सनातन धर्म में सावन (sawan month) के माह को भगवान शिव को समर्पित किया गया है. इस पूरे माह में भगवान शिव (lord shiva) की पूजा की जाती है. खासतौर पर सावन के सभी सोमवार और शिवरात्रि पर भगवान शिव की विधिवत पूजा, व्रत और जलाभिषेक का खास महत्व है. स्कंद पुराण में कहा गया है कि सावन का माह भगवान शिव को सबसे ज्यादा प्रिय है और इस माह का हर दिन भगवान शिव और पार्वती की पूजा के लिए खासतौर पर फलदायी कहा गया है.
भगवान शिव को क्यों प्रिय है सावन का महीना why lord shiva loves sawan month
स्कंद पुराण में भगवान शिव सनत कुमार को बताते हैं कि वो अजर अमर हैं लेकिन पार्वती मां ने हर जन्म में उनको वर रूप में पाने के लिए इसी माह में व्रत किए हैं. भगवान शिव ने कहा कि पार्वती ने हर जन्म में मुझे ही पति रूप में पाने के लिए इस माह में व्रत किए और शिवलिंग की पूजा की. सती और शिव विवाह के बाद जब राजा दक्ष के यज्ञ में भगवान शिव को नहीं बुलाया तो सती नाराज हो गईं. पति का अपमान देखकर दुखी होकर सती ने यज्ञ की अग्नि में कूदकर प्राण दे दिए. इसके बाद सती ने पार्वती के रूप में राजा हिमाचल के घर जन्म लिया.
पार्वती ने सावन माह के व्रत रखे और महादेव को पति रूप में पाने के लिए इसी माह में तपस्या की. भगवान शिव ने कहा कि इसलिए उनको ये माह बहुत प्रिय है और इसका हर एक दिन उनको पर्व की तरह लगता है. इस माह में जो भक्त सच्चे मन से महादेव और मां पार्वती की पूजा करता है, उसे भगवान शिव और मां पार्वती का आशीर्वाद मिलता है.
सावन माह के नियम sawan month rules
सावन का महीना भगवान शिव का प्रिय मास कहा जाता है. इस दौरान भक्त व्रत करते हैं, कांवड़ से जल लाकर शिवलिंग को अर्पित करते हैं और मंदिरों में शिव पूजा की जाती है. सावन माह में भगवान शिव की पूजा के कुछ खास नियम हैं जिनका पालन करने की सलाह दी जाती है. सावन माह में महादेव की पूजा करते समय उन्हें नारियल और तिल अर्पित न करें. शिवजी को सिंदूर, लाल फूल, हल्दी, तुलसी और केतकी के फूल अर्पित ना करने की सलाह दी जाती है. सावन माह में मांस और मदिरा के सेवन से दूर रहना चाहिए. इस माह में दूसरों को कष्ट देने से बचना चाहिए, झूठ, मिथ्या और ईर्ष्या से भी बचना चाहिए. इस महीने में शरीर पर किसी भी तरह का तेल नहीं लगाना चाहिए. सावन माह में पेड़ पौधों के नुकसान पहुंचाने या काटने से बचना चाहिए.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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