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This Article is From Sep 13, 2021

Lalita Saptami 2021: जानें कैसे की जाती है देवी ललिता की पूजा, ललिता सप्तमी व्रत का महत्व, पूजन विधि व शुभ मुहूर्त

Lalita Saptami 2021: ललिता सप्तमी का पर्व भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है. इस व्रत को संतान सप्तमी व्रत भी कहा जाता है. मान्यता है कि इस व्रत को रखने से निसंतान दंपत्ति को संतान की प्राप्ति होती है.

Lalita Saptami 2021: जानें कैसे की जाती है देवी ललिता की पूजा, ललिता सप्तमी व्रत का महत्व, पूजन विधि व शुभ मुहूर्त
Lalita Saptami 2021: जानिये ललिता सप्तमी का महत्व और पूजन विधि
नई दिल्ली:

Lalita Saptami 2021: आज (सोमवार) ललिता सप्तमी का पर्व मानाया जा रहा है, जिसे संतान सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है. हिंदी पंचांग के अनुसार, ललिता सप्तमी का पर्व भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है. ये पर्व राधा अष्टमी से एक दिन पहले ही मनाया जाता है. ज्ञात हो कि देवी ललिता राधा रानी की बेहद खास सहेली थीं, जिनके नाम से मथुरा के ब्रज में एक मंदिर भी है. इस दिन ललिता देवी की पूजा-अर्चना के साथ व्रत करने की परंपरा है. मान्यता है कि इस व्रत को रखने से निसंतान दंपत्ति को संतान की प्राप्ति होती है. इसके साथ ही संतान की अच्‍छी सेहत और लंबी उम्र की कामना के लिए इस व्रत को रखा जाता है. आइये इस व्रत से जुड़ी खास जानकारियां. इस व्रत का महत्व व इसकी पूजन विधि.

ललिता सप्तमी का महत्व

ललिता सप्तमी प्रेम के महत्व को समझने का पर्व है. भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि देवी ललिता को समर्पित है. ऐसी मान्यता है कि ललिता सप्तमी पर देवी ललिता की विधि-विधान से विशेष पूजा-अर्चना करने पर भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की कृपा बनी रहती है. मान्यता है कि इस व्रत को रखने से निसंतान दंपत्ति को संतान की प्राप्ति होती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पहली बार भगवान श्रीकृष्ण द्वारा इस व्रत का महत्व बताया गया था, जिसके बाद से ये व्रत रखा जा रहा है.

जानिये ललिता सप्तमी का महत्व.

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Photo Credit: insta/theyellowrabbit.krittika

संतान सप्तमी तिथि और समय

  • सप्तमी 12 सितंबर को सायं 05:21 बजे शुरू हो चुकी है.
  • सप्तमी 13 सितंबर को दोपहर 03:11 बजे समाप्त होगी.
  • सूर्योदय 06:16 प्रात:
  • सूर्यास्त 06:28 सायं.

संतान सप्तमी शुभ मुहूर्त

अभिजीत मुहूर्त 11:58 सुबह– 12:47 दोपहर.

अमृत ​​काल 10:45 सुबह– 12:46 प्रात:

ब्रह्म मुहूर्त 04:40 प्रात:– 05:28 प्रात:

ऐसे करें ललिता सप्‍तमी व्रत का पूजन

ललिता सप्‍तमी का व्रत रख रहे लोग सुबह जल्दी उठकर स्नान करें.

जल्दी स्नान कर साफ कपड़े पहनकर ही पूजा शुरू करनी चाहिए.

पूजा स्थल को साफ करें, लकड़ी के चबूतरे पर लाल कपड़ा बिछाएं.

पानी से भरा कलश मुंह पर रखकर आम के पत्तों को ढंककर रख दें. इसके ऊपर नारियल लगाएं.

दीया जलाएं और फूल, अक्षत, पान, सुपारी और नैवेद्य चढ़ाएं.

सबसे पहले भगवान श्री गणेश का ध्यान करें.

इसके बाद गणेश महाराज, देवी ललिता, माता पार्वती, देवी शक्ति शिव और शालिग्राम की विधिवत तरीके से पूजा करें.

पूजा के समय मौली जरूर रखें, इस बात का खास ख्याल रखें.

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जानिये ललिता सप्तमी की पूजा विधि. 

अब भगवान को हल्दी, चंदन का पेस्ट, चावल, गुलाल, फूल, फल, नारियल व प्रसाद चढ़ायें.

इसके साथ ही देवी-देवताओं को प्रसाद के रूप में दूध अवश्य चढ़ायें.

आप संतान सप्तमी व्रत का पालन करने का संकल्प ले सकते हैं.

खीर-पुरी का प्रसाद और आटे और गुड़ से बने मीठे पुए का भोग लगाया जाता है.

केले के पत्ते पर बंधी हुई सात पुए को पूजा स्थल पर चढ़ाकर रखा जाता है.

इसके साथ ही संतान सप्तमी व्रत कथा का पाठ करें.

सभी देवी देवताओं को भोग लगाने के बाद आरती करें. साथ ही मंत्रों का उच्चारण करें.

पूजा समाप्त होने पर रक्षा सूत्र हाथ में जरूर बांधें.

ब्राह्मण को सात पुए दिए जाते हैं और पुए खाने से ही व्रत टूटता है.

बता दें कि यह व्रत सूर्योदय से लेकर अगले दिन सूर्योदय तक रखा जाता है.

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