क्या होता है हज यात्रा कोटा
नई दिल्ली:
हर साल लाखों मुस्लिम यात्रा पर जाते हैं. इस यात्रा के लिए भारतीय सरकार उन्हें कुछ सब्सिडी देती, जिससे तहत फ्लाइट में जाने वाले हज यात्रियों को सरकार किराए में छूट, एयरपोर्ट पर उनके खाने का इंतजाम, दवाइयां और अस्थायी आवास की सुविधा देती है. लेकिन अब भारतीय सरकार यह सब्सिडी नहीं देगी, बल्कि इस पैसों को लड़कियों की पढ़ाई के लिए उपयोग में लाएगी. अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने यह ऐलान किया. उनके अनुसार इस सब्सिडी का फायदा ज़रूरतमंद मुसलमानों को नहीं मिल रहा. इसीलिए अब इस रुपयों को शिक्षा में निवेश किया जाएगा.
अल्लाह के इस आदेश की वजह से हज यात्री शैतान को मारते हैं पत्थर
आपको बता दें हज यात्रा पर सब्सिडी ब्रिटिश काल से दी जा रही है. मुसलमान आबादी को देखते हुए आजादी के बाद हज कमिटी एक्ट 1959 के तहत इस यात्रा को मुसलमानों के लिए सुविधाजनक बनाया गया. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने गरीब मुसलमानों को इस सुविधा को ना मिलता देख 2012 में कहा कि हज सब्सिडी को 2022 तक पूरी तरह समाप्त कर दिया जाएगा. इस आदेश में कहा गया कि यह सब्सिडी न केवल असंवैधानिक है बल्कि कुरान की शिक्षाओं के अनुरूप भी नहीं है.
इन 3 नियमों को पालन ना करने पर पूरी नहीं होती जुमे की नमाज
वहीं, सेंट्रल हज कमिटी ने भी 2017 में कहा कि 2018 तक 700 करोड़ की हज सब्सिडी को पूरी तरह खत्म कर शैक्षिक कार्यक्रम में लगाया जाएगा, खासकर अल्पसंख्यक समुदाय की लड़कियों की शिक्षा पर.
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इस साल बढ़े 5000 यात्री
मुख्तार अब्बास नकवी ने साथ ही कहा कि समुंद्री जहाज से हज यात्रा हवाई मार्ग से सस्ती पड़ती है. इसी वजह से सऊदी अरब ने भारत के हज कोटे में 5000 की वृद्धि की है. यानी अब इतने अतिरिक्त हज यात्री हज पर जा सकेंगे. मुख्तार अब्बास नकवी द्वारा सऊदी के हज व उमराह मंत्री मोहम्मद सालेह बिन ताहेर बेनतेन के साथ द्विपक्षीय वार्षिक हज समझौता 2018 पर हस्ताक्षर के कुछ दिनों बाद यह फैसला आया.
2018 में कितने यात्री जाएंगे हज
हज के लिए 2018 में 3.55 लाख आवेदन प्राप्त हुए हैं. इस साल कुल 1.75 लाख भारतीय नागरिक हज पर जा सकते हैं. बीते साल सऊदी अरब ने भारत के हज कोटे में 35,000 की वृद्धि की थी और इस साल 5 हज़ार की बढ़ोत्तरी और कर दी है. भारतीय हज समिति लकी ड्रॉ के जरिए हज यात्रा पर जाने वालों के नाम तय करेगी.
कैसे शुरू हुई हज सब्सिडी
1960 के दशक में तेल निर्यातक देशों के संगठन OPEC के बनने के बाद ईंधन का खर्च बढ़ा. इसके कुछ सालों बाद ही 1973 में समुद्री मार्ग से जा रहे हज यात्रियों का जहाज हादसा हुआ. इन बातों को देख इंदिरा गांधी की सरकार ने हवाई सब्सिडी की शुरूआत की. ताकी हज यात्रियों को सुरक्षित और कम दामों में हवाई मार्ग से हज पर पहुंचाया जा सके.
