मौनी अमावस्या 2018: जानिए पूजा विधि, मंत्र, शुभ मुहूर्त, महत्व और क्यों रहें मौन
नई दिल्ली:
माघ महीने में आने वाली पहली अमावस को मौनी अमावस्या नाम से जाना जाता है. इस अमावस्या की खास बात है कि इस दिन मौन रहकर पूजा-पाठ और व्रत किया जाता है. इस बार यह अमावस्या 16 से 17 जनवरी के दिन मनाई जा रही है. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से देवताओं से पुण्य की प्राप्ति होती है और पितरों को शांति मिलती है. मौनी अमावस्या को भौमवती अमावस्या और मौन अमवस्या भी कहा जाता है.
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मौनी अमावस्या पर गंगा स्नान का महत्व
माघ महीने में गंगा में स्नान करने का बहुत महत्व है. मान्यताओं के अनुसार इस दिन पवित्र संगम में देवताओं का निवास होता है इसलिए इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है इसी महीने में इलाहाबाद के संगम और सभी गंगा के किनारों पर श्रद्धालु स्नान करते हैं. जिन लोगों को गंगा में स्नान का मौका नहीं मिल पाता वह घर में रहकर भी नहाने के पानी में कुछ बूंद गंगाजल डालकर स्नान करते हैं.
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क्यों रहा जाता है मौन
ऐसी मान्यता है कि मन को शांत रखने के लिए माघ महीने की इस अमावस्या के दिन मौन रहा जाता है. जैसे साधू-संत मौन रहकर तप किया करते थे, भगवान को याद किया करते थे, ठीक उसी प्रकार कलयुग में ईश्वर को याद करने के लिए इस अमावस्या पर मौन रहा जाता है. अगर कोई व्यक्ति शांत ना रह पाए तो इस दिन किसी को बुरा-भला ना बोले, इस परिस्थिती में भी यह व्रत पूरा माना जाता है.
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क्या किया जाता है इस दिन
शास्त्रों के अनुसार इस दिन दान करने से पुण्य मिलता है. ठीक उसी तरह जिस प्रकार सतयुग में पुण्य तप से मिलता था, द्वापर में हरि भक्ति से मिलता था और त्रेता में ज्ञान से मिला करता था. इसीलिए मौनी अमावस्या के दिन दान करने का विशेष महत्व है. इस दिन अन्न, वस्त्र, धन, गाय, भूमि और स्वर्ण दान के रूप में दिया जाता है. साथ ही तिल भी दान किया जाता है. इसके अलावा सुबह का गंगा स्नान करते वक्त इस मंत्र का जाप किया जाता है.
गंगे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति। नर्मदे सिन्धु कावेरि जलऽस्मिन्सन्निधिं कुरु।।
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मौनी अमावस्या 2018 मुहूर्त
मौनी अमावस्या का आरंभ 16 जनवरी को सुबह 5 बजकर 11 मिनट पर हो रहा है जो 17 जनवरी को सुबह 7 बजकर 47 मिनट तक रहेगा.
कैसे की जाती है पूजा
1. सबसे पहले गंगा या फिर घर में नहाने के पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें. स्नान करते वक्त मन में विष्णु जी का ध्यान करते रहें.
2. स्नान के बाद रोज़ाना की तरह पूजा करें और 108 बार तुलसी परिक्रमा करें.
3. पूजा के बाद दान के लिए अपनी इच्छा के अनुसार अन्न, वस्त्र, धन, गाय, भूमि और स्वर्ण का दान करें.
4. सुबह के स्नान से ही मौन रहें और मन में ( गंगे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति। नर्मदे सिन्धु कावेरि जलऽस्मिन्सन्निधिं कुरु।।) मंत्र का जाप करें.
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मौनी अमावस्या पर गंगा स्नान का महत्व
माघ महीने में गंगा में स्नान करने का बहुत महत्व है. मान्यताओं के अनुसार इस दिन पवित्र संगम में देवताओं का निवास होता है इसलिए इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है इसी महीने में इलाहाबाद के संगम और सभी गंगा के किनारों पर श्रद्धालु स्नान करते हैं. जिन लोगों को गंगा में स्नान का मौका नहीं मिल पाता वह घर में रहकर भी नहाने के पानी में कुछ बूंद गंगाजल डालकर स्नान करते हैं.
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क्यों रहा जाता है मौन
ऐसी मान्यता है कि मन को शांत रखने के लिए माघ महीने की इस अमावस्या के दिन मौन रहा जाता है. जैसे साधू-संत मौन रहकर तप किया करते थे, भगवान को याद किया करते थे, ठीक उसी प्रकार कलयुग में ईश्वर को याद करने के लिए इस अमावस्या पर मौन रहा जाता है. अगर कोई व्यक्ति शांत ना रह पाए तो इस दिन किसी को बुरा-भला ना बोले, इस परिस्थिती में भी यह व्रत पूरा माना जाता है.
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क्या किया जाता है इस दिन
शास्त्रों के अनुसार इस दिन दान करने से पुण्य मिलता है. ठीक उसी तरह जिस प्रकार सतयुग में पुण्य तप से मिलता था, द्वापर में हरि भक्ति से मिलता था और त्रेता में ज्ञान से मिला करता था. इसीलिए मौनी अमावस्या के दिन दान करने का विशेष महत्व है. इस दिन अन्न, वस्त्र, धन, गाय, भूमि और स्वर्ण दान के रूप में दिया जाता है. साथ ही तिल भी दान किया जाता है. इसके अलावा सुबह का गंगा स्नान करते वक्त इस मंत्र का जाप किया जाता है.
गंगे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति। नर्मदे सिन्धु कावेरि जलऽस्मिन्सन्निधिं कुरु।।
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मौनी अमावस्या का आरंभ 16 जनवरी को सुबह 5 बजकर 11 मिनट पर हो रहा है जो 17 जनवरी को सुबह 7 बजकर 47 मिनट तक रहेगा.
कैसे की जाती है पूजा
1. सबसे पहले गंगा या फिर घर में नहाने के पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें. स्नान करते वक्त मन में विष्णु जी का ध्यान करते रहें.
2. स्नान के बाद रोज़ाना की तरह पूजा करें और 108 बार तुलसी परिक्रमा करें.
3. पूजा के बाद दान के लिए अपनी इच्छा के अनुसार अन्न, वस्त्र, धन, गाय, भूमि और स्वर्ण का दान करें.
4. सुबह के स्नान से ही मौन रहें और मन में ( गंगे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति। नर्मदे सिन्धु कावेरि जलऽस्मिन्सन्निधिं कुरु।।) मंत्र का जाप करें.
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