आज शीतलाष्टमी व्रत के अवसर पर देश के अनेक स्थानों पर श्रद्धालुओं ने अपने परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य एवं सुख समृद्धि की कामना को लेकर माता शीतला का पूजन किया. इस मौके पर राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार आदि के शीतला माता मंदिर में सुबह से श्रद्धालुओं का आवागमन बना हुआ है. लोग बस्योड़ा, बसियोड़ा या बासोड़ा के नाम से प्रसिद्ध इस पूजन में बासी भोजन का भोग देवी शीतला को अर्पित कर रहे हैं. गौरतलब है कि लोग दिन माता शीतला को रात में बने ठंडे पकवानों का भोग लगाते हैं और स्वयं भी वही ठंडा भोजन करते हैं. आइए जानते हैं, इस पर्व से जुड़ी कुछ और बातें.
- चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाने वाला शीतला अष्टमी पर्व हिन्दू धर्मावलंबियों का एक प्रमुख पर्व है, जिसमें शीतला माता का व्रत और पूजन किया जाता हैं. आस्था के इस पूजन पर्व में महिलाएं अधिक भाग लेती हैं.
- शीतला माता की पूजा के दिन घर में चूल्हा भी नहीं जलाया जाता है और लोग इस नियम का बड़ी कड़ाई एवं आस्था के साथ पालन करते हैं.
- सदियों से देवी शीतला की पूजा चेचक ठीक करने वाली देवी के रूप में किया जाता है. उनकी उपासना से स्वच्छता और पर्यावरण को सुरक्षित रखने की प्रेरणा एवं संदेश मिलता है.
- लौकिक मान्यता है कि शीतला माता हर तरह के तापों का नाश करती हैं और अपने भक्तों के तन-मन को शीतल करती हैं. भारतीय सनातन परंपरा के अनुसार महिलाएं अपने बच्चों की सलामती, आरोग्यता व घर में सुख-शांति के लिए रंग पंचमी से अष्टमी तक मां शीतला को बसौड़ा बनाकर पूजती हैं.
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