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This Article is From Jan 13, 2021

Makar Sankranti 2021: जानें, क्यों ज्यादा शुभ है इस बार की मकर संक्रांति ? बन रहा 5 ग्रहों का विशेष योग

Makar Sankranti 2021: जब सूर्य एक राशि को छोड़कर दूसरी राशि में प्रवेश करता है, तो इसे संक्रान्ति कहते हैं. इस नियम के अनुसार सूर्य जब धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता है तो मकर संक्रांति (Makar Sankranti ) होती है.

Makar Sankranti 2021: जानें, क्यों ज्यादा शुभ है इस बार की मकर संक्रांति ?  बन रहा 5 ग्रहों का विशेष योग
Makar Sankranti 2021: जानें, क्यों ज्यादा शुभ है इस बार की मकर संक्रांति ? बन रहा 5 ग्रहों का विशेष योग

Makar Sankranti 2021: जब सूर्य एक राशि को छोड़कर दूसरी राशि में प्रवेश करता है, तो इसे संक्रान्ति कहते हैं. इस नियम के अनुसार सूर्य जब धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता है तो मकर संक्रांति (Makar Sankranti ) होती है. वैसे तो सभी ग्रहों की संक्रांतिया होती हैं, परंतु उन सभी में सूर्य की संक्रांति विशेष फलदायक होती है इसीलिए हमारे शास्त्रों में सूर्य की संक्रांति और उनमें भी मकर संक्रांति को विशेष महत्व दिया गया है, क्योंकि धर्मशास्त्रीय नियमानुसार मकर संक्रांति काल में स्नान, जप, दान, होम इत्यादि धार्मिक कृत्यों से सामान्य की अपेक्षा कई गुने फल की प्राप्ति होती है.

मकर संक्रांति का यह पर्व लगभग संपूर्ण भारतवर्ष में किसी न किसी रूप में मनाया जाता है जैसे उत्तर भारत में खिचड़ी, दक्षिण भारत में पोंगल, पंजाब और सिंध प्रदेश में लोहड़ी, गुजरात मे उत्तरायण, बंगाल में  पौष संक्रांति, महाराष्ट्र और हरियाणा में माघी संक्रांति, कर्नाटक में सुग्गी हब्बा, ओडिशा में मकर चौल, असम में बिहू और कश्मीर मर शिशिर संक्रांत इसीलिए मकर - संक्रान्ति का पर्व का हमारे देश में विशेष महत्व है. मकर संक्रान्ति का काल देवताओं की मध्यरात्रि का काल होता है और इसके बाद देवता अपने दिन की ओर उन्मुख होने लगते हैं. इसिलए संहिता ग्रंथो में दिनोन्मुखत्वमेव दिनम कहकर इसे देवताओं का दिन कहा गया है.

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क्या है संक्रांति का शुभ मुहुर्त ?

इस वर्ष संक्रांति के काल को लेकर भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो गई है परंतु भारतीय ज्योतिष शास्त्र की पारंपरिक ग्रंथों में सबसे आधुनिकतम परन्तु पारंपरिक ग्रंथ केतकी ग्रह गणित के अनुसार संक्रांति का काल 8:18 बजे प्रातः के आसन्न सिद्ध हो रहा है. अतः सनातन धर्मावलंबियों के लिए ज्योतिष शास्त्र के पारंपरिक एवं सर्वमान्य शुद्धतम ग्रंथ केतकी ग्रह गणित के अनुसार प्राप्त 8:18 बजे के आसन्न की संक्रांति काल को ही आधार मानकर धर्म आचरण करना उपयुक्त होगा. 14 जनवरी 2021 को संक्रांति का पर्व प्रातः 8:18 बजे से आरंभ कर सायं काल पर्यंत मनाया जाएगा. इस वर्ष 2021 में 14 जनवरी को प्रातः लगभग 8:18 बजे सूर्य के मकर राशि में आने से 14 जनवरी को मकर सक्रांति पर्व मनाया जाएगा तथा इसका पुण्यकाल संक्राति काल से आरम्भ होकर सूर्यास्त काल तक रहेगा.

दान पुण्‍य का काल

मकर संक्रांति के दिन श्रद्धा अनुसार जरूरतमंद लोगों को दान दिया जा सकता है. इस दिन स्नान, दान, जप, तप, श्राद्ध, तथा अनुष्ठान आदि का अत्यधिक महत्व है. इस अवसर पर किया गया दान सौ गुना होकर प्राप्त होता है. दान वस्तुओं के क्रम में तिल , चावल, उड़द की दाल, कम्बल, उपानह, गर्म कपड़े, अग्नि, आदि दान करने तथा गरीबों को खिचड़ी खिलाने से अनन्त पूण्य की प्राप्ति होती है. धर्मसिन्धु में कहा गया है कि-

रविसंक्रमणे प्राप्ते न स्नायाद्यस्तु मानवः।

सप्तजन्मनि रोगी स्यान्निर्धनश्चैव जायते।।

अर्थात् मकर-संक्रान्ति के दिन स्नान न करने वाला व्यक्ति जन्मजन्मान्तर में रोगी तथा निर्धन होता है. इस साल मकर संक्रांति पर पांच ग्रहों का विशेष योग भी बनेगा. इस बार संक्रांति का नाम मंदा है. जो कि शेर पर सवार होकर मकर में प्रवेश कर रही है. ये देव जाति की है. शरीर पर कस्तूरी का लेप, सफेद रंग के कपड़े पहने हुए, नाग केसर पुष्प की माला और हाथ में भुशुंडि शस्त्र लिए, सोने के बर्तन में भोजन करती हुई है.

गुरुवार को संक्रांति होना शुभ 

गुरुवार बृहस्पति देव का दिन है. ज्योतिष ग्रंथों में इसे शुभ दिन माना जाता है. इसलिए इस दिन उत्तरायण होना यानी सूर्य का राशि बदलना बहुत ही शुभ होता है. यह संक्रांति गुरुवार को पड़ रही है जिससे महंगाई के कुछ कम होने के आसार हैं. ज्योतिष ग्रंथों में बताया गया है जब सूर्य के राशि बदलता है उस समय संक्रांति वाली कुंडली बनाई जाती है. जिससे अगले 30 दिनों का राजनैतिक, सामाजिक और आर्थिक भविष्यफल निकाला जा सकता है. इस बार सूर्य के राशि बदलते ही मकर राशि में सूर्य के साथ चंद्रमा, बुध, गुरु और शनि होने से पंचग्रही योग बनेगा. ग्रहों की यह युति बड़े राजनीतिक और सामाजिक बदलाव लाने का ज्योतिषीय संकेत दे रही है. मयूरचित्रकम् में कहा गया है कि- पंचग्रही घ्नन्ति चतुष्पदानां अर्थात्‌ पंचग्रही योग पशुओं के लिये हानिकारक है. पूर्वाह्न में संक्रान्ति का फल ज्योतिर्निबन्ध ग्रन्थ के अनुसार पूर्वाह्ने पीडयेद्भूपान् अर्थात् जब पूर्वाह्न में सूर्य की संक्रान्ति होती है तो राजाओं को पीड़ा देने वाली होती है. प्रशासनिक फेरबदल होने की सम्भावना बन रही है. लोगों की सेहत में सुधार होगा.

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