
हरियाली तीज पर सोलह श्रृंगार का विशेष महत्व है
- हरियाली तीज के दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं
- हरियाली तीज पर सोलह श्रृंगार का विशेष महत्व है
- जो स्त्रियां व्रत रख रही हैं उन्हें कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए
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जानिए हरियाली तीज का महत्व और व्रत कथा
हरतालिका तीज की तिथि और शुभ मुहूर्त (Hariyali Teej Date & Time)
हरियाली तीज की तिथि आरंभ: 13 अगस्त की सुबह 8 बजकर 38 मिनट.
हरियाली तीज की तिथि समाप्त: 14 अगस्त की सुबह 5 बजकर 46 मिनट
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हरियाली तीज की पूजा विधि
- सुबह उठकर स्नान करने के बाद मन में व्रत का संकल्प लें.
- सबसे पहले घर के मंदिर में काली मिट्टी से भगवान शिव शंकर, माता पार्वती और गणेश की मूर्ति बनाएं.
- अब इन मूर्तियों को तिलक लगाएं और फल-फूल अर्पित करें.
- फिर माता पार्वती को एक-एक कर सुहाग की सामग्री अर्पित करें.
- इसके बाद भगवान शिव को बेल पत्र और पीला वस्त्र चढ़ाएं.
- तीज की कथा पढ़ने या सुनने के बाद आरती करें.
- अगले दिन सुबह माता पार्वती को सिंदूर अर्पित कर भोग चढ़ाएं.
- प्रसाद ग्रहण करने के बाद व्रत का पारण करें.
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हरियाली तीज के दिन सुहागिन स्त्रियां न करें ये काम
मान्यता के अनुसार हरियाली तीज के दिन सुहागिन स्त्रियों को ये काम नहीं करने चाहिए:
1. वैसे तो पति-पत्नी के रिश्ते की बुनिया ईमानदारी और प्रेम पर टिकी होती है. लेकिन अगर आप हरियाली तीज का व्रत रख रही हैं तो इस दिन किसी भी कीमत पर पति से छल-कपट न करें.
2. इस दिन पति से न तो झूठ बोलें और न ही उनके साथ दुर्व्यवहार न करें.
3. दूसरे की निंदा न करें.
4.सुहागिन महिलाओं को निर्जला व्रत रखना चाहिए.
5. इस दिन सोलह श्रृंगार का विशेष महत्व है. सजते समय सोलह श्रृंगार करें और सामर्थ्य अनुसार गहने पहनें. इस दिन सुहागिन स्त्रियां आमतौर पर नए कपड़े पहनती हैं.
6. हरियाली तीज के दिन काले और सफेद रंग के वस्त्रों का प्रयोग न करें. इस दिन लाल और हरे रंग के कपड़ों को पहनना शुभ माना गया है.
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