Nag Panchami 2019: आज है नागपंचमी, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, व्रत कथा और महत्‍व

नाग पंचमी (Nag Panchami) भी ऐसा ही एक पर्व है जिसमें सांप या नाग को देवता (Nag Devta) मानकर उसकी पूजा की जाती है. नाग पंचमी के दिन लोग दिन भर व्रत करते हैं और सांपों को दूध भी पिलाते हैं. नाग पंचमी के व्रत को अत्‍यंत फलदायी और शुभ माना गया है.

Nag Panchami 2019: आज है नागपंचमी, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, व्रत कथा और महत्‍व

आज है नागपंचमी

नई दिल्ली:

Nag Panchami: हिन्‍दू धर्म में देवी-देवताओं के साथ ही उनके प्रतीकों और वाहनों की पूजा-अर्चना करने की भी परंपरा है. देवी-देवताओ के ये प्रतीक और वाहन किसी करिश्‍माई लोक से नहीं बल्‍कि प्रकृति का अभिन्‍न हिस्‍सा हैं, जिन्‍में जानवर, पक्षी, सरीसृप, फूल और वृक्ष शामिल हैं. नाग पंचमी (Nag Panchami) भी ऐसा ही एक पर्व है जिसमें सांप या नाग को देवता (Nag Devta) मानकर उसकी पूजा की जाती है. नाग पंचमी के दिन लोग दिन भर व्रत करते हैं और सांपों को दूध भी पिलाते हैं. नाग पंचमी के व्रत को अत्‍यंत फलदायी और शुभ माना गया है.

नाग पंचमी कब है?
हिन्‍दू कैलेंडर के अनुसार श्रावण यानी कि सावन मास के शुक्‍ल पक्ष की पंचमी तिथि को नागपंचमी का त्‍योहार मनाया जाता है. ग्रेगोरियन कैलेंडर के मुताबिक नागपंचमी हर साल जुलाई या अगस्‍त महीने में आती है. इस बार नाग पंचमी 05 अगस्‍त यानी आज है. खास बात यह है कि इस बार नाग पंचमी के दिन सोमवार है. दरअसल, सोमवार को भगवान शिव शंकर का दिन माना गया है. यही वजह है कि सोमवार के दिन पड़ने से इस बार की नाग पंचमी का महत्‍व और बढ़ गया है.


नाग पंचमी की तिथ‍ि और शुभ मुहूर्त 
नाग पंचमी की तिथि: 05 अगस्‍त 2019 
नाग पंचमी तिथि प्रारंभ: 04 अगस्त 2019 की रात 12 बजकर 19 मिनट से. 
नाग पंचमी तिथि समाप्‍त: 05 अगस्‍त 2019 को रात  09 बजकर 25 मिनट तक.
नाग पंचमी की पूजा का मुहूर्त: 05 अगस्‍त 2019 को सुबह 06 बजकर 29 मिनट से सुबह 08 बजकर 41 मिनट तक. 

नाग पंचमी का महत्‍व 
हिन्‍दुओं में नाग को देवता की संज्ञा दी जाती है और उनकी पूजा का विधान है. दरअसल, हिन्‍दू धर्म में नाग को आदि देव भगवान शिव शंकर के गले का हार और सृष्टि के पालनकर्ता श्री हरि विष्‍णु की शैय्या माना जाता है. इसके अलावा नागों का लोगों के जीवन से भी गहरा नाता है. सावन के महीने में जमकर वर्षा होती है, जिस वजह से नाग जमीन के अंदर से निकलकर बाहर आ जाते हैं. ऐसे में माना जाता है कि अगर नाग देवता को दूध पिलाया जाए और उनकी पूजा-अर्चना की जाए तो वे किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं. यही नहीं कुंडली दोष को दूर करने के लिए भी नागपंचमी का विशेष महत्‍व है. ज्‍योतिष शास्‍त्र के अनुसार कुंडली में अगर काल सर्प दोष हो तो नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा और रुद्राभिषेक करना चाहिए. मान्‍यता है कि ऐसा करने से इस दोष से मुक्ति मिल जाती है. 

नाग पंचमी की पूजा विधि 
- नाग पंचमी के दिन सुबह स्‍नान करने के बाद घर के दरवाजे पर पूजा के स्थान पर गोबर से नाग बनाएं. 
- मन में व्रत का सकंल्‍प लें.
- नाग देवता का आह्वान कर उन्‍हें बैठने के लिए आसन दें. 
- फिर जल, पुष्प और चंदन का अर्घ्‍य दें. 
- दूध, दही, घी, शहद और चीनी का पंचामृत बनाकर नाग प्रतिमा को स्नान कराएं
- इसके बाद प्रतिमा पर चंदन, गंध से युक्त जल चढ़ाना चाहिए.
- फ‍िर लड्डू और मालपुए का भोग लगाएं. 
- फिर सौभाग्य सूत्र, चंदन, हरिद्रा, चूर्ण, कुमकुम, सिंदूर, बेलपत्र, आभूषण, पुष्प माला, सौभाग्य द्र्व्य, धूप-दीप, ऋतु फल और पान का पत्ता चढ़ाने के बाद आरती करें
- माना जाता है कि नाग देवता को सुगंध अति प्रिय है. इस दिन नाग देव की पूजा सुगंधित पुष्प और चंदन से करनी चाहिए.
- नाग पंचमी की पूजा का मंत्र इस प्रकार है: "ऊँ कुरुकुल्ये हुं फट स्वाहा"!!
- शाम के समय नाग देवता की फोटो या प्रतिमा की पूजा कर व्रत तोड़ें और फलाहार ग्रहण करें. 

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नाग पंचमी की कथा 
नाग पंचमी की पूजा को भगवान कृष्‍ण से भी जोड़कर देखा जाता है. लोक कथाओं के अनुसार भगवान कृष्‍ण के मामा ने उन्हें मारने के लिए कालिया नाम का नाग भेजा. एक दिन जब श्री कृष्ण अपने दोस्तों के साथ खेल रहे थे तो उनकी गेंद नदी में गिर गई. जब वे उसे लाने के लिए नदी में उतरे तो कालिया ने उन पर आक्रमण कर दिया. कृष्‍ण के आगे नाग की एक न चली. उसने भगवान श्री कृष्ण से माफी मांगते हुए वचन दिया कि वो गांव वालों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगा और वहां से हमेशा-हमेशा के लिए चला जाएगा. कालिया नाग पर श्री कृष्ण की विजय को भी नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है.