विज्ञापन
This Article is From Nov 26, 2016

मानें या न मानें ऋतु के अनुसार घटता-बढ़ता है यह त्रेतायुगीन शिवलिंग

मानें या न मानें ऋतु के अनुसार घटता-बढ़ता है यह त्रेतायुगीन शिवलिंग
देवभूमि कहे जाने वाले हिमाचल प्रदेश में ऐसे-ऐसे धर्मस्थल हैं, जिनके बारे में जानकार आश्चर्य होता है। ऐसा ही एक धर्मस्थल है, कांगड़ा जिले में स्थित काठगढ़ महादेव का मंदिर।

माना जाता है कि यह विश्व का एकमात्र मंदिर है जहां का प्राकृतिक शिवलिंग ऐसे रूप में है जो दो भागों में बंटा हुआ है। मान्यता है कि यह अर्धनारीश्वर यानी भगवान शिव और देवी पार्वती के सम्मिलन के प्रतीक का शिवलिंग है।

ऋतु के अनुसार घटता-बढ़ता है शिवलिंग
यह शिवलिंग अष्टकोणीय है और काले-भूरे रंग का है। शिव रूप में पूजित शिवलिंग की ऊंचाई 7-8 फीट है, जबकि पार्वती का रूप माने जाने वाले हिस्से की ऊँचाई 5-6 फीट है।

दो भागों में विभाजित इस शिवलिंग के बारे में विख्यात है कि इसके भागों का अंतर ग्रहों, नक्षत्रों और ऋतु के अनुसार घटता-बढ़ता रहता है। ग्रीष्म ऋतु में यह स्वरूप दो भागों में बंट जाता है और शीत ऋतु में पुन: एक रूप धारण कर लेता है। शिवरात्रि के मौके पर दोनों का मिलन हो जाता है।

त्रेतायुग में भी था यह शिवलिंग
यह धर्मस्थल सदियों से जन आस्था का केंद्र रहा है। मान्यता है कि त्रेता युग में भगवान श्रीराम के भाई भरत जब अपने ननिहाल कैकेय देश जाते थे, वे यहां इस शिवलिंग की पूजा अवश्य किया करते थे।

जनश्रुति के अनुसार, यूनान के आक्रमणकारी सिकंदर ने भी इस शिवलिंग को देखा था। कहते हैं कि उसने यहाँ मंदिर के निर्माण के लिए कुछ धन भी दिया था। कहते हैं जब महाराजा रणजीत सिंह ने गद्दी संभाली तो उन्होंने इस आदि शिवलिंग के मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था।

 

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
काठगढ़ महादेव, Kathgarh Mahadev Temple, मंदिर, Temple
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com