हिंदू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई बहन का त्योहार भाई दूज मनाया जाता है, इसी दिन यम द्वितीया भी होती है. माना जाता है कि कार्तिक शुक्ल द्वितीया को ही भगवान चित्रगुप्त का जन्म हुआ था, ऐसे में कायस्थ समाज के लोग इस दिन चित्रगुप्त पूजा भी करते हैं. मान्यता रही है कि भगवान चित्रगुप्त ने ही कायस्थ जाति को उत्पन्न किया था.
ब्रम्हा जी के मानस पुत्र हैं भगवान चित्रगुप्त
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान चित्रगुप्त को ब्रह्मा जी का पुत्र माना जाता है. माना जाता है कि भगवान चित्रगुप्त की बही 'अग्रसन्धानी' में सभी जीवों के पाप-पुण्य का हिसाब लिखा हुआ है. भगवान चित्रगुप्त को मानने वाले इस दिन कलम और दवात का इस्तेमाल नहीं करते. चित्रगुप्त पूजा की समाप्ति के पहले संपूर्ण आय-व्यय का हिसाब बनाकर उन्हें अर्पित करते हैं.
भगवान चित्रगुप्त के जन्म से जुड़ी कथा
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक एक बार ब्रह्मा जी सूर्य भगवान से बोले कि वे समाधिस्थ होने जा रहे हैं, ऐसे में सूर्य देव पूरी सृष्टि की रक्षा करें. वर्षों बाद जब ब्रह्मा जी की समाधि टूटी तो उन्होंने पाया कि उनके समक्ष एक दिव्य व्यक्ति कलम और दवात लिए खड़ा है. इस पर ब्रह्मा जी ने उनका परिचय जानना चाहा. तब उस दिव्य पुरुष ने बताया कि मेरा जन्म आपकी काया से हुआ है, आप मेरा नामकरण करें और मुझे कोई कार्य बताएं. इस पर ब्रह्मा जी ने कहा कि मेरी काया से तुम्हारे जन्म के कारण तुम्हारा नाम कायस्थ रखता हूं. धरती पर तुम्हें चित्रगुप्त नाम से जाना जाएगा. वहीं तुम्हारा काम यमराज के दरबार में मानव के कार्यों का और उनके जीवन-मृत्यु का लेखा-जोखा रखना होगा.
चित्रगुप्त पूजा का शुभ मुहूर्त
6 नवंबर 2021, शनिवार को दोपहर 1:15 मिनट से शाम को 3:25 मिनट तक चित्रगुप्त पूजा का अच्छा समय है. ये पूजा मुख्य रूप से कायस्थ समाज के लोग करते हैं. इस दिन कायस्थ समाज के लोग कलम और दवात की पूजा करते हैं.
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