आज परशुराम जयंती (Parshuram Jayanti) है. हर साल अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) के दिन परशुराम जयंती मनाई जाती है. हिन्दू मान्यताओं के अनुसार परशुराम कोई और नहीं बल्कि भगवान विष्णु के छठे अवतार हैं. पौराणिक कथाओं में परशुराम के गुस्से को लेकर कई कहानियां प्रचलित हैं. कहा जाता है कि एक बार परशुराम (Parshuram) ने क्रोध में आकर भगवान गणेश का एक दांत तोड़ दिया था. इसके अलावा भी कई ऐसी घटनाएं हैं जिनमें परशुराम के क्रोध की कहानियां मिलती हैं. कहा जाता है कि इनके क्रोध से सभी देवी-देवता भयभीत रहा करते थे.
यह भी पढ़ें: जानिए अक्षय तृतीया का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, कथा और महत्व
मान्यता है कि पराक्रम के प्रतीक भगवान परशुराम का जन्म छह उच्च ग्रहों के योग में हुआ, इसलिए वह तेजस्वी, ओजस्वी और वर्चस्वी महापुरुष बने. प्रतापी एवं माता-पिता भक्त परशुराम ने जहां पिता की आज्ञा से माता का गला काट दिया, वहीं पिता से माता को जीवित करने का वरदान भी मांग लिया. इस तरह हठी, क्रोधी और अन्याय के खिलाफ संघर्ष करने वाले परशुराम का लक्ष्य मानव मात्र का हित था.
परशुराम ही थे, जिनके इशारों पर नदियों की दिशा बदल जाया करती थी. उन्होंने अपने बल से आर्यों के शत्रुओं का नाश किया. हिमालय के उत्तरी भू-भाग, अफगानिस्तान, ईरान, इराक, कश्यप भूमि और अरब में जाकर शत्रुओं का संहार किया. उसी फारस जिसे पर्शिया भी कहा जाता था, का नाम इनके फरसे पर किया गया.
उन्होंने भारतीय संस्कृति को आर्यन यानी ईरान के कश्यप भूमि क्षेत्र और आर्यक यानी इराक में नई पहचान दिलाई. गौरतलब है कि पर्शियन भाषी पार्शिया परशुराम के अनुयायी और अग्निपूजक कहलाते हैं और परशुराम से इनका संबंध जोड़ा जाता है. अब तक भगवान परशुराम पर जितने भी साहित्य प्रकाशित हुए हैं, उनसे पता चलता है कि मुंबई से कन्याकुमारी तक के क्षेत्रों को 8 कोणों में बांटकर परशुराम ने प्रांत बनाया था और इसकी रक्षा की प्रतिज्ञा भी ली थी.
यह भी पढ़ें: इन मैसेजेस से अपने करीबियो को भेजें अक्षय तृतीया की बधाई
इस प्रतिज्ञा को तब के अन्यायी राजतंत्र के विरुद्ध बड़ा जनसंघर्ष कहा गया. उन्होंने राजाओं से त्रस्त ब्राह्मणों, वनवासियों और किसानों अर्थात सभी को मिलाकर एक संगठन खड़ा किया, जिसमें कई राजाओं सहयोग मिला. अयोध्या, मिथिला, काशी, कान्यकुब्ज, कनेर, बिंग के साथ ही पूर्व के प्रांतों में मगध और वैशाली भी महासंघ में शामिल थे जिसका नेतृत्व भगवान परशुराम ने किया.
दूसरी ओर, परशुराम ने हैहयों के साथ आज के सिंध, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, पंजाब, लाहौर, अफगानिस्तान, कंधार, ईरान और ऑक्सियाना के पार तक फैले 21 राज्यों के राजाओं से युद्ध किया. सभी 21 अत्याचारी राजाओं और उनके उत्तराधिकारियों तक का परशुराम ने विनाश कर दिया था, ताकि दोबारा कोई सिर न उठा सके.
भगवान परशुराम को लेकर एक आम धारणा है कि वे क्षत्रियों के कुल का नाश करने वाले थे, जो पूरा सत्य नहीं है. पौराणिक कथाओं के अनुसार भी भगवान परशुराम 'क्षत्रिय' वर्ण के हंता न होकर मात्र क्षत्रियों के एक कुल हैहय वंश का समूल विनाश करने वाले हैं. 10वीं शताब्दी के बाद लिखे ग्रंथों में हैहय की जगह क्षत्रिय लिखे जाने के प्रमाण भी मिलते हैं.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं