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This Article is From Mar 28, 2022

Hanuman Jayanti 2022: कब है हनुमान जयंती, ये है पूजा की तिथि और मुहूर्त, जानें हनुमान जन्म की कथा

Hanuman Jayanti 2022: इस वर्ष हनुमान जयंती पर जानिए किस तरह हुआ था भगवान हनुमान का जन्म. यह है हनुमान जयंती की तिथि व मुहूर्त.

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Hanuman Jayanti 2022: कब है हनुमान जयंती, ये है पूजा की तिथि और मुहूर्त, जानें हनुमान जन्म की कथा
Hanuman puja: इस दिन मनाई जाएगी हनुमान जयंती.

Bajrangbali: चैत्र शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन हर साल राम भक्त हनुमान जी का जन्मोत्सव मनाया जाता है. भक्तों को हनुमान जयंती का बेसब्री से इंतजार रहता है. हनुमान जी के भक्तों में  हनुमान जयंती के मौके पर खासा उत्साह देखने को मिलता है और देशभर में इस दिन को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. माना जाता है कि भगवान विष्णु ( Lord Vishnu) को राम अवतार के वक्त सहयोग करने के लिए रुद्रावतार हनुमान जी का जन्म हुआ था. रावण का वध, सीता की खोज और लंका पर विजय पाने में हनुमान जी ने प्रभु श्रीराम की पूरी मदद की थी. हनुमान जी के जन्म का उद्देश्य ही राम भक्ति था. तो चलिए जानते हैं इस साल कब मनाई जाएगी हनुमान जयंती. 

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पंचांग के मुताबिक इस साल चैत्र महीने की पूर्णिमा तिथि यानि 16 अप्रैल, शनिवार को सुबह 2:25 पर शुरू होगी और पूर्णिमा तिथि का समापन  उसी दिन देर रात यानी 17 अप्रैल को रात 12:24 पर होगा. इस साल हनुमान जयंती 16 अप्रैल 2022 को देशभर में मनाई जाएगी. इस दिन भक्त भगवान हनुमान की पूजा अर्चना करने के साथ व्रत रखेंगे और धूमधाम से हनुमान जन्मोत्सव मनाया जायेगा. 

 हनुमान जन्म कथा का वर्णन पौराणिक कथाओं में है. पौराणिक कथाओं के मुताबिक अयोध्या नरेश राजा दशरथ ने जब पुत्रेष्टि हवन कराया था तब उन्होंने अपनी तीनों रानियों को प्रसाद स्वरूप खीर खिलाई थी. इसी दौरान खीर का थोड़ा सा अंश एक कौआ लेकर उड़ गया और वो कौआ वहां जा पहुंचा जहां माता अंजना शिव तपस्या में लीन थीं. तपस्या में लीन मां अंजना ने उस खीर को शिव जी के प्रसाद के रूप में ग्रहण कर लिया. इस खीर के प्रसाद को ग्रहण करने के बाद हनुमान जी का जन्म हुआ. आपको बता दें कि हनुमान जी भगवान शिव (Lord Shiva) के 11वें रुद्रावतार माने जाते हैं. वैसे तो हनुमान जी के कई सारे नाम हैं लेकिन मां अंजना के कारण हनुमान जी को आंजनेय के नाम से भी बुलाया जाता है. इसके अलावा पिता वानर राज केसरी के कारण केसरीनंदन और पवन देव के सहयोग की वजह से पवन पुत्र (Pawan Putra) आदि नामों से जाना जाता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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