कमाल खान के शब्दों के अनुसार समझें हज कोटा
कमाल खान के एनडीटीवी में लिखे अपने ब्लॉग के अनुसार, इस साल 1,75,000 लोग हिंदुस्तान से हज करने के लिए सऊदी अरब जाएंगे. उन्हें सिर्फ एयर इंडिया ही ले जा सकती है. इसके लिए हाजियों से करीब 8 महीने पहले पैसा जमा करा लिया जाता है. अगर इसका ग्लोबल टेंडर हो और एयरलाइंस को पौने दो लाख मुसाफिर देने की गारंटी हो तो दुनिया की तमाम एयरलाइंस एयर इंडिया से बहुत कम पैसे में हज पर ले जाएंगी. अगर किसी इंटरनेशनल टूर ऑपरेटर को पौने दो लाख मुसाफिर दिए जाएं तो उसका पैकेज भी बहुत सस्ता होगा. लेकिन हिंदुस्तान में सरकार के जरिये मुसलमान बहुत महंगी हज करता है और सब्सिडी के एहसान के नीचे दबा रहता है.
आइए इसके गणित को आसान तरीके से समझते हैं. मिसाल के लिए इस बार 1,75,000 हाजी एयर इंडिया से हज पर जाएंगे. हज के फॉर्म की कीमत है 300 रुपये, जो वापस नहीं होते. इस बार 3,55,000 लोगों ने फॉर्म भरे. इससे सरकार को 10 करोड़ 65 लाख रुपये की आमदनी हुई. फर्स्ट क्लास हाजी से सरकार 2,41,000 रुपये लेती है और सेकेंड क्लास हाजी से 2,11,000 रुपये. करीब 70 फीसदी लोग सेकेंड क्लास सहूलियत लेते हैं, जबकि करीब 30 फीसदी फर्स्ट क्लास सहूलियत. इस तरह इस साल करीब 52,500 फर्स्ट क्लास में जाएंगे. वे सरकार को 1265 करोड़ 25 लाख फीस देंगे और करीब 1,22,500 सेकेंड क्लास में जाएंगे, जो 2584 करोड़ 75 लाख फीस सरकार को देंगे. इस तरह सारे हाजी 3850 करोड़ रुपये सरकार को देंगे. ये 3850 करोड़ रुपये सरकार हाजियों से 8 महीने पहले ले लेती है. इस रकम पर 7 फीसदी की दर से सरकार को 180 करोड़ रुपये ब्याज मिलेगा. फिर भी मुसलमान सब्सिडी के बोझ तले दबा हुआ था.
देखें वीडियो - हज सब्सिडी पूरी तरह खत्म
अल्लाह के इस आदेश की वजह से हज यात्री शैतान को मारते हैं पत्थर
आपको बता दें हज यात्रा पर सब्सिडी ब्रिटिश काल से दी जा रही है. मुसलमान आबादी को देखते हुए आजादी के बाद हज कमिटी एक्ट 1959 के तहत इस यात्रा को मुसलमानों के लिए सुविधाजनक बनाया गया. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने गरीब मुसलमानों को इस सुविधा को ना मिलता देख 2012 में कहा कि हज सब्सिडी को 2022 तक पूरी तरह समाप्त कर दिया जाएगा. इस आदेश में कहा गया कि यह सब्सिडी न केवल असंवैधानिक है बल्कि कुरान की शिक्षाओं के अनुरूप भी नहीं है.
इन 3 नियमों को पालन ना करने पर पूरी नहीं होती जुमे की नमाज
वहीं, सेंट्रल हज कमिटी ने भी 2017 में कहा कि 2018 तक 700 करोड़ की हज सब्सिडी को पूरी तरह खत्म कर शैक्षिक कार्यक्रम में लगाया जाएगा, खासकर अल्पसंख्यक समुदाय की लड़कियों की शिक्षा पर.
इस्लाम में 786 अंक शुभ क्यों माना जाता है?
इस साल बढ़े 5000 यात्री
मुख्तार अब्बास नकवी ने साथ ही कहा कि समुंद्री जहाज से हज यात्रा हवाई मार्ग से सस्ती पड़ती है. इसी वजह से सऊदी अरब ने भारत के हज कोटे में 5000 की वृद्धि की है. यानी अब इतने अतिरिक्त हज यात्री हज पर जा सकेंगे. मुख्तार अब्बास नकवी द्वारा सऊदी के हज व उमराह मंत्री मोहम्मद सालेह बिन ताहेर बेनतेन के साथ द्विपक्षीय वार्षिक हज समझौता 2018 पर हस्ताक्षर के कुछ दिनों बाद यह फैसला आया.
2018 में कितने यात्री जाएंगे हज
हज के लिए 2018 में 3.55 लाख आवेदन प्राप्त हुए हैं. इस साल कुल 1.75 लाख भारतीय नागरिक हज पर जा सकते हैं. बीते साल सऊदी अरब ने भारत के हज कोटे में 35,000 की वृद्धि की थी और इस साल 5 हज़ार की बढ़ोत्तरी और कर दी है. भारतीय हज समिति लकी ड्रॉ के जरिए हज यात्रा पर जाने वालों के नाम तय करेगी.
कैसे शुरू हुई हज सब्सिडी
1960 के दशक में तेल निर्यातक देशों के संगठन OPEC के बनने के बाद ईंधन का खर्च बढ़ा. इसके कुछ सालों बाद ही 1973 में समुद्री मार्ग से जा रहे हज यात्रियों का जहाज हादसा हुआ. इन बातों को देख इंदिरा गांधी की सरकार ने हवाई सब्सिडी की शुरूआत की. ताकी हज यात्रियों को सुरक्षित और कम दामों में हवाई मार्ग से हज पर पहुंचाया जा सके.
कमाल खान के शब्दों के अनुसार समझें हज कोटा
कमाल खान के एनडीटीवी में लिखे अपने ब्लॉग के अनुसार, इस साल 1,75,000 लोग हिंदुस्तान से हज करने के लिए सऊदी अरब जाएंगे. उन्हें सिर्फ एयर इंडिया ही ले जा सकती है. इसके लिए हाजियों से करीब 8 महीने पहले पैसा जमा करा लिया जाता है. अगर इसका ग्लोबल टेंडर हो और एयरलाइंस को पौने दो लाख मुसाफिर देने की गारंटी हो तो दुनिया की तमाम एयरलाइंस एयर इंडिया से बहुत कम पैसे में हज पर ले जाएंगी. अगर किसी इंटरनेशनल टूर ऑपरेटर को पौने दो लाख मुसाफिर दिए जाएं तो उसका पैकेज भी बहुत सस्ता होगा. लेकिन हिंदुस्तान में सरकार के जरिये मुसलमान बहुत महंगी हज करता है और सब्सिडी के एहसान के नीचे दबा रहता है.
आइए इसके गणित को आसान तरीके से समझते हैं. मिसाल के लिए इस बार 1,75,000 हाजी एयर इंडिया से हज पर जाएंगे. हज के फॉर्म की कीमत है 300 रुपये, जो वापस नहीं होते. इस बार 3,55,000 लोगों ने फॉर्म भरे. इससे सरकार को 10 करोड़ 65 लाख रुपये की आमदनी हुई. फर्स्ट क्लास हाजी से सरकार 2,41,000 रुपये लेती है और सेकेंड क्लास हाजी से 2,11,000 रुपये. करीब 70 फीसदी लोग सेकेंड क्लास सहूलियत लेते हैं, जबकि करीब 30 फीसदी फर्स्ट क्लास सहूलियत. इस तरह इस साल करीब 52,500 फर्स्ट क्लास में जाएंगे. वे सरकार को 1265 करोड़ 25 लाख फीस देंगे और करीब 1,22,500 सेकेंड क्लास में जाएंगे, जो 2584 करोड़ 75 लाख फीस सरकार को देंगे. इस तरह सारे हाजी 3850 करोड़ रुपये सरकार को देंगे. ये 3850 करोड़ रुपये सरकार हाजियों से 8 महीने पहले ले लेती है. इस रकम पर 7 फीसदी की दर से सरकार को 180 करोड़ रुपये ब्याज मिलेगा. फिर भी मुसलमान सब्सिडी के बोझ तले दबा हुआ था.
देखें वीडियो - हज सब्सिडी पूरी तरह खत्म
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