Navratri 2021: नवरात्रि की दुर्गा नवमी पर करें मां सिद्धिदात्री की आरती, इन मंत्रों का करें जाप

Maa Durga Navami Aarti: हिंदू पंचांग के अनुसार, शारदीय नवरात्रि का अंतिम दिन नवरात्रि दुर्गा नवमी या महानवमी (Maha Navami) का होता है. इस साल महानवमी 14 अक्टूबर, 2021 दिन गुरुवार के दिन मनाई जा रही है.

Navratri 2021: नवरात्रि की दुर्गा नवमी पर करें मां सिद्धिदात्री की आरती, इन मंत्रों का करें जाप

Navratri 2021: मां सिद्धिदात्री की आरती और इस मंत्र का जाप करने से हो सकता है लाभ

नई दिल्ली:

Shardiya Navratri 2021: शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) की नवमी तिथि आज 14 अक्टूबर दिन गुरुवार को है. हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को महानवमी कहा जाता है. इस वर्ष शारदीय नवरात्रि की महानवमी आज यानि 14 अक्टूबर को है. बता दें कि नवरात्रि (Navratri 2021) की नवमी तिथि को मां दुर्गा (Maa Durga) के 9वें स्वरूप मां सिद्धिदात्री (Maa Siddhidatri) की पूजा-आराधना की जाती है. इतना ही नहीं, इन्हें आदि शक्ति भगवती के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि इस दिन मां सिद्धिदात्री की विधि-विधान से पूजा अर्चना करने से भक्त को सिद्धि प्राप्त होती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है. कहते हैं कि नवरात्रि के अन्य सभी दिनों के बराबर पुण्य लाभ केवल महानवमी के दिन व्रत रखते हुए मां सिद्धिदात्री की पूजा आराधना से ही प्राप्त होता है. इस दिन 10 साल से कम उम्र की कन्याओं को देवी का रूप मानकर उनकी पूजा की जाती है. कन्या पूजन के बाद ही नवरात्रि के व्रत संपन्न माने जाते हैं. इस दिन मां सिद्धिदात्री का व्रत रखने के साथ-साथ विधि-विधान से पूजा-अर्चना आदि करनी चाहिए. इसके साथ ही पूजा के बाद आरती और मंत्र का जाप करने से लाभ होता है. तो आइए जानते हैं दुर्गा नवमी के दिन कौन से आरती और मंत्र का जाप किया जाता है.

मां सिद्धिदात्री का मंत्र (Maa Siddhidatri Mantra)

या देवी सर्वभू‍तेषु सिद्धिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नम:

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Navratri 2021 Date:  ऐसे करें मां सिद्धिदात्री की आरती

मां सिद्धिदात्री की आरती (Maa Siddhidatri Aarti)

जय सिद्धिदात्री तू सिद्धि की दाता

तू भक्तों की रक्षक

तू दासों की माता,

तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि

तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि

कठिन काम सिद्ध कराती हो तुम

हाथ, सेवक, केसर, धरती हो तुम,

तेरी पूजा में न कोई विधि है

तू जगदंबे दाती, तू सर्वसिद्धि है

रविवार को तेरा सुमरिन करे जो

तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो,

तू सब काज उसके कराती हो पूरे

कभी काम उस के रहे न अधूरे

तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया

रखे जिसके सर पैर मैया अपनी छाया,

सर्व सिद्धि दाती वो है भाग्यशाली जो है तेरे

दर का ही अम्बे सवाली, हिमाचल है पर्वत

जहां वास तेरा, महानंदा मंदिर में है वास तेरा,

मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता

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वंदना है सवाली तू जिसकी दाता...