Navratri 2020: हिंदू पौराणिक कथाओं में देवी शक्ति को पार्वती या दुर्गा के रूप में भी जाना जाता है, उन्हें ब्रह्मांडीय ऊर्जा के सभी रूपों का स्रोत माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि सिर्फ देवी शक्ति ही असुरों का नाश कर, नकारात्मक ऊर्जा और अन्य बुराइयों को खत्म करती हैं. हिंदू धर्म में देवी शक्ति की पूजा कई रूपों में की जाती है और उनका आशीर्वाद लिया जाता है. देवी शक्ति की पूजा करने का ऐसा ही एक तरीका है दुर्गा पूजा और इस दौरान नौ दिनों तक उनकी पूजा की जाती है. नौ दिनों तक चलने वाले इस उत्सव को नवरात्रि के रूप में जाना जाता है. इन नौ दिनों के दौरान देवी दुर्गा के भक्त उनके नौ अलग-अलग रूपों की पूजा करते हैं और उनसे आशीर्वाद मांगते हैं.
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लेकिन क्या आप जानते हैं, कि नवरात्रि के दौरान हिंदू धर्म के लोग दुनिया भर में स्थित 51 शक्तिपीठों के दर्शन भी करते हैं ? हालांकि, कोई भी उनमें से सभी सिद्धपीठों के दर्शन करने नहीं जा सकता, लेकिन नवरात्रि के दौरान कम से कम किसी एक शक्तिपीठ के दर्शन करने के लिए तो भक्त जरूर जाते हैं. बता दें कि शक्तिपीठ वे धार्मिक स्थान हैं, जहाँ हवन कुंड में कूदने के बाद देवी सती के शरीर के भाग गिरे थे और भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से उनके शरीर को 51 भागों में काट दिया था. देवी सती हवन कुंड में क्यों कूदीं थीं, ये हम आपको एक छोटी सी पौराणिक कहानी की मदद से बता देते हैं.
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सती, महाराज दक्ष की पुत्री थी, जो भगवान ब्रह्मा के पुत्रों में से एक थे. वह भगवान शिव से शादी करना चाहती थी, लेकिन चूंकि दक्ष को शिव पसंद नहीं थे इसलिए उन्होंने अपनी प्रिय बेटी को रोकने की पूरी कोशिश की. सती ने अंततः अपने माता-पिता की इच्छा के खिलाफ शिव से विवाह किया और अपने विवाहित जीवन में खुश थी. लेकिन राजा दक्ष भगवान शिव से बदला लेना चाहते थे और इसके लिए उन्होंने एक भव्य यज्ञ का आयोजन किया. उन्होंने भगवान शिव और सती को इस यज्ञ में आमंत्रित नहीं किया. जब सती को यज्ञ के बारे में पता चला, तो उन्होंने अपने पिता के घर जाने की इच्छा व्यक्त की. भगवान शिव ने उन्हें जाने से मना किया, क्योंकि उन्हें यज्ञ में आमंत्रित नहीं किया गया था. फिर भी वह दक्ष के घर गईं और वहां दक्ष ने सती और शिव का अपमान किया. उन्होंने शिव को अपशब्द कहे और उनका मजाक उड़ाया.
सती को अपने पति की बात न मानने की गलती का एहसास हुआ, वह हवन कुंड में कूद गईं. वह अग्नि में मर गईं और इससे भगवान शिव को ठेस पहुंची. वह यज्ञ में आए और सती की मृत्यु के लिए दक्ष को जिम्मेदार ठहराया. जब दक्ष को अपनी गलती का एहसास नहीं हुआ और उन्होंने दंपति का अपमान किया, तो भगवान शिव ने दक्ष का वध कर दिया. इसके बाद उन्होंने सती के जले हुए शरीर को उठाया और अपने कंधे पर लेकर चले गए. इसके बाद वह ब्रह्मांड में घूमते रहे और अपनी प्रिय पत्नी की मृत्यु पर शोक मनाते रहे. सभी देवताओं ने सती के अंतिम संस्कार करने और दु:ख को दूर करने के लिए भगवान शिव से प्रार्थना की. लेकिन भगवान शिव ने उनकी बात नहीं मानी. आखिरकार, भगवान विष्णु को सती के मृत शरीर को काटने के लिए अपने सुदर्शन चक्र का उपयोग करना पड़ा. इस वजह से उनके शरीर को 51 भागों में विभाजित किया गया था जो पूरे ब्रह्मांड में विभिन्न स्थानों पर गिरे थे और वही स्थान शक्तिपीठ बन गए.
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जानिए, दुनियाभर में कहां-कहां हैं ये शक्तिपीठ
1. शक्ति महामाया: अमरनाथ, जम्मू और कश्मीर
2. शक्ति फुल्लरा: अट्टहास, पश्चिम बंगाल
3. शक्ति बाहुला: बाहुल, पश्चिम बंगाल
4. शक्ति महिषमर्दिनी: वक्रेश्वर
5. शक्ति अवंती: भैरव पर्वत, मध्य प्रदेश
6. शक्ति अर्पण: भवानीपुर , बांग्लादेश
7. गंडकी चंडी: गंडकी, नेपाल
8. शक्ति भ्रामरी: जनस्थान, नासिक
9. शक्ति कोट्टरी: हिंगलाज, करांची, पाकिस्तान
10. शक्ति जयंती: जयंती, बांग्लादेश
11. शक्ति सिधिदा/अंबिका: ज्वाला, हिमाचल प्रदेश
12. शक्ति कालिका: कालीघाट, पश्चिम बंगाल
13. शक्ति काली: मध्य प्रदेश
14. शक्ति यशोरेश्वरी: यशोर, बांग्लादेश
15. शक्ति कामाख्या: कामाख्या, असम
16. शक्ति देवगर्भ: बीरभूम, पश्चिम बंगाल
17. शक्ति श्रवणी: कन्याश्रम, तमिलनाडु
18. शक्ति जयदुर्गा: चामुंडेश्वरी, कर्नाटक
19. शक्ति विमला: किरीट, पश्चिम बंगाल
20. शक्ति कुमारी: रत्नावली, पश्चिम बंगाल
21. शक्ति भ्रामरी: त्रिस्रोत, पश्चिम बंगाल
22. शक्ति दाक्षायनी: मानस, तिब्बत, चीन
23. शक्ति गायत्री: मणिबंध, राजस्थान
24. शक्ति उमा: मिथिला, भारत और नेपाल की सीमा
25. शक्ति इन्द्रक्षी: नैनातिवु, श्रीलंका
26. शक्ति महाशिरा: गुजयेश्वरी मंदिर, नेपाल
27. शक्ति भवानी: चंद्रनाथ, बांग्लादेश
28. शक्ति वाराही: पंचसागर, उत्तर प्रदेश
29. शक्ति चंद्रभागा, प्रभास, गुजरात
30. शक्ति ललिता: प्रयाग
31. शक्ति सावित्री: कुरुक्षेत्र, हरियाणा
32. शक्ति शिवानी: मैहर, मध्य प्रदेश
33. शक्ति नंदिनी: नंदिकेश्वरी, पश्चिम बंगाल
34. शक्ति राकिनी: विश्वेश्वरी, गोदावरी नदी के पास
35. शक्ति महिषा-मर्दिनी: शर्कररे, पाकिस्तान
36. शक्ति नर्मदा : शोन्देश, मध्य प्रदेश
37. शक्ति श्री सुंदरी: श्रीशैलम, आंध्र प्रदेश
38. शक्ति महालक्ष्मी: श्री शैल, बांग्लादेश
39. शक्ति नारायणी: शुचि, तमिलनाडु
40. शक्ति सुनंदा: सुगंध, बांग्लादेश
41. शक्ति मंगल चंद्रिका: उज्जनी, पश्चिम बंगाल
42. शक्ति त्रिपुर सुंदरी: उदरपुर, त्रिपुरा
43. शक्ति विशालाक्षी: वाराणसी, उत्तर प्रदेश
44. शक्ति कपालिनी: विभाष, पश्चिम बंगाल
45. शक्ति अंबिका: भरतपुर, राजस्थान
46. शक्ति उमा: वृंदावन, उत्तर प्रदेश
47. शक्ति त्रिपुरमालिनी: जालंधर, पंजाब
48. शक्ति अम्बाजी: अंबाजी, गुजरात
49. शक्ति जय दुर्गा: देवघर, झारखंड
50. शक्ति दंतेश्वरी: दंतेश्वरी, छत्तीसगढ़
51. शक्ति विमला: बिराज, उड़ीसा
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