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This Article is From Aug 14, 2018

Nag Panchami 2018: जानिए नाग पंचमी पर क्‍या करें और क्‍या नहीं?

Nag Panchami on 15th August: नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा की जाती है और उन्‍हें दूध पिलाने का वरदान है.

Nag Panchami 2018: जानिए नाग पंचमी पर क्‍या करें और क्‍या नहीं?
नाग पंचमी 2018: हिन्‍दू धर्म में नाग के देवता की संज्ञा दी गई है
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नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा की जाती है
नाग को महादेव के गले का हार माना जाता है
इस दिन नाग को दूध पिलाए जाने की परंपरा है
नई दिल्‍ली: नाग पंचमी (Nag Panchami) का हिन्‍दू धर्म में विशेष महत्‍व है. इस दिन सांप या नाग की पूजा की जाती है और उन्‍हें दूध पिलाने का विधान है. मान्‍यताओं के अनुसार नाग पंचमी के दिन रुद्राभिषेक करने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिल जाती है. हिन्‍दू कैलेंडर के अनुसार श्रावण यानी कि सावन मास के शुक्‍ल पक्ष की पंचमी तिथि को नागपंचमी का त्‍योहार मनाया जाता है. इस बार नाग पंचमी 15 अगस्‍त (15 August 2018) को मनाई जाएगी. 

क्‍या है नागों को दूध चढ़ाने का महत्‍व? 

नाग पंचमी का महत्‍व 
हिन्‍दू धर्म में देवी-देवताओं के साथ ही उनके प्रतीकों और वाहनों की पूजा-उपाासना की भी परंपरा है. नाग पंचमी भी ऐसा ही एक पर्व है. जी हां, हिन्‍दुओं में नाग को देवता की संज्ञा दी जाती है और उनकी पूजा के कई कारण हैं. दरअसल, नाग
को आदि देव भगवान शिव शंकर के गले का हार और सृष्टि के पालनकर्ता श्री हरि विष्‍णु की शैय्या माना जाता है. इसके अलावा नागों का लोकजीवन से भी गहरा नाता है. सावन के महीने में जमकर वर्षा होती है जिस वजह से नाग जमीन के अंदर से निकलकर बाहर आ जाते हैं. ऐसे में माना जाता है कि अगर नाग देवता को दूध पिलाया जाए और उनकी पूजा-अर्चना की जाए तो वे किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं. 

यही नहीं कुंडली दोष को दूर करने के लिए भी इस दिन का विशेष महत्‍व है. ज्‍योतिष शास्‍त्र के अनुसार कुंडली में अगर काल सर्प दोष हो तो नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा और रुद्राभिषेक करना चाहिए. मान्‍यता है कि ऐसा करने से इस दोष से मुक्ति मिल जाती है. 

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क्‍या है भगवान श्रीकृष्‍ण और नाग पंचमी का नाता?
नाग पंचमी की पूजा को भगवान कृष्‍ण से भी जोड़कर देखा जाता है. लोक कथाओं के अनुसार भगवान कृष्‍ण के मामा ने उन्हें मारने के लिए कालिया नाम का नाग भेजा. एक दिन जब श्री कृष्ण अपने दोस्तों के साथ खेल रहे थे तो उनकी गेंद नदी में गिर गई. जब वे उसे लाने के लिए नदी में उतरे तो कालिया ने उन पर आक्रमण कर दिया. कृष्‍ण के आगे नाग की एक न चली. उसने भगवान श्री कृष्ण से माफी मांगते हुए वचन दिया कि वो गांव वालों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगा और वहां से हमेशा-हमेशा के लिए चला जाएगा. कालिया नाग पर श्री कृष्ण की विजय को भी नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है.

नाग पंचमी की तिथ‍ि और शुभ मुहूर्त 
नाग पंचमी तिथि प्रारंभ: 15 अगस्त की सुबह 03 बजकर 27 मिनट. 
नाग पंचमी तिथि समाप्‍त: 16 अगस्‍त को दिन में 01 बजकर 51 मिनट.

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नाग पंचमी की पूजा विधि 
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नाग पंचमी के दिन सुबह स्‍नान करने के बाद घर के दरवाजे पर पूजा के स्थान पर गोबर से नाग बनाएं. 
मन में व्रत का सकंल्‍प लें.
- नाग देवता का आह्वान कर उन्‍हें बैठने के लिए आसन दें. 
- फिर जल, पुष्प और चंदन का अर्घ्‍य दें. 
- दूध, दही, घी, शहद और चीनी का पंचामृत बनाकर नाग प्रतिमा को स्नान कराएं
- इसके बाद प्रतिमा पर चंदन, गंध से युक्त जल चढ़ाना चाहिए.
- फ‍िर लड्डू और मालपुए का भोग लगाएं. 
- फिर सौभाग्य सूत्र, चंदन, हरिद्रा, चूर्ण, कुमकुम, सिंदूर, बेलपत्र, आभूषण, पुष्प माला, सौभाग्य द्र्व्य, धूप-दीप, ऋतु फल और पान का पत्ता चढ़ाने के बाद आरती करें
- माना जाता है कि नाग देवता को सुगंध अति प्रिय है. इस दिन नाग देव की पूजा सुगंधित पुष्प और चंदन से करनी चाहिए.

नाग पंचमी की पूजा का मंत्र
नाग पंचमी की पूजा का मंत्र इस प्रकार है:
" ऊँ कुरुकुल्ये हुं फट स्वाहा"!!

नाग पंचमी पर क्‍या करें?
- इस दिन नाग की पूजा का विधान है. नाग देवता की तस्‍वीर या फिर मिट्टी या धातू से बनी प्रतिमा की पूजा करनी चाहिए. 
- इस दिन नाग देवता को दूध पिलाया जाता है. 
- नाग देवता को धान, खील और दूब अर्पित करना चाहिए. 
- इस दिन सपेरों से नागों को खरीदकर उन्‍हें मुक्‍त कराना शुभ माना जाता है. 

नाग पंचमी के दिन क्‍या न करें?
- नाग पंचमी के दिन जमीन की खुदाई नहीं करनी चाहिए. 
- इस दिन हल नहीं चलाना चाहिए. 
- इस दिन जमीन पर नींव नहीं डालनी चाहिए.

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