
Hindu deity circumambulations rules: सनातन परंपरा में जब कभी भी लोग मंदिरों में देवी-देवताओं की पूजा के लिए जाते हैं तो वहां पर अपने आराध्य की परिक्रमा करना नहीं भूलते हैं. मंदिर (Temple)का प्रांगण हो या फिर पूजनीय पेड़-पौधे, उनकी हर कोई अपने हिसाब से उनकी परिक्रमा (Parikrama) करता है. कोई एक से लेकर 108 तक जिसका जितना सामर्थ्य बनता है, वह अपनी आस्था को प्रकट करने के लिए पूजनीय देवता की परिक्रमा करता है लेकिन क्या आपको पता है कि किस देवी (Goddess) या देवता (God) की कितनी परिक्रमा करनी चाहिए? आइए परिक्रमा से जुड़ी जरूरी बातों को विस्तार से जानते हैं.
मूर्ति के पीछे जगह न होने पर ऐसे करें परिक्रमा
कई बार कुछेक मंदिरों या फिर तीर्थ (Teerth) स्थान पर देवी-देवताओं की मूर्ति के पीछे जाने की जगह नहीं होती है. तब हमारे सामने समस्या खड़ी होती है कि आखिर हम उस देवता की परिक्रमा कैसे करें. कुछ इसी तरह की समस्या घर की दीवार पर भगवान की तस्वीर या फिर दीवार से सटे देवस्थान की परिक्रमा को लेकर आती है. हिंदू मान्यता (Hindu Belief) के अनुसार जब किसी भी देवी-देवता के चारों ओर परिक्रमा लगाना मुश्किल हो तो जिस स्थान पर पूजा कर रहे हों वहीं पर दाहिनी हाथ की तरफ घड़ी की सुईयों की तरह पूरा एक चक्कर खड़े-खड़े लगाना लेना चाहिए. इस विधि से उस देवता की परिक्रमा का पुण्यफल प्राप्त हो जाता है.
कैसे करें देवी-देवताओं की परिक्रमा
किसी भी देवी-देवता की परिक्रमा पूजा-आरती आदि करने के बाद सबसे आखिरी में करें. परिक्रमा करते समय श्रद्धा के साथ अपने देवी-देवता का ध्यान करें. परिक्रमा के दौरान लोगों से या फिर फोन पर बात न करें. परिक्रमा करते समय लोगों से आगे निकलने की होड़ न लगाएं और धैर्यपूर्वक परिक्रमा करें. परिक्रमा पूरा करने के बाद अपने आराध्य को दंडवत प्रणाम करें.
व्रत और उपवास में क्या अंतर होता है? दोनों को रखने से पहले जानें इससे क्या मिलता है फल?
किस देवता की कितनी करनी चाहिए परिक्रमा
कई बार जब हम अपने आराध्य देवता या पूजनीय पेड़ पौधों की पूजा कर रहे होते हैं तो हमारे सामने यह सवाल आता है कि हम उनकी कितनी परिक्रमा करें. शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव की आधी और भगवान श्री गणेश जी(Lord Ganesha) की तीन परिक्रमा करनी चाहिए. इसी प्रकार माता पार्वती (Mata Parvati) या फिर किसी अन्य देवी की एक परिक्रमा करें. श्री हरि यानि भगवान विष्णु (Lord Vishnu) और उनके तमाम अवतारों की चार बार परिक्रमा करने का नियम है. हनुमान जी (Lord Hanuman) की तीन परिक्रमा करने पर पुण्यफल की प्राप्ति होती है. वट सावित्री व्रत के दौरान वट वृक्ष की 108 परिक्रमा का विधान है. इसी तरह पीपल (Peepal) के पेड़ की भी 108 परिक्रमा का विधान है लेकिन यदि आप इतनी परिक्रमा न कर पाएं तो एक अथवा विषम संख्या में 3, 5, 7, 9 आदि कर सकते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं