
देवभूमि कहे जाने वाले हिमाचल प्रदेश के शहर मंडी की प्रसिद्धि केवल भारत ही नहीं, बल्कि बल्कि विदेशों में भी है. यहां हर साल लाखों सैलानी आते हैं. लेकिन यहां महाशिवरात्रि पर्व के मौके पर धार्मिक पर्यटकों की संख्या में अप्रत्याशित इजाफा होता जाता है. क्योंकि, यहां के लोगों के मानना है कि इस वार्षिक पर्व के मौके पर यहां के सैकड़ों मंदिरों के 200 से अधिक देवता इकट्ठा होते हैं, जिसकी झांकी बड़ी मनमोहक होती है जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं. ज्ञातव्य है कि इस शहर को छोटी काशी के नाम से भी जाना जाता है.
मंडी में मनाई जाने वाली महाशिवरात्रि देश के अन्य भागों से थोड़ा हटके है. क्योंकि, जहां पूरा देश हिन्दू पंचांग के मुहूर्त के हिसाब से जिस दिन महाशिवरात्रि मनाता है, वहीं मंडी में यह पर्व एक दिन बाद मनाया जाता है. लिहाजा साल 2017 में भी जब 24 फरवरी शुक्रवार को यह पर्व मनाया गया, तो मंडी में इसे 25 फरवरी शनिवार को मनाया गया. कहते हैं, इसका कारण देवताओं के इक्कट्ठा होने में लगा वक्त जिम्मेदार है.
इस शहर के इतिहास के अनुसार, यहां यह त्योहार सन 1526 से मनाया जा रहा है, जब इस शहर की स्थापना अजबर सेन (1499-1534) के शासनकाल में हुई थी. कहते हैं, तब उन्होंने सभी स्थानीय देवताओं को उस नए शहर की स्थापना के समय आमंत्रित किया था. तब से इस परंपरा का पालन करते हुए महाशिवरात्रि के मौके पर इस उत्सव में भाग लेने के लिए आज भी 200 से ज्यादा देवताओं को आमंत्रित किया जाता है.
इस त्यौहार के पहले दिन भगवान विष्णु के अवतार और प्रमुख देवता के रूप में भगवान माधोराय का एक जुलूस शहर में निकाला जाता है. और, उनके पीछे आमंत्रित देवताओं की सुंदर सजी पालकियां होती है. ये सभी देवतागण मंडी में स्थापित भगवान शिव को समर्पित भूतनाथ मंदिर पर इकट्ठा होते हैं. इस मंदिर का निर्माण भी सन 1526 में हुआ था.
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मंडी में मनाई जाने वाली महाशिवरात्रि देश के अन्य भागों से थोड़ा हटके है. क्योंकि, जहां पूरा देश हिन्दू पंचांग के मुहूर्त के हिसाब से जिस दिन महाशिवरात्रि मनाता है, वहीं मंडी में यह पर्व एक दिन बाद मनाया जाता है. लिहाजा साल 2017 में भी जब 24 फरवरी शुक्रवार को यह पर्व मनाया गया, तो मंडी में इसे 25 फरवरी शनिवार को मनाया गया. कहते हैं, इसका कारण देवताओं के इक्कट्ठा होने में लगा वक्त जिम्मेदार है.
इस शहर के इतिहास के अनुसार, यहां यह त्योहार सन 1526 से मनाया जा रहा है, जब इस शहर की स्थापना अजबर सेन (1499-1534) के शासनकाल में हुई थी. कहते हैं, तब उन्होंने सभी स्थानीय देवताओं को उस नए शहर की स्थापना के समय आमंत्रित किया था. तब से इस परंपरा का पालन करते हुए महाशिवरात्रि के मौके पर इस उत्सव में भाग लेने के लिए आज भी 200 से ज्यादा देवताओं को आमंत्रित किया जाता है.
इस त्यौहार के पहले दिन भगवान विष्णु के अवतार और प्रमुख देवता के रूप में भगवान माधोराय का एक जुलूस शहर में निकाला जाता है. और, उनके पीछे आमंत्रित देवताओं की सुंदर सजी पालकियां होती है. ये सभी देवतागण मंडी में स्थापित भगवान शिव को समर्पित भूतनाथ मंदिर पर इकट्ठा होते हैं. इस मंदिर का निर्माण भी सन 1526 में हुआ था.
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