रिया है।
PETA लाएगी जागरूकता...
पेटा इंडिया की नीरजा खेडे ने बताया कि नागपंचमी और त्यौहारों के अवसर पर सर्पों के उनके प्राकृतिक भोजन से वंचित करके जबर्दस्ती गाय का दूध पिलाने से उन्हें दर्द और बीमारी महसूस होती है। उन्होंने बताया कि कार्यकर्ता नागपचंमी के अवसर पर सर्पों जैसी रंगीन पौशाक पहनकर साइन बोर्ड द्वारा लोगों में सर्पों के प्रति जागरूकता लानो का प्रयास करेंगे।
प्राकृतिक निवास सर्पों हित में सबसे अच्छा...
उन्होंने कहा कि नागपंचमी के लिये सर्पों हित में सबसे अच्छा तरीका उन्हें प्राकृतिक निवास स्थानों में आजादी से रहने दें। उन्होंने कहा कि सर्पों को पकडने, कैद में रखने और रोके रखने के कारण संभावित मृत्यु के भय और कष्ट से सर्पों को सुरक्षित रखने के लिये पेटा नागरिकों को सर्प मुक्त आयोजन करने का आह्वान करती है।
वन्यजीव अधिनियम के तहत ये हैं संरक्षित...
उन्होंने कहा कि वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 के तहत कोबरा तथा अन्य सर्प संरक्षित हैं एवं उन्हें पकडना या चोट पहुंचाना एक दंडनीय अपराध है। फिर भी नागपंचमी आने पर सर्पों को अक्सर बैग में पकडा जाता है, छोटे बाक्स में भूखा रखा जाता है, उनके दांत अक्सर बलपूर्वक झटके से निकाल दिये जाते है तथा बहुत से मामलों में उन्हें शहरों में ले जाने से पहले उनके मुंह सिल दिये जाते है।
दूध पिलाने से मर भी सकते हैं सांप...
उन्होंने कहा कि बलपूर्वक गाय का दूध पिलाने पर सर्प अक्सर बीमार हो जाते है। यहां तक कि मर भी जाते है। इसके अलावा उनकी विष की नलिकाओं में अक्सर गर्म सुई से छेद किया जाता है, जिसके कारण उनकी ग्रंथियां फट जाती है। पूजा के दौरा टीका उनके हुड पर लगाने से उनकी आखों को खतरा होता है। जो नृत्य सर्प करते है वह वास्तव में सपेरे के पाइप के प्रति भयभीत होने की प्रतिक्रिया है।
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