फाइल फोटो
सुप्रसिद्ध शिव महापुराण में देवों के देव महादेव शिव के अनेक अवतारों का वर्णन किया गया है. इस धर्मग्रंथ के अनुसार भगवान शिव ने 19 अवतार लिए थे. यहां प्रस्तुत हैं, उनके कुछ प्रमुख अवतार के बारे में संक्षिप्त जानकारी.
वीरभद्र अवतार: भगवान शिव का यह अवतार तब हुआ था, जब दक्ष के यज्ञकुंड में देवी सती ने देहदाह किया था. शिव के इस अवतार ने दक्ष के यज्ञ का विध्वंस किया और उसका सिर काटकर मृत्युदंड दिया.
भैरव अवतार: शिव महापुराण में भैरव को परमात्मा देवाधिदेव शिव का पूर्ण रूप बताया गया है. इनका सबसे प्रसिद्ध मंदिर काशी में है.
अश्वत्थामा अवतार: महाकाव्य महाभारत के अनुसार गुरु द्रोण के पुत्र अश्वत्थामा काल, क्रोध, यम और भगवान शिव के अंशावतार थे. शतरुद्रसंहिता की मानें, तो अश्वत्थामा आज भी जीवित हैं.
शरभावतार: इस अवतार में भगवान शिव का स्वरूप आधा हिरण और शेष शरभ पक्षी का था. पुराणों के अनुसार शरभ पक्षी आठ पैरों वाला जंतु, शेर से भी अधिक शक्तिशाली था. इस अवतार में भगवान शिव ने विष्णु के अवतार नृसिंह के क्रोध को शांत किया था.
ऋषि दुर्वासा: भगवान शिव के विभिन्न अवतारों में ऋषि दुर्वासा का अवतार भी प्रमुख है, जो अपने क्रोध के लिए जगविख्यात थे. कहते हैं, शिवातार ऋषि दुर्वासा जिस पर क्रोधित होते थे, उसका सदैव कल्याण होता था.
हनुमान अवतार: भगवान शिव का हनुमान अवतार शिव के सभी अवतारों में श्रेष्ठ माना गया है. इस अवतार में भगवान शिव ने एक वानर का रूप धरा था और प्रभु राम की भक्ति की थी.
वृषभ अवतार: भगवान शिव ने वृषभ अवतार विशेष परिस्थितियों में लिया था. इस अवतार में भगवान शिव ने विष्णु के अहंकारी पुत्रों का संहार किया था.
कृष्णदर्शन अवतार: भगवान शिव ने इस अवतार में यज्ञ आदि धार्मिक कार्यों के महत्व को बताया है. यह अवतार पूर्णत: धर्म का प्रतीक माना जाता है.
अवधूत अवतार: भगवान शिव ने अवधूत अवतार लेकर स्वर्गाधिपति देवराज इंद्र के अंहकार को चूर किया था.
सुरेश्वर अवतार: भगवान शिव ने सुरेश्वर अवतार एक छोटे से बालक उपमन्यु की भक्ति से प्रसन्न होकर उसे अपनी परम भक्ति और अमर पद का वरदान दिया.
किरात अवतार: किरात अवतार में भगवान शिव ने पाण्डुपुत्र धनुर्धारी अर्जुन की वीरता की परीक्षा ली थी.
सुनटनर्तक अवतार: पार्वती के पिता हिमालयराज से उनकी पुत्री का हाथ मागंने के लिए भगवान शिव ने सुनटनर्तक वेष धारण किया था.
ब्रह्मचारी अवतार: दक्ष के यज्ञ में प्राण त्यागने के बाद जब सती ने हिमालयराज के घर पार्वती के रूप में जन्म लिया तो शिव को पति रूप में पाने के लिए घोर तप किया. पार्वती की परीक्षा लेने के लिए शिवजी ब्रह्मचारी का वेष धारण कर उनके पास पहुंचे थे.
यक्ष अवतार: यक्ष अवतार शिवजी ने देवताओं के अनुचित और मिथ्या अभिमान को दूर करने के लिए धारण किया था.
वीरभद्र अवतार: भगवान शिव का यह अवतार तब हुआ था, जब दक्ष के यज्ञकुंड में देवी सती ने देहदाह किया था. शिव के इस अवतार ने दक्ष के यज्ञ का विध्वंस किया और उसका सिर काटकर मृत्युदंड दिया.
भैरव अवतार: शिव महापुराण में भैरव को परमात्मा देवाधिदेव शिव का पूर्ण रूप बताया गया है. इनका सबसे प्रसिद्ध मंदिर काशी में है.
अश्वत्थामा अवतार: महाकाव्य महाभारत के अनुसार गुरु द्रोण के पुत्र अश्वत्थामा काल, क्रोध, यम और भगवान शिव के अंशावतार थे. शतरुद्रसंहिता की मानें, तो अश्वत्थामा आज भी जीवित हैं.
शरभावतार: इस अवतार में भगवान शिव का स्वरूप आधा हिरण और शेष शरभ पक्षी का था. पुराणों के अनुसार शरभ पक्षी आठ पैरों वाला जंतु, शेर से भी अधिक शक्तिशाली था. इस अवतार में भगवान शिव ने विष्णु के अवतार नृसिंह के क्रोध को शांत किया था.
ऋषि दुर्वासा: भगवान शिव के विभिन्न अवतारों में ऋषि दुर्वासा का अवतार भी प्रमुख है, जो अपने क्रोध के लिए जगविख्यात थे. कहते हैं, शिवातार ऋषि दुर्वासा जिस पर क्रोधित होते थे, उसका सदैव कल्याण होता था.
हनुमान अवतार: भगवान शिव का हनुमान अवतार शिव के सभी अवतारों में श्रेष्ठ माना गया है. इस अवतार में भगवान शिव ने एक वानर का रूप धरा था और प्रभु राम की भक्ति की थी.
वृषभ अवतार: भगवान शिव ने वृषभ अवतार विशेष परिस्थितियों में लिया था. इस अवतार में भगवान शिव ने विष्णु के अहंकारी पुत्रों का संहार किया था.
कृष्णदर्शन अवतार: भगवान शिव ने इस अवतार में यज्ञ आदि धार्मिक कार्यों के महत्व को बताया है. यह अवतार पूर्णत: धर्म का प्रतीक माना जाता है.
अवधूत अवतार: भगवान शिव ने अवधूत अवतार लेकर स्वर्गाधिपति देवराज इंद्र के अंहकार को चूर किया था.
सुरेश्वर अवतार: भगवान शिव ने सुरेश्वर अवतार एक छोटे से बालक उपमन्यु की भक्ति से प्रसन्न होकर उसे अपनी परम भक्ति और अमर पद का वरदान दिया.
किरात अवतार: किरात अवतार में भगवान शिव ने पाण्डुपुत्र धनुर्धारी अर्जुन की वीरता की परीक्षा ली थी.
सुनटनर्तक अवतार: पार्वती के पिता हिमालयराज से उनकी पुत्री का हाथ मागंने के लिए भगवान शिव ने सुनटनर्तक वेष धारण किया था.
ब्रह्मचारी अवतार: दक्ष के यज्ञ में प्राण त्यागने के बाद जब सती ने हिमालयराज के घर पार्वती के रूप में जन्म लिया तो शिव को पति रूप में पाने के लिए घोर तप किया. पार्वती की परीक्षा लेने के लिए शिवजी ब्रह्मचारी का वेष धारण कर उनके पास पहुंचे थे.
यक्ष अवतार: यक्ष अवतार शिवजी ने देवताओं के अनुचित और मिथ्या अभिमान को दूर करने के लिए धारण किया था.
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