Goddess Lakshmi: माता लक्ष्मी को धन-संपदा की देवी कहा जाता है. माना जाता है कि उन्हीं की कृपा से मनुष्य को धन संपदा की प्राप्ति होती है. दीपावली जैसे बड़े त्योहार पर तो लक्ष्मी पूजन (Lakshmi Poojan) किया ही जाता है, साथ ही विवाह के पश्चात नववधू के आगमन पर भी लक्ष्मी पूजन की परंपरा है. इसमें कोई संदेह नहीं कि माता लक्ष्मी का पूजन हमारे धार्मिक रीति-रिवाजों का एक अहम अंग है. लेकिन, क्या आप ये जानते हैं कि माता लक्ष्मी का जन्म कैसे हुआ? इस प्रश्न के पीछे भी एक बेहद रोचक पौराणिक कथा छिपी हुई है.
कैसे हुआ लक्ष्मी मां का जन्म | How Goddess Lakshmi Was Born
कथा के अनुसार, माता लक्ष्मी (Lakshmi Maa) का जन्म साधारण नहीं बल्कि एक बेहद अलौकिक रूप में हुआ था. अमृत की चाह में देवताओं और राक्षसों ने मिलकर समुद्र का मंथन किया था. इस समुद्र मंथन से अमृत और हलाहल दोनों ही प्राप्त हुए थे. भगवान शिव ने हलाहल ग्रहण किया जिससे उनका कंठ नीला पड़ गया और वे नीलकंठ कहलाए. लेकिन, इसी समुद्र मंथन से 14 अनमोल रत्न भी प्राप्त हुए थे. इन्हीं रत्नों के साथ देवी महालक्ष्मी भी प्रकट हुईं. माना जाता है कि माता लक्ष्मी हाथों में कलश और वर मुद्रा लिए हुए थीं और उन्होंने पति के रूप में भगवान विष्णु (Lord Vishnu) का वरण कर लिया.
माना जाता है कि ये अलौकिक घटना फागुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को हुई थी, इसीलिए इस दिन को लक्ष्मी जयंती के रूप में मनाया जाता है. इस दिन माता लक्ष्मी का पूजन काफी शुभ माना जाता है. कहते हैं कि इस दिन पूर्ण विधि-विधान से मां लक्ष्मी की पूजा करने से उनकी कृपा बनी रहती है. लक्ष्मी जयंती (Lakhmi Jayanti) दक्षिण भारत में अधिक धूमधाम से मनाई जाती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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